An effort to spread Information about acadamics

Blog / Content Details

विषयवस्तु विवरण



हिन्दी कहानी का विकास || Hindi Kahani ka Vikas

कविता के क्षेत्र में गीत और गद्य में कहानी, मानवीय सभ्यता के आद्य अभिव्यक्ति माध्यम कहे जा सकते हैं। सभ्यता के विकास चरण में कहानी नया अवतार लेकर प्रस्तुत होती है। जैसे- नीति कथा, आख्यायिका और कहानी से लेकर जासूसी कहानी तथा विज्ञान कथा तक क्रमशः परिवेश के फैलने के साथ ही कहानी के स्वरूप में भी परिवर्तन होने लगा प्रेमचंद के अनुसार- "गल्प (कहानी) एक ऐसी रचना है, जिसमें जीवन के किसी एक अंग या मनोभाव को प्रदर्शित करना ही कहानीकार का उद्देश्य होता है।" सुविधा की दृष्टि से हम कहानी की विकास यात्रा को चार वर्गों में बाँट सकते हैं–
1. प्रेमचंद पूर्व की कहानी – सन् 1910 से पूर्व।
2. प्रेमचंद काल की कहानी – सन् 1910 से 1936 तक।
3. प्रेमचंदोत्तर कहानी – सन् 1936 से 1950 तक।
4. नई कहानी – सन् 1950 से आज तक।

हिन्दी साहित्य के इन प्रकरणों 👇 को भी पढ़ें।
1. हिंदी गद्य साहित्य की विधाएँ
2. हिंदी गद्य साहित्य की गौण (लघु) विधाएँ
3. हिन्दी साहित्य का इतिहास चार काल
4. काव्य के प्रकार
5. कवि परिचय हिन्दी साहित्य

प्रेमचंद पूर्व की कहानी– हिन्दी की सर्वप्रथम कहानी का आविर्भाव काल सन् 1900 के आस-पास है। आर्य समाज के प्रचार प्रसार ने हिन्दी कहानीकारों को प्रभावित किया। रवीन्द्रनाथ टैगोर की भावात्मकता एवं लोक कहानियों में सिंहासन बत्तीसी तथा 'बैताल पच्चीसी' से कथाकार प्रभावित दिखाई पड़ते हैं।

हिन्दी की प्रथम मौलिक कहानी के संबंध में विद्वानों में मतभेद हैं। इस सम्बन्ध में किशोरी लाल गोस्वामी की 'इंदुमती' ('सरस्वती' 1900) भगवानदास की 'प्लेग की चुड़ैल' (सरस्वती 1902) रामचंद्र शुक्ल की 'ग्यारह वर्ष का समय' (सरस्वती 1903) एक बङ्ग महिला कृत दुलाई वाली (सरस्वती 1907) आदि उल्लेखनीय हैं।

प्रेमचंद काल की कहानी– हिन्दी कहानी का विकास प्रेमचंद काल में हुआ। इसके पूर्व की कहानी अपरिपक्व थी। यह शिल्प की दृष्टि से लोक कथा के अधिक समीप थी। कथानक घटना प्रधान थे। प्रेमचंद काल में इन कमियों को दूर करने के प्रयास किए गए। इस काल में ऐतिहासिक, सामाजिक, नैतिक, सांस्कृतिक, चारित्रिक आदि सभी विषयों पर कहानियाँ लिखीं गई।

हिन्दी साहित्य के इन प्रकरणों 👇 को भी पढ़ें।
1. हिन्दी के लेखकों का परिचय
2. हिंदी भाषा के उपन्यास सम्राट - मुंशी प्रेमचंद
3. हिन्दी नाटक का विकास
4. हिन्दी एकांकी के विकास का इतिहास
5. हिन्दी उपन्यास का विकास

प्रेमचंद ने हिन्दी में लगभग तीन सौ कहानियाँ लिखीं जो मानसरोवर के आठ खण्डों में प्रकाशित हैं। चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' इस युग के प्रमुख कहानीकार हैं। उनकी पहली कहानी 'सुखमय जीवन' 1911 में भारत मित्र पत्रिका में प्रकाशित हुई। 'बुद्ध का कांटा' तथा 'उसने कहा था' सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित हुई। 'उसने कहा था' ने कहानी के शिल्प विधान की काया पलट दी। यह कहानी संवेदना तथा यथार्थ का केन्द्र बन गई।

इस युग के अगले यशस्वी कहानीकार जयशंकर प्रसाद हैं। इन्होंने हिन्दी को नई गति, शिल्प एवं शक्ति प्रदान की। प्रसाद जी ने लगभग 69 कहानियाँ लिखी जो 'छाया', 'प्रतिध्वनि', 'आकाशदीप', 'आँधी' तथा 'इन्द्रजाल' में प्रकाशित हुई। इस युग के अन्य प्रमुख कहानीकारों में विश्वम्भरनाथ जिज्जा, जी.पी. श्रीवास्तव, राजा राधिका रमण, विश्वम्भरनाथ शर्मा 'कौशिक', ज्वालादत्त शर्मा, सुदर्शन, वृंदावन लाल वर्मा, भगवती प्रसाद वाजपेयी, आचार्य चतुरसेन शास्त्री, रायकृष्ण दास, पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र', वाचस्पति पाठक, विनोदशंकर व्यास आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. व्याकरण क्या है
2. वर्ण क्या हैं वर्णोंकी संख्या
3. वर्ण और अक्षर में अन्तर
4. स्वर के प्रकार
5. व्यंजनों के प्रकार-अयोगवाह एवं द्विगुण व्यंजन
6. व्यंजनों का वर्गीकरण
7. अंग्रेजी वर्णमाला की सूक्ष्म जानकारी

प्रेमचंदोत्तर कहानी– इस काल में कहानी का चतुर्दिक विकास हुआ उसे नया रूप रंग प्राप्त हुआ। इस पर पड़े पश्चिमी प्रभाव को चार भागों में बाँटा जा सकता है रूसी, फ्रांसीसी, अमरीकी और अंग्रेजी इस युग के प्रमुख कहानीकार हैं- अज्ञेय, इलाचन्द्र जोशी, उपेन्द्रनाथ अश्क, भगवतीचरण वर्मा, रांगेय राघव, अमृतलाल नागर आदि।

नई कहानी– 'नई कहानी' शब्द का प्रयोग सबसे पहले दिसम्बर 1957 में सम्पन्न साहित्यकार सम्मेलन में किया गया। सन् 1962 में कहानी के परिसंवाद में कहानी के नएपन पर चर्चा हुई। तभी से यह शब्द प्रचलित हो गया नई कहानी के इस दौर के प्रमुख कहानीकारों में मोहन राकेश, कमलेश्वर, राजेन्द्र यादव, निर्मल वर्मा, कृष्णा सोबती, मन्नू भण्डारी, ऊषा प्रियंवदा, हरिशंकर परसाई, रमेश बक्शो, फणीश्वरनाथ रेणु, शिवानी, मालती जोशी इत्यादि प्रमुख हैं। इसके बाद के कहानीकारों में दूधनाथ सिंह, काशीनाथ सिंह, रवीन्द्र कालिया, ममता कालिया, मैत्रेयी पुष्पा, मृदुला गर्ग, इत्यादि का नाम लिया जाता है।

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. लिपियों की जानकारी
2. शब्द क्या है
3. लोकोक्तियाँ और मुहावरे
4. रस के प्रकार और इसके अंग
5. छंद के प्रकार– मात्रिक छंद, वर्णिक छंद
6. विराम चिह्न और उनके उपयोग
7. अलंकार और इसके प्रकार

आंचलिक कहानी – अंचल का अर्थ है जनपद जहाँ किसी क्षेत्र विशेष को केन्द्र बनाकर रचना की जाए वहाँ के रहन-सहन रीति-रिवाज, व्यवहार, गुण-दोष, वेश-भूषा, सामाजिक जीवन आदि के विस्तृत वर्णन के साथ स्थानीय बोलियों का प्रभाव हो, उस रचना को आंचलिक कहते हैं। इस धारा के प्रमुख रचनाकार हैं- फणीश्वर नाथ रेणु, रांगेय राघव, शिवप्रसाद सिंह, धर्मवीर भारती शिवप्रसाद मिश्र, शैलेष मटियानी और राजेन्द्र अवस्थी आदि।

अकहानी - अकहानी के उद्भव के संबंध में डॉ. रामदरश मिश्र ने अपने सुप्रसिद्ध ग्रंथ 'हिन्दी कहानी- अंतरंग पहचान' में महत्वपूर्ण संकेत दिए है। अकहानी को यदि आंदोलन के रूप में न लें तो हम पाएँगे कि यह कहानी संरचना में नई कहानी का सहज विकास है। इसके अनुसार नई कहानी ने सातवें दशक में यही मोड़ लिया था। इस युग के प्रमुख कहानीकार- कृष्ण बलदेव वैद, रमेश बक्षी, गिरिराज किशोर, दूधनाथ सिंह, रवीन्द्र कालिया, श्रीकांत वर्मा और शरद जोशी हैं।

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. शब्द क्या है- तत्सम एवं तद्भव शब्द
2. देशज, विदेशी एवं संकर शब्द
3. रूढ़, योगरूढ़ एवं यौगिकशब्द
4. लाक्षणिक एवं व्यंग्यार्थक शब्द
5. एकार्थक शब्द किसे कहते हैं ? इनकी सूची
6. अनेकार्थी शब्द क्या होते हैं उनकी सूची
7. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द (समग्र शब्द) क्या है उदाहरण
8. पर्यायवाची शब्द सूक्ष्म अन्तर एवं सूची
9. शब्द– तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशी, रुढ़, यौगिक, योगरूढ़, अनेकार्थी, शब्द समूह के लिए एक शब्द
10. हिन्दी शब्द- पूर्ण पुनरुक्त शब्द, अपूर्ण पुनरुक्त शब्द, प्रतिध्वन्यात्मक शब्द, भिन्नार्थक शब्द
11. द्विरुक्ति शब्द क्या हैं? द्विरुक्ति शब्दों के प्रकार

सचेतन कहानी– सन् 1960 तक आते-आते नई कहानी को सीमाएँ प्रकट होने लगी थी। निरर्थकता और निष्क्रियता ने इस युग की कहानी को घेर लिया था। इसके प्रमुख कहानीकार - धर्मेन्द्र गुप्त, जगदीश चतुर्वेदी, मधुकर सिंह, मनहर चौहान, महीप सिंह, योगेश गुप्त, वेद राही, श्याम परमार तथा हिमांशु जोशीहैं।

समानान्तर कहानी - 1970 के आस-पास नई कहानी कुण्ठित हो चुकी थी। शिल्प का उलझाव और अप्रामाणिक जमीन, दोनों ने कहानी को आम आदमी से अलग कर दिया था। इसी समय समानान्तर कहानी का जन्म हुआ जो आम आदमी की जीवन स्थितियों को शिल्पगत चमत्कार के भँवर से मुक्त कर सकी। यह कहानी राजनैतिक लड़ाइयों को सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य भी देती है, और सांस्कृतिक संघर्ष को राजनैतिक दृष्टि भी समानान्तर कहानी आंदोलन के प्रमुख कहानीकार हैं- हरिशंकर परसाई कमलेश्वर, भीष्म साहनी, शरद जोशी आदि।

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. 'ज' का अर्थ, द्विज का अर्थ
2. भिज्ञ और अभिज्ञ में अन्तर
3. किन्तु और परन्तु में अन्तर
4. आरंभ और प्रारंभ में अन्तर
5. सन्सार, सन्मेलन जैसे शब्द शुद्ध नहीं हैं क्यों
6. उपमेय, उपमान, साधारण धर्म, वाचक शब्द क्या है.
7. 'र' के विभिन्न रूप- रकार, ऋकार, रेफ
8. सर्वनाम और उसके प्रकार

कहानी के प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं–

1. कथानक अथवा कथावस्तु
2. पात्र एवं चरित्र चित्रण
3. संवाद या कथोपकथन
4. भाषा-शैली
5. देशकाल या वातावरण
6. उद्देश्य

प्रमुख कहानीकार एवं उनकी कहानियाँ–

शिवप्रसाद सितारे-हिन्द – राजा भोज का सपना।
किशोरीलाल गोस्वामी – इंदुमती।
विश्वम्भरनाथ शर्मा 'कौशिक' – ताई, रक्षा बन्धन, विद्रोही।
चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' – उसने कहा था, बुद्ध का कांटा, सुखमय जीवन।
प्रेमचंद – पंच-परमेश्वर, बूढ़ी काकी, शतरंज के खिलाड़ी, पूस को रात।
जयशंकर प्रसाद – आकाशदीप, पुरस्कार, ममता, आँधी।
यशपाल – परदा, मक्रील, फूलो का कुर्ता।
अज्ञेय – रोज, ग्रैंग्रीन, पठार का धीरज।
जैनेन्द्र – जाहवी, पाजेब, नीलम देश की राजकन्या
फणीश्वरनाथ रेणु – ठेस, संवदिया।

इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें।
1. मित्र को पत्र कैसे लिखें?
2. परिचय का पत्र लेखन
3. पिता को पत्र कैसे लिखें?
4. माताजी को पत्र कैसे लिखें? पत्र का प्रारूप
5. प्रधानपाठक को छुट्टी के लिए आवेदन पत्र

आशा है, यह जानकारी विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण एवं उपयोगी होगी। धन्यवाद
RF Temre
infosrf.com

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com

Watch video for related information
(संबंधित जानकारी के लिए नीचे दिये गए विडियो को देखें।)

Watch related information below
(संबंधित जानकारी नीचे देखें।)



  • Share on :

Comments

Leave a reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may also like

अनुतान क्या है? अनुतान के उदाहरण एवं प्रकार || हिन्दी भाषा में इसकी महत्ता || Hindi Bhasha and Anutan

अनुतान के प्रयोग से शब्दों या वाक्यों के भिन्न-भिन्न अर्थों की अनुभूति होती है। भाषा में अनुतान क्या होता है? अनुतान के उदाहरण, प्रकार एवं इसकी महत्ता की जानकारी पढ़े।

Read more



'अ' और 'आ' वर्णों से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य एवं इनकी विशेषताएँ

अ और आ दोनों स्वर वर्णों का उच्चारण स्थान कण्ठ है अर्थात ये दोनों वर्ण कण्ठ्य वर्ण हैं। इनकी विस्तार पूर्वक जानकारी नीचे दी गई है।

Read more

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी (परिचय) : बौद्धकालीन भारत में विश्वविद्यालय― तक्षशिला, नालंदा, श्री धन्यकटक, ओदंतपुरी विक्रमशिला

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित निबंध : बौद्धकालीन भारत में विश्वविद्यालय― तक्षशिला, नालंदा, श्री धन्यकटक, ओदंतपुरी विक्रमशिला।

Read more

Follow us

Catagories

subscribe