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विषयवस्तु विवरण



वर दे! कविता- अभ्यास व व्याकरण | var de kavita Exercise and grammar

अभ्यास
बोध प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से खोजकर लिखिए-

वीणावदिनि- वीणा का वादन करनेवाली माँ सरस्वती देवी।
नव- नया।
अंध- अज्ञान।
उर- हृदय।
बंधन- बँधे या जकड़े हुये।
स्तर- तहें।
विहग वृन्द- पक्षियों का समूह।
कलुष- मन के विकार या मलिन भाव।
तम- अज्ञान रूपी अंधकार।
हर- दूर कर।
प्रकाश- उजाला।
नवल- नवीन।
मन्द्र- गंभीर।
रव- स्वर।
जननि- मांँ।
तम- अंधकार रूपीअज्ञान।
पर- पंख।
कलुष भेद- मन के मलिनभाव।
जगमग- जगमगाना।
जग- संसार।
ज्योतिर्मय- प्रकाश से युक्त।
निर्झर- झरना।

प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए-

(क) 'नव नभ' के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर- 'नव नभ' के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि सभी प्राणी इस नये भारतवर्ष की रचना करें और उन्हें इस निर्माण में सभी नये साधन प्राप्त हों।

(ख) इस कविता में कवि किससे वरदान माँग रहा है?

उत्तर- इस कविता में कवि ज्ञान की देवी माँ सरस्वती से वरदान माँग रहा है।

(ग) कवि भारत में कौन सा मंत्र भरने की बात कह रहा है?

उत्तर- कवि भारत में नवीन अमृत मन्त्र भरने की बात कह रहा है।

प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए-

(क) कवि माँ सरस्वती से क्या वरदान चाह रहा है?

उत्तर- कवि माँ सरस्वती से भारत में स्वतंत्रता का अमृत मन्त्र भर देने, भारत देश के वासियों के हृदय में अंधकार रूपी अज्ञान को दूर कर प्रकाश रूपी ज्ञान भरने, मन के दुर्भावों को दूर कर ज्ञान के प्रकाश से जगमगाने का वरदान चाह रहा है।

(ख) कवि प्रकृति की हर वस्तु में नया रूप क्यों देखना चाह रहा है?

उत्तर- कवि प्रकृति की हर वस्तु में नया रूप देखना चाहते हैं, क्योंकि हमारे भारत देश में हर ओर एक नवीनता हो और नए सिरे से हमारे भारत का नव निर्माण करें। कवि कहते हैं- नव विकास, नवीन तान-लय और गीत हो। नया कंठ हो, नवीन बादलों के समान गंभीर ध्वनि हो और इस नवीन आकाश में विचरण करने वाले नवीन पक्षियों के समूह को नये पंखो सहित नव स्वर प्रदान करें जिससे प्रकृति के कण-कण में नवीनता आए और भारत की धरती का सौंदर्य अनुपम हो सके।

कविता 👇 का अर्थ पढ़ें।
वर दे ! कविता (सरस्वती वन्दना) का अर्थ

प्रश्न 4. निम्नलिखित पंक्तियों की उचित शब्दों से पूर्ति कीजिए-

(क) कलुष भेद, तम हर प्रकाश भर।

(ख) काट अन्ध उर के बंधन स्तर।

(ग) बहा जननी ज्योतिर्मयी निर्झर।

(घ) नव पर, नवस्वर दे।

प्रश्न 5. निम्नलिखित पंक्तियों में भाव स्पष्ट कीजिए-

क. काट अन्ध उर के बन्धन स्तर
बहा जननि ज्योतिर्मय निर्झर।

भावार्थ- हे माँ सरस्वती! मनुष्य मात्र का हृदय जो अज्ञानता की विभिन्न तहों से जकड़ा हुआ है, उन्हें हटा दें और उन्हें दूर कर हर प्रकार की अज्ञानता से मुक्त कर दें। उनके हृदयों में ज्ञान का ज्योति रूपी झरना बहा दे।

ख. नव नभ के नव विहग वृन्द को
नव पर नव स्वर दे।

भावार्थ- हे माँ सरस्वती! नवीन आसमान में, नवीन पक्षियों के समूहों को, नवीन पंख देते हुए नवीन वाणी प्रदान करो।

प्रश्न 6. सही विकल्प चुनकर लिखिए-

क. 'नव नभ' के नव विहग वृन्द को' पंक्ति में अलंकार है-

(अ) यमक
(आ) अनुप्रास
(इ) श्लेष

उत्तर- (आ) अनुप्रास

ख. 'वर दे' कविता के रचयिता हैं-

(अ) सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
(आ) जयशंकर प्रसाद
(इ) गिरधर

उत्तर- (अ) सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

ग. विहग वृन्द का आशय है-

(अ) पशुओं का समूह
(आ) मनुष्य का समूह
(इ) पक्षियों का समूह

उत्तर- (इ) पक्षियों का समूह

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए-

वीणावादिनि, स्वतंत्र, अमृत, ज्योतिर्मय, विहग वृन्द, बन्धन, निर्झर, जननि।

टीप- विद्यार्थीगण उक्त शब्दों का शुद्ध उच्चारण करें।

प्रश्न 2. वर दे! पाठ में आए 'र' के विभिन्न रूप (र्र, ऋ और र) वाले शब्द छाँटकर लिखिए।

(1) रेफ वाले शब्द- ज्योतिर्मय, निर्झर (2) रकार वाले शब्द- प्रिय, प्रकाश, मन्द्र (3) ऋकार वालेशब्द- अमृत, वृन्द (4) 'र' के रूप में- वर, रव, भर, भारत, उर, स्तर, कर, पर, स्वर

प्रश्न 3. निम्नलिखित शब्दों के नीचे बनी पहेली से दो-दो पर्यायवाची शब्द खोजकर लिखिए-

अमृत, जननी, रात, जग, आकाश, विहग

paryayavachi-shabd-paheli
अमृत- सुधा, अमिय

जननी- माता, माँ

रात- रात्रि, निशा

जग- संसार, जगत

आकाश- गगन, नभ

विहग- पक्षी, खग

प्रश्न 4. 'तम हर' 'प्रकाश भर' में एक-दूसरे के विपरीत अर्थ वाले शब्द प्रयुक्त हुए हैं। इस प्रकार के 5 शब्द लिखिए, जिससे विपरीत अर्थ (विलोम) प्रकट होता हैं।

क्र. शब्द – विलोम शब्द

1. तम ..... प्रकाश 2. स्वतंत्र – परतंत्र 3. बंधन – मुक्त 4. नव – प्राचीन 5. अमृत – विष

upma_alankar
प्रश्न 5. निम्नलिखित उदाहरणों में से उपमेय, उपमान, साधारण धर्म, वाचक शब्द छाँटकर तालिका में लिखिए।

1. सीता का मुख चन्द्रमा के समान सुन्दर है।
2. पीपर पात सरिस मन डोला।
3. हरिपद कोमल कमल से।
4. नन्दन वन-सी फूल उठी वह छोटी-सी कुटिया मेरी।"

क्र. उपमेय – उपमान – साधारण धर्म – वाचक शब्द

1. सीता ..... चन्द्रमा ....... सुन्दर ............ समान
2. मन ....... पीपर पात ... डोला ............. सरिस
3. हरिपद .... कमल ....... कोमल ............ से
4. कुटिया .... नन्दन वन .. फूल उठी ......... सी

योग्यता विस्तार

(1) वर दे! कविता को कंठस्थ कीजिए और विद्यालय में प्रार्थना के समय इसका गायन सामूहिक रूप से कीजिए।

(2) इस कविता को पढ़कर आपके मन में जो विचार उत्पन्न हुए हैं उन्हें अपने साथियों को सुनाइए।

(3) इसी प्रकार की अन्य कविताएँ अपने शिक्षक की सहायता से संग्रहित कीजिए।

टीप- विद्यार्थीगण उपरोक्त बिन्दुओं के आधार पर क्रियाकलाप करें।
समाप्त

इन 👇 कविताओं बारे में भी जानें।
1. जिसने सूरज चाँद बनाया भावार्थ एवं अभ्यास
2. पुष्प की अभिलाषा भावार्थ
3. पुष्प की अभिलाषा पाठ का अभ्यास
4. 'मत ठहरो तुमको चलना ही चलना है।'
5. प्रायोजनाकार्य- विजयी विश्व तिऱंगा प्यारा

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