'सन्सार', 'सन्मेलन' जैसे शब्द शुद्ध नहीं हैं क्यों? || अनुस्वार के प्रयोग || use of anusar in hindi
हिन्दी भाषा में कुछ शब्द जैसे― सन्सार, सन्मेलन, अन्श, अन्स,आसंन, सन्मति,जंम/जम्म, समंवय, सामांय, कंया शब्द सर्वदा अशुद्ध है। इन्हें शुद्ध रूप में इस तरह लिखा जाता है― संसार, सम्मेलन, अंश, अंस, आसन्न, सम्मति, जन्म, समन्वय, सामान्य, कन्या।
अनुस्वार के प्रयोग के नियम
कुछ नियमों के बारे में संक्षेप में जान लेते हैं।
नियम― यदि किसी शब्द पर अनुस्वार का प्रयोग हुआ हो तो अनुस्वार के बदले में पंचम वर्ण (ङ्, ञ्, ण्, न्, म् - आधे वर्ण) का प्रयोग होता है।
य, र, ल, व, अंत्यस्थ व्यंजन एवं श, ष, स, ह ऊष्म व्यंजन हैं। क्ष, ज्ञ, त्र, श्र संयुक्त व्यंजन हैं।
(1) 'य' एवं 'व' व्यंजन के पूर्व केवल 'न्' का ही प्रयोग होता है।
उदाहरण― समन्वय, अन्वय, सामान्य, कन्या, अन्य आदि।
(2) 'स' एवं 'श' में केवल अनुस्वार का ही प्रयोग होता है।
उदाहरण― अंश, संशय, अंस।
(3) 'ट' वर्ग में 'ण', 'त' वर्ग में 'न' एवं 'प' वर्ग में 'म' के पूर्व अनुस्वार नहीं लगता।
उदाहरण― अक्षुण्ण, सम्मेलन, आसन्न, सम्मति आदि।
(4) कुछ शब्दों में 'म' के पूर्व अपवाद स्वरूप 'न्' का प्रयोग होता है।
उदाहरण― आजन्म, जन्म, चिन्मय आदि।
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R F Temre
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