
हिन्दी शब्द 'किंतु' और 'परंतु' में अंतर 'Kintu' aur 'Parantu' me antar
'किंतु' एवं 'परंतु' दोनों शब्द समानार्थक हैं। इनका प्रयोग वाक्य में किसी कार्य के पूर्ण होने या न होने का कारण बताने के लिए इन शब्दों के बाद आगे की बात कही जाती है।उदाहरण- (1) मैं तुम्हारे साथ आ सकता था, किंतु मेरी इच्छा ही नहीं हुई।
(2) मैं समय पर पहुंच जाता परंतु आपने वाहन ही नहीं पहुंचाया।
'किंतु' 'परंतु' के अन्य समानार्थक शब्द- 'लेकिन', 'मगर', 'पर' हैं।
'किंतु' के प्रयोग:-
इस शब्द का प्रयोग कही गई बात का पूरा होना या न होना जब स्वयं पर या जिसके संबंध में बात कही जा रही है उस पर अवलंबित (निर्भर) होता है, वहाँ 'किंतु' शब्द का प्रयोग कर सकते हैं।
उदाहरण:- मैं आपको होटल में भोजन करा देता, किंतु मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं।
'परंतु' का प्रयोग:-
इस शब्द का प्रयोग उस समय किया जा सकता है जब कहीं बात के पूर्ण होने या न होने का अवलंबन (निर्भरता) स्वयं को छोड़कर या जिसके बारे में बात की जा रही है उसको छोड़कर अन्य व्यक्ति/साधन पर हो।
उदाहरण- मनीष आपकी टीम में खेल सकता है परंतु उसे पिताजी की इजाजत लेनी पड़ेगी।
हिंदी में सामान्य रूप से देखें तो 'किंतु' और 'परंतु' शब्द का प्रयोग लगभग एक ही अर्थ में किया जाता है चूंकि सूक्ष्मता की बात करें तो उपरोक्त अनुसार प्रयोग किया जा सकता है।
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