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काव्य के प्रकार- श्रव्य काव्य, दृश्य काव्य, प्रबंध काव्य, मुक्तक काव्य, महाकाव्य, खंडकाव्य, आख्यानक गीतियाँ

भाषा के माध्यम से सौंदर्यानुभूति की अभिव्यक्ति 'काव्य' है। पंडित जगन्नाथ के अनुसार, "रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम्" अर्थात् रमणीय अर्थ का प्रतिपादन करने वाले शब्द को काव्य कहते हैं।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार "जो उक्ति हृदय में कोई भाव जागृत कर दे या उसे प्रस्तुत वस्तु या तथ्य की मार्मिक भावनाओं में लीन कर दे, उसे काव्य कहते हैं।"
"कविता का साधन है जिसके द्वारा सृष्टि के साथ मनुष्य के रागात्मक संबंध की रक्षा और निर्वाह होता है।"
"जिस प्रकार आत्मा की मुक्तावस्था ज्ञानदशा कहलाती है। हृदय की इसी मुक्ति की साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द विधान करती आयी है, उसे कविता कहते हैं।"
जयशंकर प्रसाद के अनुसार, "आत्मा की संकल्पनात्मक अनुभूति ही काव्य है।"
आचार्य विश्वनाथ के अनुसार, "रसात्मकं वाक्यं काव्यम्" अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है।

काव्य के दो प्रकार हैं-
1. श्रव्य काव्य- इसके भी दो प्रकार हैं-
(i) प्रबंध काव्य- महाकाव्य, खंडकाव्य, आख्यानक गीतियाँ
(ii) मुक्तक काव्य- पाठ्य मुक्तक, गेय मुक्तक
2. दृश्य काव्य- नाटक और एकांकी

इस 👇 बारे में भी जानें।
1. हिंदी गद्य साहित्य की विधाएँ
2. हिंदी गद्य साहित्य की गौण (लघु) विधाएँ

श्रव्य काव्य- जिस रचना का रसास्वादन सुनकर या पढ़कर किया जा सके, उसे 'श्रव्य काव्य' कहते हैं।
जैसे- गोस्वामी तुलसीदास रचित 'रामचरित मानस'

प्रबंध काव्य- प्रबंध काव्य के छंद एक कथा के धागे में माला की तरह गुँथे होते हैं, अर्थात् जो रचना कथा-सूत्रों या छंदों की तारतम्यता में अच्छी तरह निबध्द हो, उसे प्रबंध काव्य कहते हैं। जैसे- साकेत, रामचरित मानस। प्रबंध काव्य के दो भेद होते हैं- महाकाव्य और खंडकाव्य

महाकाव्य- महाकाव्य में जीवन का अथवा घटना विशेष का सांगोपांग चित्रण होता है। वृहद् काव्य होने के कारण ही इसे महाकाव्य कहा जाता है।

महाकाल की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. महाकाव्य में आठ या उससे अधिक सर्ग होते हैं।
2. महाकाल का नायक धीरोदात्त गुणों से युक्त होता है।
3. इसमें शांत, वीर अथवा श्रंगार रस में से किसी एक की प्रधानता होती है।
4. महाकाव्य में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
5. इसमें अनेक छंदों का प्रयोग होता है।

टीप- रामचरित मानस में सात सर्ग होने पर भी इसे महाकाव्य के अंतर्गत रखा गया है।

प्रमुख महाकाव्य एवं उनके रचनाकार निम्नलिखित हैं-
1. पृथ्वीराज रासो- चंदबरदायी
2. पद्मावत- मलिक मुहम्मद जायसी
3. साकेत- मैथिलीशरण गुप्त
4. रामचरित मानस- तुलसीदास
5. कामायनी- जयशंकर प्रसाद
6. उर्वशी- रामधारी सिंह दिनकर

खंडकाव्य- खंडकाव्य में नायक के जीवन की किसी एक घटना अथवा हृदयस्पर्शी अंश का पूर्णता के साथ अंकन किया जाता है।

खंडकाव्य के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं-
1. खंडकाव्य में मानव के किसी एक पक्ष का चित्रण होता है।
2. इसमें एक ही छंद का प्रयोग होता है।
3. कथावस्तु पौराणिक या ऐतिहासिक विषयों पर आधारित होती है।
4. श्रंगार व करुण रस प्रधान होता है।
5. इसका उद्देश्य महान होता है।

प्रमुख खंडकाव्य एवं उनके रचनाकार निम्नलिखित हैं-
1. पंचवटी- मैथिलीशरण गुप्त
2. जयद्रथ वध- मैथिलीशरण गुप्त
3. सुदामा चरित- नरोत्तम दास
4. मेघदूत- कालिदास
5. हल्दीघाटी का युद्ध
6. पथिक

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. व्याकरण क्या है
2. वर्ण क्या हैं वर्णोंकी संख्या
3. वर्ण और अक्षर में अन्तर
4. स्वर के प्रकार
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6. व्यंजनों का वर्गीकरण
7. अंग्रेजी वर्णमाला की सूक्ष्म जानकारी

महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर निम्नलिखित है-
1. महाकाव्य का आकार विशाल होता है, जबकि खंडकाव्य का आकार सीमित होता है।
2. महाकाव्य में संपूर्ण जीवन का अंकन होता है, जबकि खंडकाव्य में जीवन के किसी एक खंड का अंकन होता है।
3. महाकाव्य में अनेक छंदों का प्रयोग किया जाता है, जबकि खंडकाव्य में एक ही छंद का प्रयोग होता है।
4. महाकाव्य में श्रंगार, वीर एवं शांत रस की प्रधानता होती है, जबकि खंडकाव्य में श्रृंगार एवं करुण रस की प्रधानता होती है।

आख्यानक गीत- महाकाव्य एवं खंडकाव्य से भिन्न पद्यबद्ध कहानी को आख्यानक गीत कहते हैं। इसमें शौर्य, पराक्रम, त्याग, बलिदान, प्रेम, करूणा आदि मानवीय भावों के प्रेरक एवं उद्बोधक घटना चित्र प्रस्तुत किए जाते हैं। नाटकीयता एवं गीतात्मकता इसकी प्रमुख विधाएँ हैं। इसकी भाषा सरल, स्पष्ट और रोचक होती है।

हिंदी साहित्य के प्रमुख आख्यानक गीत एवं उनके रचनाकार निम्नलिखित हैं-
1. झाँसी की रानी- सुभद्रा कुमारी चौहान
2. रंग में भंग- मैथिलीशरण गुप्त

हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. लिपियों की जानकारी
2. शब्द क्या है

मुक्तक काव्य- मुक्तक काव्य ऐसी रचना को कहते हैं जिसमें कथा नहीं होती तथा जिसके छंद अर्थ की दृष्टि से पूर्वापर के प्रसंगों से मुक्त होते हैं। जैसे- मधुशाला, बिहारी सतसई। मुक्तक काव्य में प्रत्येक छंद अपने आप में स्वतंत्र और पूर्ण रहता है। छंदों या गीतों का क्रम बदल देने पर भाव स्पष्ट करने में असुविधा नहीं होती।
सामान्यतः इसके अंतर्गत गीत, कविता, दोहा, पद आदि आते हैं। सूर, मीरा, बिहारी, रहीम जैसे कवियों के गेय पद मुक्तक काव्य के उदाहरण हैं। इस काव्य में किसी एक अनुभूति, भाव या कल्पना का चित्रण होता है। इस काव्य के दो भेद हैं- पाठ्य मुक्तक और गेय मुक्तक

पाठ्य मुक्तक- पाठ्य मुक्तक में विभिन्न विषयों में लिखी गई छोटी-छोटी विचार प्रधान कविताएँ आती हैं। इनमें भावों की अपेक्षा विचारों की प्रधानता होती है। कबीर, तुलसी, रहीम, बिहारी, मतिराम के नीतिपरक, भक्तिपरक एवं श्रृंगारपरक दोहे इसके उदाहरण हैं।

गेय मुक्तक- इसको प्रगीत भी कहते हैं। इसमें भावना और रागात्मकता एवं संगीतात्मकता की प्रधानता होती है। कबीर, तुलसी, सूर, मीरा के गेय पद तथा आधुनिक युग के प्रसाद, निराला, पंत तथा महादेवी वर्मा आदि की कविताएँ इसी श्रेणी की हैं।

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8. पर्यायवाची शब्द सूक्ष्म अन्तर एवं सूची

प्रबंध काव्य एवं मुक्तक काव्य में अंतर निम्नलिखित है-
1. प्रबंध काव्य में छंद एक कथासूत्र में पिरोए हुए होते हैं, जबकि मुक्तक काव्य में छंद एक-दूसरे से स्वतंत्र होते हैं।
2. प्रबंध काव्य में किसी एक व्यक्ति के जीवन चरित्र का वर्णन होता है, जबकि मुक्तक काव्य में किसी अनुभूति, कल्पना या भाव का चित्रण होता है।
3. प्रबंध काव्य विस्तृत होता है, जबकि मुक्तक काव्य विस्तृत नहीं होता।
4. प्रबंध काव्य में छंदों के क्रम को परिवर्तित नहीं किया जा सकता, जबकि मुक्तक काव्य में छंदों के क्रम को परिवर्तित किया जा सकता है।

दृश्य काव्य- जिस रचना का रसास्वादन देखकर, सुनकर या पढ़कर किया जा सके, उसे 'दृश्य काव्य' कहते हैं। जैसे जयशंकर प्रसाद लिखित 'स्कंदगुप्त' नाटक। इसके दो भेद हैं- नाटक और एकांकी।

नाटक- इसमें अभिनय तत्व की प्रधानता रहती है। इसमें मानवीय जीवन के क्रियाशील कार्यों का अनुकरण होता है। इसमें कई अंक होते हैं।

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एकांकी- एकांकी एक अंक वाला दृश्य काव्य है। यह एक ऐसी रचना है जिसमें मानव जीवन के किसी एक पक्ष, एक चरित्र, एक समस्या और एक भाव की अभिव्यक्ति होती है।

श्रव्य काव्य और दृश्य काव्य में अंतर निम्नलिखित है-
1. श्रव्य काव्य का रसास्वादन सुनकर या पढ़कर किया जाता है, जबकि दृश्य काव्य का रसास्वादन देखकर, सुनकर या पढ़कर किया जाता है।
2. श्रव्य काव्य, दृश्य काव्य हो सकता है, किंतु दृश्य काव्य, श्रव्य काबिल नहीं हो सकता।
3. श्रव्य काव्य के अंतर्गत गीत, दोहे, पद आदि आते हैं, जबकि दृश्य काव्य के अंतर्गत नाटक और एकांकी आते हैं।
4. श्रव्य काव्य का उदाहरण- तुलसीदास का रामचरित मानस (महाकाव्य), दृश्य काव्य का उदाहरण- जयशंकर प्रसाद का स्कंदगुप्त नाटक

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आशा है, हिन्दी साहित्य में काव्य के प्रकारों की यह जानकारी आपको महत्वपूर्ण एवं परीक्षापयोगी लगेगी।
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(संबंधित जानकारी नीचे देखें।)



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Comments

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    Ankita

    Posted on October 15, 2021 05:10AM

    अति उत्तम

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