पाठ–5 'श्री मुफ़्तानन्द जी से मिलिए' कक्षा 8 अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं भाषा अध्ययन) | Path 8 Shri Muftanand ji se Miliye
शब्दार्थ –
मुफ़्त = बिना मूल्य दिए प्राप्त करना
मुफ़्तानन्द = मुक्त का आनंद लेने वाले
ज्वलन्त = महत्वपूर्ण, स्पष्ट
जान = पहचान वाले, परिचित लोग
हाथ बढ़ाया = ले लिया
ट्रेन = रेलगाड़ी
सफर = यात्रा
अजनबी = अपरिचित
निसंकोच = बिना किसी संकोच के,बेझिझक
दैनिक पत्र = प्रतिदिन छपकर निकलने वाला समाचार–पत्र
रोजाना = प्रतिदिन
प्रसादी = देवता को भोग लगा देने के बाद प्राप्त प्रसाद
नामावली = क्रमबध्द नामों का विवरण
कण्ठस्थ है = मौखिक रूप से स्मरण है
ज्ञानवर्ध्दन = ज्ञान की बढ़ोत्तरी के लिए
पाप समझते हैं = उचित नहीं मानते हैं
इहलोक = मृत्युलोक
मुफ्त = बिना कुछ खर्च किए ही
परलोक = दूसरे लोक
जीवनयापन = जीवन बिताने के लिए
टोह में = तालाब में
दृढ़ = पक्का
विश्वास = मानना
आनंद से = सुखपूर्वक
निभा दी = निर्वाह कर दिया
मुक्ति = मोक्ष
साष्टांग = पूरे शरीर को जमीन पर लिटा कर
दण्डवत् = प्रणाम, नमस्कार ।
कक्षा 8 हिन्दी के इन 👇 पाठों के बारे में भी जानें।
1. पाठ 1 वर दे! कविता का भावार्थ
2. पाठ 1 वर दे! अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण)
3. उपमा अलंकार एवं उसके अंग
4. पाठ 2 'आत्मविश्वास' अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण)
5. मध्य प्रदेश की संगीत विरासत पाठ के प्रश्नोत्तर एवं भाषा अध्ययन
6. पाठ 8 अपराजिता हिन्दी (भाषा भारती) प्रश्नोत्तर एवं भाषाअध्ययन
बोध प्रश्न
प्रश्न 1 निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से खोजकर लिखिए ।
उत्तर – निसंकोच = बिना संकोच के बेझिझक
जीवनयापन = जीवन बिताना
खुशामद = चापलूसी
मुफ़्तानंद = बिना खर्च किए ही प्राप्त वस्तु का आनंद
कृतकृत्य = धन्य
तिकड़म = जुगाड़, चतुराई
इहलोक = मृत्युलोक
साष्टांग = आठ अंगों (सिर, आँख, हृदय, पैर, हाथ, मन, कर्म और वचन) से प्रणाम करना।
प्रश्न 2 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए–
(क) लेखक ने इस पाठ का नाम मुख्य पात्र के नाम पर क्यों रखा?
उत्तर – लेखक ने इस पाठ का नाम 'श्री मुफ़्तानंद जी' रखा, क्योंकि कुछ लोग अपने जीवन भर मुफ़्त में कुछ न कुछ प्राप्त करने की जुगाड़ में लगे रहते हैं। अतः व्यंग्य के माध्यम से लेखक ने समाज में फैली बुराइयों को उजागर किया है।
(ख) 'मुफ़्तखोरों के सरताज' किसे कहा गया है?
उत्तर – 'मुफ़्तखोरों के सरताज' मुफ्तानंद को कहा गया है, जो किसी भी वस्तु को प्राप्त करने के लिए पैसा खर्च करना नहीं चाहते। वे मुफ़्त में प्राप्त वस्तुओं का आनंद उठाते हैं ।
(ग) लेखक से मुफ्तानंद ने कौन-सी ग्रंथावली माँगी ?
उत्तर– लेखक से मुफ़्तानंद ने कालिदास ग्रंथावली मांगी।
(घ) मुफ्तानंद जी की कमीज कहाँ और क्यों फटी?
उत्तर– मुफ्तानंद जी की कमीज मुफ़्त में बर्फ प्राप्त करने के लिए लगी हुई कतार (Que) में लगने पर फट गयी। मुफ़्तखोरों द्वारा की गई खींचातानी में उन महोदय की कमीज फट गई।
(ड़) लेखक मुफ्तानंद जी को साष्टांग प्रणाम क्यों करता है ?
उत्तर– लेखक मुफ़्तानंद जी को साष्टांग प्रणाम करता है क्योंकि लेखक ने उन जैसा मुफ्तखोर नहीं पाया, न देखा। वे इस मृत्युलोक को भी मुफ्त में सुधार गये तथा अब परलोक की टिकट भी मुफ़्त में प्राप्त करने की जुगाड़ में है।
हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. व्याकरण क्या है
2. वर्ण क्या हैं वर्णोंकी संख्या
3. वर्ण और अक्षर में अन्तर
4. स्वर के प्रकार
5. व्यंजनों के प्रकार-अयोगवाह एवं द्विगुण व्यंजन
6. व्यंजनों का वर्गीकरण
7. अंग्रेजी वर्णमाला की सूक्ष्म जानकारी
प्रश्न 3 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए –
(क) मुफ्तानंद महोदय की मुफ़्तखोरी की घटनाओं में से आपको सबसे अधिक प्रभावित किस घटना ने किया? लिखिए।
उत्तर–मुफ्तानंद महोदय मुफ़्त में ही पान खाने का शौक, कटी पतंग को लूटना, मुफ़्त में ही दैनिक पत्रों को पढ़ना, अपने दश पुत्र और पुत्रियों को मुफ़्त में ही शिक्षा प्राप्त करा लेने की जुगाड़, मुफ़्त में पुस्तकें प्राप्त करके अपना लाभ कमाना, फ्री पास लेकर रद्दी से रद्दी थियेटर देखना, मुफ़्त में बर्फ प्राप्त करना, मुफ़्त में औषधि प्राप्त करना तथा मुफ़्त में ही परलोक सुधार लेना संबंधित सभी घटना हास्य प्रधान है, परंतु मुफ्तानंद जी द्वारा अपनी उम्र के इस पड़ाव पर भी कटी पतंग को लूटने की घटना बहुत ही प्रभावित करती है मुफ्तानंद जी बेतहाशा दौड़ लगाते हुए कटी पतंग को लूटना चाहते हैं। उन्हें अपने शरीर में चोट लगने और दूसरे व्यक्तियों द्वारा मजाक उड़ाये जाने की भी कोई चिंता नहीं है।
(ख) मुफ़्तानंद जी पढ़ने के लिए समाचार-पत्र कैसे प्राप्त करते थे?
उत्तर – लेखक महोदय के घर प्रतिदिन प्रकाशित होने वाले दो समाचार-पत्र आते हैं। उन अखबारों को सबसे पहले मुक्तानंद जी पढ़ते हैं। उनका पढ़ना ही किसी धार्मिक अनुष्ठान में लगाये गये भोग के समान है। उनके पढ़ लेने के बाद ही लेखक महोदय अपने अखबार को 'प्रसाद' रूप में प्राप्त करते हैं। वैसे उन्हें अपने मोहल्ले के उन सभी आदमियों के नाम याद है जिनके घर प्रतिदिन अखबार खरीदा जाता है। इस तरह कभी-कभी उन सभी के घरों पर समाचार-पत्र पढ़ने के लिए वे चले जाते हैं। उनका यह कहना भी उचित ही लगता है कि प्रत्येक मनुष्य को अपने ज्ञानवर्ध्दन के लिए अधिक से अधिक समाचार-पत्र पढ़ने चाहिए परंतु वे मुफ़्त में ही समाचार-पत्र पढ़ लेते हैं और समाचार-पत्रों के खरीदने पर पैसे खर्च करना उनके लिए पाप ही है।
(ग) मुफ़्तानंद जी दूसरों से पुस्तकें माँगकर उनका क्या करते थे?
उत्तर – मुफ्तानंद जी दूसरों से पुस्तकें माँगकर, उन पुस्तकों को वे व्यक्ति को देते थे, जिससे मुफ़्तानंद जी अपना लाभ प्राप्त करते थे। देखिए उन मुफ़्तानंद जी की चतुराई कि वे दूसरों की पुस्तकों के माध्यम से अपना लाभ कमाते हैं। लेखक महोदय ने उन मुफ़्तखोर महोदय को यह भी बताया कि पुस्तकें दे दिए जाने के बाद लौटकर कभी नहीं आती है। दो दिन में लौटा कर देने वाले वायदे पर लेखक ने अपनी पुस्तकें दे दी, लेकिन दो वर्ष बीत जाने पर भी पुस्तकें लौटाई नहीं गई। इस तरह मुफ़्त में माँगकर लाई गई पुस्तकों से उन्होंनें अपनी अलमारी को भर रखना है। अपनी अलमारी पर किसी भी व्यक्ति की निगाह भी नहीं पड़ने देते। वास्तव में, उनके पास सभी पुस्तकें बिना मूल्य के दिए ही प्राप्त कर ली गई हैं।
हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. लिपियों की जानकारी
2. शब्द क्या है
3. रस के प्रकार और इसके अंग
4. छंद के प्रकार– मात्रिक छंद, वर्णिक छंद
5. विराम चिह्न और उनके उपयोग
6. अलंकार और इसके प्रकार
(घ) लेखक ने 'कबीर का रहस्यवाद' किस संदर्भ में कहा है ?
उत्तर– लेखक ने कबीर के रहस्यवाद का संदर्भ इस रूप में कहा कि मुफ्तानंद जी जब भी बीमार हुए, तब उन्होंने अपने इलाज पर कुछ भी खर्च नहीं किया। उन्होंने 'दवा' तो क्या उस शीशी के पैसे भी कभी भी अपने जेब से नहीं दिये। डॉक्टर, वैद्य और हकीम कहने को तो सबके दोस्त होते हैं, परंतु अपनी फीस, औषधि की कीमत किसी पर भी नहीं छोड़ते। इस तरह आखिर में उन्हें औषधि भी सरकारी अस्पताल से ही मिल जाती है। यही तो कबीर का रहस्यवाद है अर्थात् रहस्य कि बात तो यह है कि मुफ़्तानंद जी को सभी औषधियाँ मुफ्त में ही प्राप्त हो जाती हैं। डॉक्टर तो दुनिया की नब्ज टटोलते हैं और मुफ्तानंद जी डॉक्टरों की अर्थात् डॉक्टरों से नि:शुल्क औषधि प्राप्त करने में सफल हो जाते हैं। इस तरह यही कबीर से राहस्यवाद के सामान बात हैं।
(ड) परलोक के संबंध में मुफ्तानंद जी की क्या धारणा है ?
उत्तर– इहलोक की भाँति ही मुफ्तानंद जी परलोक में भी मुफ़्त जीवनयापन के सपने सँजोए हैं। उनका दृढ़ विश्वास है कि जब भगवान ने इहलोक में आनंदपूर्वक निभा दी तो परलोक में भी भगवान मुफ़्त में ही उनकी मुक्ति कर देंगे।
प्रश्न 4 रिक्त स्थान भरिए। हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। भाषा – अध्ययन प्रश्न 1 निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए और उन्हें अपने वाक्य में प्रयोग कीजिए– प्रश्न 2 निम्नलिखित सामानोच्चारित भिन्नार्थक शब्दों का अर्थ स्पष्ट करते हुए वाक्यों में प्रयोग कीजिए– हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। प्रश्न 3 निम्नलिखित मुहावरों/कहावतों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए– प्रश्न 4 निम्नलिखित अनुच्छेद में यथास्थान विराम- चिन्हों का प्रयोग कीजिए– प्रश्न 5 'अजनबी' शब्द का हिंदी में रूप ' अपरिचित' है इसी प्रकार निम्नलिखित शब्दों के हिंदी रूप लिखिए– इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें। प्रश्न 6 (क) इस पाठ से कुछ ऐसे वाक्य छाँटकर लिखिए, जिनमें सर्वनाम का प्रयोग विशेषण की तरह किया गया है। प्रश्न 7 विशेषणों के पुनरुक्ति वाले विभिन्न अर्थ (भाव) के दो– दो वाक्य लिखिए। इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें। आशा है, उपरोक्त पाठ का अभ्यास कार्य विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगा। I hope the above information will be useful and important. Watch related information below
(1) मुफ़्त का चंदन घिस मेरे नन्दन।
(2) माले मुफ़्त दिलेबेरहम।
1. शब्द क्या है- तत्सम एवं तद्भव शब्द
2. देशज, विदेशी एवं संकर शब्द
3. रूढ़, योगरूढ़ एवं यौगिकशब्द
4. लाक्षणिक एवं व्यंग्यार्थक शब्द
5. एकार्थक शब्द किसे कहते हैं ? इनकी सूची
6. अनेकार्थी शब्द क्या होते हैं उनकी सूची
7. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द (समग्र शब्द) क्या है उदाहरण
8. पर्यायवाची शब्द सूक्ष्म अन्तर एवं सूची
निमंत्रण, सिद्धांत, अनुष्ठान, तिलांजलि, कृतकृत्य, कण्ठस्थ, साष्टांग, कृतार्थ।
उत्तर –विघार्थीगण उपर्युक्त शब्दों को पढ़कर उनका शुद्ध उच्चारण करें और लिखें।
वाक्य – प्रयोग
(1) निमंत्रण– मेरी पुत्री के जन्मोत्सव के अवसर पर आपका निमंत्रण है।
(2) सिद्धांत– प्रसिद्ध वैज्ञानिकों ने अनेक बार प्रयोग करके सिद्धांतों का निरूपण किया।
(3)अनुष्ठान– आज मेरे परिवार में कुछ विशेष अनुष्ठानों का आयोजन किया जा रहा है।
(4)तिलांजलि– अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित रीति-रिवाजों को तिलांजलि देकर परंपराएँ कायम नहीं रह सकती।
(5) कृतकृत्य– देव-दर्शन करके हम सभी कृतकृत्य हो गए।
(6) कण्ठस्थ– बालकों को को अपनी कक्षा की कविताएँ कण्ठस्थ कर लेनी चाहिए।
(7) साष्टांग– हमारे देश में संन्यासियों को आज भी साष्टांग प्रणाम किया जाता है।
(8) कृतार्थ– गंगाजल के स्पर्श मात्र से प्राणी कृतार्थ हो जाता है।
(1) अन्न - अन्य
उत्तर अन्न = अनाज, अन्य = दूसरा।
प्रयोग– (1) अन्न उत्पादन में भारत उन्नति कर रहा है।
(2)आजादी के समय भारत अन्य देशों से अन्न माँगता था।
(2) आदि-आदी
आदि = प्रारंभ के, आदी =आदत पड़ जाना।
प्रयोग–(1) द्रोणाचार्य पांडवो के आदि गुरु थे ।
(2) वह सिगरेट पीने का आदी है।
(3) अनल-अनिल
अनल = आग, अनिल = हवा।
प्रयोग–(1) अनल सबको भस्म कर देती है।
(2) अनिल के सहारे जीवन बना रहता है ।
(4)अकथ-अथक
अकथ = न कहने योग्य, अथक = न थके हुए।
प्रयोग–(1) उसकी अकथ कहानी है।
(2) अथक परिश्रम से सफलता मिल सकती है।
(5) उपकार-अपकार।
उपकार = भलाई, अपकार = बुराई ।
प्रयोग–(1) भारतीय मनीषियों ने संसार में अनेक उपकार किए हैं।
(2) अपकारी जन निंदा का पात्र होता है।
1. 'ज' का अर्थ, द्विज का अर्थ
2. भिज्ञ और अभिज्ञ में अन्तर
3. किन्तु और परन्तु में अन्तर
4. आरंभ और प्रारंभ में अन्तर
5. सन्सार, सन्मेलन जैसे शब्द शुद्ध नहीं हैं क्यों
6. उपमेय, उपमान, साधारण धर्म, वाचक शब्द क्या है.
7. 'र' के विभिन्न रूप- रकार, ऋकार, रेफ
8. सर्वनाम और उसके प्रकार
1. यथा नाम तथा गुण
2. माले मुफ्त दिले बेरहम
3. मुफ्त का चंदन घिस मेरे नंदन
4. धरना देना
5. नब्ज टटोलना
6. टोह में रहना।
उत्तर–(1) भीम ने अनेक योद्धाओं को धराशायी करके 'यथा नाम तथा गुण' सिद्ध कर दिया था।
(2) आजकल के नेताओं पर यह कहावत की 'माले मुफ्त दिले बेरहम' चरितार्थ होती है।
(3) बिना धन खर्च किए खाद्य वस्तु प्राप्त करने वाले लोग 'मुफ्त का चंदन घिस मेरे नंदन' के अनुसार खूब खाते हैं।
(4) किसानों ने अपनी माँगों के समर्थन में तहसील पर धरना दिया।
(5)विधानसभा के चुनावों में मतदाताओं की नब्ज टटोलना नेताओं के लिए आसान नहीं है।
(6) जंगली जानवर दिन छिपते ही अपनी शिकार की टोह में रहते हैं।
भगवान ने इस संसार रूपी अजायबघर में भाँति भाँति के जीव जंतु छोड़े हैं कुछ काले कुछ गोरे कुछ सुंदर कुछ असुंदर भोले और जल्लाद अलग अलग स्वभाव अलग अलग चाल ढाल मेरे पड़ौस में एक सज्जन रहते हैं नाम है मुफ्तानंद जी।
उत्तर– भगवान ने इस संसार रूपी अजायबघर में भाँति-भाँति के जीव-जंतु छोड़े हैं। कुछ काले, कुछ गोरे, कुछ सुंदर, कुछ असुंदर, भोले और जल्लाद। अलग-अलग स्वभाव, अलग-अलग चाल-ढाल। मेरे पड़ौस में एक सज्जन रहते हैं, नाम है मुफ्तानंद जी।
खुशामद, नब्ज, सलामत, दावत, बेरहम, अखबार, रोजाना, नुकसान।
उत्तर– खुशामद = चापलूसी, चाटूकारी
नब्ज = नाड़ी
सलामत = ठीक, स्वास्थ्य
दावत = भोज
बेरहम = निर्दयी
अखबार = समाचार-पत्र,
रोजाना = प्रतिदिन
नुकसान = हनि।
1. मित्र को पत्र कैसे लिखें?
2. परिचय का पत्र लेखन
3. पिता को पत्र कैसे लिखें?
4. माताजी को पत्र कैसे लिखें? पत्र का प्रारूप
5. प्रधानपाठक को छुट्टी के लिए आवेदन पत्र
उत्तर–(1) मुहल्ले में कौन-कौन लोग अखबार माँगते हैं।
(2) प्रत्येक मनुष्य को अपने ज्ञान-वर्धन के लिए समाचार-पत्र पढ़ना चाहिए।
(3) ईश्वर की कृपा से उनके छह लड़के और चार लड़कियाँ हैं।
(ख) ऐसे वाक्य बनाइए जिनमें 'वह', 'यह', 'जो', 'क्या' और 'कोई' शब्द सर्वनाम के रूप में प्रयुक्त हुए हो।
उत्तर –(1)वह पत्र लिखता है।
(2) यह मेरी पुस्तक है।
(3) यह वही है जो मेरे घर आया था।
(4) वह क्या कर रहा है?
(5)कोई आया है।
उत्तर–(1) प्रत्येक टोली में पाँच-पाँच बालक होंगे।
(2) पके-पके आम इकट्टे करो।
(3) अच्छे-से-अच्छा फल लाओ।
(4) लाल-लाल सेब मीठे होते हैं।
1. प्राथमिक शाला के विद्यार्थियों हेतु 'गाय' का निबंध लेखन
2. निबंध- मेरी पाठशाला
धन्यवाद।
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Thank you.
R F Temre
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