हिन्दी व्यंजन वर्ण Consonants व्यंजनों के प्रकार- अयोगवाह, द्विगुण आदि क्या हैं?
हिंदी भाषा में व्यंजनों की कुल संख्या 41 है। जिन्हें अलग-अलग वर्गों में विभाजित किया गया है।
व्यंजनों के प्रकार-
(1) अयोगवाह-
वर्णमाला में स्वरों के तुरंत पश्चात क्रमशः दो वर्ण 'अं' एवं 'अः' आते हैं, जिन्हें की अनुस्वार और विसर्ग कहा जाता है। येअनुस्वार और विसर्ग दोनों ही अयोगवाह की श्रेणी में आते हैं। हिंदी वर्णमाला में अयोगवाह केवल दो वर्ण 'अं' एवं 'अः' ही हैं।
अयोगवाह किसी भी व्यंजन के अंत में मात्रा के रूप में प्रयुक्त होते हैं। अनुस्वार (ं) किसी भी वर्ण के उपर लगाया जाता है जबकि विसर्ग (:) का प्रयोग वर्ण के दाहिनी ओर दोहरे बिंदु (:) के रूप में लगाए जाते हैं।
अनुस्वार- यह स्वर के बाद आने वाला एक व्यंजन है, जिसकी ध्वनि नाक से निकलती है। जैसे दंत, मंगल, अंगूर आदि।
टीप- अनुस्वार की भांति अनुनासिक (ँ) भी एक व्यंजन ही है। यह किसी भी व्यंजन के ऊपर लगता है। और इसका उच्चारण नाक और मुंह दोनों से होता है। जैसे आँख, गाँव, दाँत आदि।
विसर्ग- अनुस्वार की तरह विसर्ग भी स्वर के बाद लगाया जाता है। यह एक व्यंजन है, इसका उच्चारण 'ह' की तरह होता है। जैसे नमः, दुःख, मनः आदि।
(2) स्पर्श व्यंजन-
स्पर्श व्यंजन वे व्यंजन हैं, जो वाक् यंत्र जैसे और दाँत, तालु, मूर्धा, जीभ आदि के कहीं न कहीं स्पर्श (छूने) होने पर उच्चारित होते हैं। अतः मुखांगों के स्पर्श के पश्चात उच्चारित होने के कारण इन्हें स्पर्श व्यंजन कहा जाता है।
स्पर्श व्यंजनों को 5 वर्गों में विभाजित किया गया है-
(अ) 'क' वर्ग- 'क', 'ख', 'ग', 'घ', 'ङ'
(आ) 'च' वर्ग- 'च', 'छ', 'ज', 'झ', 'ञ'
(इ) 'ट' वर्ग- 'ट', 'ठ', 'ड', 'ढ', 'ण'
(ई) 'त' वर्ग- 'त', 'थ', 'द', 'ध', 'न'
(उ) 'प' वर्ग- 'प', 'फ', 'ब', 'भ', 'म'
टीप- उपरोक्त वर्गों में अनुस्वार के बदले में पंचम वर्ण (ङ,ञ,ण,न,म) के आधे वर्ण का उपयोग किया जाता है। नियम यह है कि यदि किसी शब्द में अनुस्वार का प्रयोग हुआ है तो अनुस्वार जिस वर्ण पर लगा है उसके बाद वाले वर्ण का पंचम वर्ण आधा लगता है। जैसे कंगन- कङ्गन, कंचन- कञ्चन, ठंड- ठण्ड, अंधा-अन्धा, कंपन- कम्पन आदि।
(3) अंतस्थ व्यंजन-
ऐसे व्यंजन जो कंठ अर्थात गले के अन्तः भाग से निकलते हैं। जैसे 'य', 'र', 'ल', 'व' इनकी संख्या 4 है।
(4) उष्म व्यंजन-
ऐसे व्यंजन ऊष्म व्यंजन कहलाते हैं, जिनके उच्चारण में गर्म-गर्म वायु मुख से बाहर निकलती है। जैसे 'श', 'स', 'ष', 'ह' इनकी संख्या भी चार है।
(5) संयुक्त व्यंजन-
ऐसे व्यंजन जो दो व्यंजनों के योग से बने हैं। जैसे 'क्ष' = क्+ष, 'त्र' = त्+र, 'ज्ञ' = ज्+ञ, 'श्र' = श्+र इनकी संख्या भी चार है।
(6) द्विगुण व्यंजन-
ये वे व्यंजन हैं जो 'ट' वर्ग के 'ड' एवं 'ढ' के नीचे एक बिंदु (.) लगा देने से बन जाते हैं। जैसे 'ड़' एवं 'ढ़' । इन्हें द्विगुण इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनमें दो गुण जैसे कि 'ड','ढ' एवं 'ड़','ढ़' का होता है। ये दो तरह से प्रयोग में लाए जाते हैं। इनकी संख्या केवल 2 है।
हिंदी की वर्णमाला-
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ अं अः क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ श्र ड़ ढ़ = 52
RF competition
INFOSRF
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com
(संबंधित जानकारी के लिए नीचे दिये गए विडियो को देखें।)
Watch related information below
(संबंधित जानकारी नीचे देखें।)
Download the above referenced information
(उपरोक्त सन्दर्भित जानकारी को डाउनलोड करें।)
Click here to downlod
Comments