पाठ-12 याचक और दाता कक्षा - 8 हिन्दी अभ्यास (बोध प्रश्न एवं व्याकरण)
शब्दार्थ-
महकाती = सुगन्ध से भर देती;
राह = मार्ग,रास्ता;
पकड़ती = चली जाती;
समीप = पास;
वर्षीय = वर्ष का;
वृद्धा = बूढ़ी औरत;
दुलारती = प्रेम करती;
चुमकर = पुचकारते हुए;
असहाय = बिना सहारे वाला;
वृद्धा = बूढ़ी औरत ने;
चुप कराने का = शांत कराने का;
प्रयास = कोशिश;
ममता का आंचल = प्यार और लगाव की शरण या आश्रय;
वात्सल्य = संतान के प्रति प्रेम;
तड़प = खिंचाव,आकर्षण;
जिजीविषा = जीवित रहने की इच्छा;
श्रम = मेहनत;
स्नेह = प्रेम;
प्रसन्न = खुश;
पांवों में = पैरों पर;
याचना = मांग, प्रार्थना;
ममता = मां के प्यार की;
ममत्व = मां के प्यार की भावना;
बिता हुआ = जो घटना घटी उस सबको;
बिल्कुल = पूर्ण रूप से;
धरोहर = वह वस्तु यह द्रव्य जो कुछ समय के लिए दूसरे के पास इस विश्वास में रखी जाए कि मांगने पर उसी रूप में वापस मिल जायेगी;
मकरन्द = पराग;
गंध = महक;
महान् = बड़ी;
हो गई थी = बन गई थी;
याचक = भिखारी;
दाता = दान देने वाली।
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अभ्यास
बोध प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से खोजकर लिखिए।
उत्तर- याचक = मांगने वाला;
धरोहर = वह वस्तु या द्रव्य जो कुछ समय के लिए दूसरे के पास इस विश्वास में रखी जाए कि मांगने पर उसी रूप में मिल जाए;
वात्सल्य = बच्चों के प्रति प्रेम;
हतप्रभ = निस्तेज, शिथिल,आश्चर्यचकित;
गुहार = पुकार;
शंका = सन्देह;
जिजीविषा = जीवित रहने की इच्छा;
निस्तब्ध = बिना हिले-डुले;
सहानुभूति = हमदर्दी,संवेदना।
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए।
(क) वृध्दा मंदिर के पास क्या काम करती थी?
उत्तर- वह बूढ़ी औरत मंदिर के पास उसके दरवाजे पर फूलों की माला बेचा करती थी।
(ख) सेठ बनारसीदास के यहां किन लोगों की भीड़ लगी रहती थी ?
उत्तर- सेठ बानरसीदास के यहां जरूरतमन्दों की भीड़ लगी रहती थी।
(ग) वृध्दा सेठजी से क्या मांगने गई थी?
उत्तर- वृध्दा सेठजी से अपनी जमा की गई हांड़ी से कुछ रुपए मांगने के लिए गई थी। वह अपने बीमार बच्चे को इलाज डॉक्टर को दिखाकर करा लेना चाहती थी।
(घ) सेठजी ने अपने बच्चे की पहचान कैसे की?
उत्तर- वृद्धा ने अपने बच्चे को बहुत गम्भीर दशा में देखा। उसने पता नहीं, क्या सोचा? अचानक वह उठी और बच्चे को अपनी गोद में उठाकर सेठ के घर की ओर चल पड़ी। बच्चे का शरीर ज्वर से तप रहा था। उधर वृद्धा का कलेजा भी क्रोध से जल रहा था। वह बच्चे को लेकर सेठजी के घर पहुंची और धरना देकर बैठ गई।नौकर ने सेठजी के आदेश का भागा देना चाहा। लेकिन वह टस-से-मस नहीं हुई सेठजी स्वयं आए, उन्हें क्रोध आ रहा था लेकिन जैसे ही बच्चे को देखा तो उनका चेहरा निस्तेज हो गया।बच्चे का चेहरा, उनके पुत्र मोहन से मिलता-जुलता था। मोहन खो गया था। सात वर्ष पहले खोये हुए मोहन की जांघ पर लाल चिन्ह को देखकर सेठजी ने अपने पुत्र मोहन को पहचान लिया।
(ङ) बच्चा फिर से बीमार क्यों पड़ गया?
उत्तर- वृद्धा उस बच्चे को सेठजी को न चाहते हुए देकर अपनी झोंपड़ी में आकर शांत लेटी हुई थी। उसके आंसू बह रहे थे। उधर वह बच्चा दवाओं के प्रभाव से होश में आने लगा। उसने अपनी आंखें खोली और बोला-‘मां’। मां, उसके पास नहीं थी। वह रोने लगा। उसकी हालत फिर से बिगड़ने लगी। ममतामयी वृद्धा मां के बिना वह बच्चा फिर से बीमार पड़ गया।
प्रश्न 3. उपयुक्त शब्दों का चयन कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) वृद्धा निस्तब्ध टाट पर लेटी हुई आंसू बहा रही थी।
(ख) असहाय बच्चे को देख मां का ममत्व जाग उठा।
(ग) आंसुओं में फूलों का मकरन्द और ममता की गंध थी।
(घ) सेठजी बच्चे को देखकर हतप्रभ रह गए।
(ड) वात्सल्य की तड़प ने वृद्धा की जिजीविषा बढ़ा दी थी।
प्रश्न 4. सही जोड़ी बनाइए-
(अ) – (ब)
फूल – दाता
याचक – ममता
मां – फुलवारी
मंदिर – मानवता
मानव – पूजा
उत्तर-
(अ) – (ब)
फूल – फुलवारी
याचक – दाता
मां – ममता
मंदिर – पूजा
मानव – मानवता
प्रश्न 5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए-
(क) वृद्धा को उसकी मंजिल किस तरह मिल गई थी?
उत्तर- कोई बच्चा अपने माता-पिता से भटक गया। उसने देखा कि वह बच्चा असहाय था और रो रहा था। उस वृद्धा ने उस बच्चे को अपनी गोद में बिठाया और उस रोते बच्चे को शांत करने की कोशिश करने लगी। बच्चे को मां की ममता मिल गई।उसे मां का आंचल मिला, वहां अब सब कुछ भूल चुका था। वह वृद्धा के पास रहने लगा। वह वृद्धा में वात्सल्य की तड़प बढ़ने लगी।इस तरह वह चाहने लगी कि वह काफी लंबे समय तक जीवित रहे। अब वह पहले से अधिक मेहनत करती थी। बच्चे की वजह से वह अपने घर शीघ्र लौटने लगी। बच्चा मां के प्यार को प्राप्त करके बहुत ही प्रसन्न था।
वृद्धा अपनी झोपड़ी में गाड़कर रखी हांडी में दिनभर की मेहनत से कमाये पैसे बचत करके रखती थी, क्योंकि उसे उस बच्चे के भविष्य की चिंता थी।उसकी चिंता में एक सुखद भविष्य की चिंता छिपी थी। वह उस बच्चे को अच्छे- से-अच्छा खिलाती,पिलाती और पहनाती थी। वह उसे हर तरह खुश रखना चाहती थी।इससे उसे लग रहा था कि मानो उसे उसकी मंजिल मिल गई हो। दिन भर मंदिर के दरवाजे पर फूल बेचती और शाम को घर आकर बच्चे को अपने ह्रदय से लगा लेती थी।यह बच्चा मानो उसकी फूलवारी थी जिसे पोषित करके प्रेम के जल से सींचकर सेवा कर रही थी।
(ख) मोहन कौन था? वह वृद्धा के पास कैसे आया?
उत्तर- मोहन किसी नगर के सेठ बनारसीदास का बेटा था।वह छोटी उम्र में ही अपने घर से बिछड़ गया। उसे वृद्धा ने अपने पास रख लिया।वृद्धा का सहारा पाकर दुलार से वह रहने लगा। मां की ममता पाकर वह अपने माता-पिता को भूल गया। उस वृद्धा ने बड़े वात्सल्य से उसका पालन-पोषण और परवरिश की। वृद्धा भी अब बच्चे के बिना एक क्षण नहीं रह पाती थी। इस तरह वृद्धा के पास वह बच्चा आया और रहने लगा।
(ग) मोहन ज्वर से कैसे मुक्त हुआ?
उत्तर- मोहन को एक दिन ज्वर ने आ दबोचा। उसके बढ़ते ज्वर को भांपकर वृद्धा बेचैन हो गई। वृध्दा मां ने वैध को दिखाया। उसकी दवा से कोई लाभ नहीं हुआ। वह वृद्धा सेठ बनारसीदास के पास अपनी हांड़ी में से कुछ धन मांगने के लिए गयी जिससे वह बच्चे का इलाज किसी डॉक्टर से करा सके,लेकिन सेठजी ने उसे यह कहते हुए लौटा दिया कि उसके पास उसने कोई धन जमा नहीं कराया है। क्रोधित वृद्धा लौट आई।बच्चे का ज्वर तेज होता देखकर वह एक दिन जाने क्या सोचते हुए, बच्चे को गोद में उठाकर सेठजी के पास पहुंची। उसने कुछ धन फिर से मांगा। मुनीम ने उसे फटकार दिया। सेठजी स्वयं उसके पास आये और उस बच्चे के पैर पर लाल चिन्ह देखकर पहचाना कि वह बच्चा तो उसी का है जो आज से सात वर्ष पहले खो गया था। वृद्धा ने उस बच्चे को देने से ना-नुकल किया लेकिन सेठजी ने बच्चे को प्राप्त कर लिया। वृद्धा वहां से चली गई। उसका अच्छे डॉक्टर से इलाज कराया। दवा के प्रभाव से कुछ होश आने पर बच्चे ने ‘मां’ को पुकारा। बच्चे की हालात फिर से खराब हो गई। सेठजी वृद्धा के घर पहुंचे, वृध्दा को अनुनय-विनय से लाये। मां के ममता भरे हाथ पर स्पर्श पाकर बालक सचेत हुआ और उस बालक को ज्वर से मुक्ति मिली।
(घ) ‘सेठ याचक था और वह दाता’, इस वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- वृद्धा ने सेठजी के घर जाकर मोहन के माथे पर हाथ फेरा। मोहन ने हाथ को पहचान लिया; उसने अपनी आंखें तुरंत खोल दीं। कहने लगा, ‘मां’, तुम आ गईं। वृद्धा कहने लगी, “हां बेटा, तुम्हें छोड़कर कहां जा सकती हूं।उसने मोहन का सिर गोद में रखा,थपथपाया। मोहन की नींद आ गई। कुछ दिन बाद मोहन स्वस्थ हो गया। जो काम दवाइयां डॉक्टर और हकीम नहीं कर सके, वह काम वृध्दा मां की ममता ने कर दिखाया।”
अब वह वृद्धा मां वापस लौटने लगी तो सेठजी ने उससे कहा कि वे मोहन के पास ही रुक जाएं, लेकिन वे नहीं मानी। सेठजी हांडी के रुपए न देने के लिए क्षमा मांगने लगे और वह हांड़ी लौटने लगे तो वृध्दा ने कहा कि यह तो मैंने मोहन के लिए जमा किये थे। उसी को दे देना।
वृध्दा ने सेठजी की धरोहर (मोहन) ईमानदारी से लौटा दी। अब वह उसे यहां छोड़कर अपनी लाठी का सहारा लेकर चलती हुई अपनी झोपड़ी में लौट गई। उसके नेत्रों से आंसू बह रहे थे, परन्तु यह आंसू फूलों के पराग से, ममता की महक से महक रहे थे। वृध्दा मां का ममत्व सेठ बनारसीदास के धन से अधिक गरिमावान सिद्ध हुआ। इस तरह सेठजी याचक थे और वृध्दा मां दाता के रूप में महान् और उदारता की साक्षात् मूर्ति सिद्ध हुई।
(ड) सेठजी और वृध्दा के चरित्र में से किसका चरित्र आपको अच्छा लगा? उसकी कोई तीन विशेषताएं लिखिए।
उत्तर- सेठजी और वृद्धा के चरित्र में से वृद्धा का चरित्र प्राशंसनीय है, महान् है। वृद्धा के चरित्र में जो गंभीरता, ममता का भाव, किसी भी भेदभाव से रहित दीखाता है, उसका सेठजी के चरित्र में पूर्णत: अभाव ही है। वद्धा बच्चे का पालन-पोषण बिना किसी स्वार्थ से करती है, वह बच्चे में अपनी ममता उडेल देती है। उसे अपने आंचल में छाया प्रदान करती है। वह उस बच्चे के पालन-पोषण के लिए जीवित रहने की इच्छा करती है।
वृद्धा के चरित्र की विशेषताएं निम्नलिखित है जो सभी पाठकों को प्रभावित करती हैं। उनमें उत्साह और त्याग का भाव भर देती हैं।
(1) वात्सल्यमयी मां का ममत्व- वृध्दा मे बच्चे के प्रति प्रेम और उसकी ममता भरी हुई है।
(2) सेवा परायणता- वृध्दा बच्चे की हर तरह से परवरिश करती है। विपरीत परिस्थिति में भी अपने ध्येय में लीन होकर उत्तरदायित्व को निभाती है।
(3) त्याग और भेदभाव से रहित- वृद्धा त्याग की साक्षात् मूर्ति है। इकट्ठे किये गये हांड़ी के धन को सेठ को ही सौंपकर धन्य होती है। सेठजी के बच्चे का पालन-पोषण अपने-तेरे की भावना से ऊपर उठकर करती है।
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भाषा अध्ययन
प्रश्न 1. इस कहानी में ऐसे पांच वाक्य लिखिए जहां अवतरण चिन्ह का प्रयोग किया गया है।
उत्तर-(1) दर्शन करने वालों का वृध्दा पुकारती, और कहती- “ ये फूल चढ़ावा तो लेते जाओ।”
(2) वृध्दा ने हांडी सेठजी को सरकाते हुए कहा- “सेठजी, इसे जमा कर लें। मैं इसे कहां रखती फिरूंगी।”
(3) सेठजी ने मुनीम से कहा- “इसे बहीखाते मे इसके नाम में जमा कर लो।”
(4) वृध्दा ने विनम्र भाव से कहा- “मेरा बच्चा बहुत बीमार है। मेरी जमा हांडी से मुझे कुछ रुपये मिल जाएं तो मैं डॉक्टर को दिखाकर उसका इलाज करा लूं।”
(5) वृध्दा ने कहा- “सेठजी अभी दो वर्ष पहले ही तो मैंने हांडी में जमा पूंजी आपके यहां जमा की थी।”
प्रश्न 2. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ स्पष्ट करते हुए वाक्यों का प्रयोग कीजिए-
टस से मस न होना, हाथ-पांव फूल जाना, चंगुल में दबाना, तांता बांधना, जान में जान आना।
उत्तर- 1. टस-से-मस न होना-एक स्थान से न हटाना।
वाक्य-प्रयोग- धरने पर बैठ शिक्षक, धरना स्थल से टस से मस नहीं हुए।
2. हाथ-पांव फूल जाना-घबरा जाना।
वाक्य-प्रयोग- पिताजी के मूर्च्छित हो जाने पर, हमारे हाथ-पांव फूल गये।
3. चंगुल में दबाना- वश में (कब्जे में) कर लेना।
वाक्य-प्रयोग- शत्रु सैनिकों को चंगुल में दबाने के लिए पूरा-पूरा जोर लगाना पड़ा।
4. तांता बांधना- लगातार बढ़ते जाना।
वाक्य-प्रयोग- शत्रुओं पर आक्रमण करने के लिए भारतीय सैनिक तांता बांधकर आगे ही आगे बढ़ते गये।
5. जान में जान आना- चैन पड़ना।
वाक्य-प्रयोग- ऑपरेशन के बाद मरीज जैसे ही होश में आया तो उसके घर वालों की जान में जान आई।
प्रश्न 3. ‘याचक’ एवं ‘दाता’ शब्दों के क्रिया रूप लिखकर संज्ञा और क्रिया रूपों के वाक्य बनाइए।
उत्तर- याचक और दाता शब्दों के क्रिया रूप याचना तथा दान देना होता है।
संज्ञा रूप में वाक्य प्रयोग-
(1) याचको का तांता लग जाता है।
(2) याचक याचना करते हैं।
(3) दाता याचकों में भेद नहीं करता।
(4) दानी लोग प्रतिदिन दान देते हैंं।
प्रश्न 4. ‘दुखिया’ शब्द के दुख शब्द में ‘इया’ प्रत्यय लगा है- दुख+ इया= दुखीया।इसी प्रकार ‘इया’ एवं ‘वाला’ प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए।
उत्तर- (1) दुख+ इया= दुखिया; सुख+इया= सुखिया;
बन+इया= बनिया; लख+इया= लखिया; लिख+इया= लिखि़या; धन+इया= धनिया।
(2) दूध+वाला= दूधवाला, फल+वाला=फलवाला,
पान+वाला= पानवाला, दुकान+वाला=दुकानवाला,
घर+वाला= घरवाला।
प्रश्न 5. ‘अ’ और ‘वि’ उपसर्गज् लगाकर शब्द बनाइए।
उत्तर-(1) अ+शुभ= अशुभ; अ+शुध्द= अशुध्द; अ+पवित्र= अपवित्र; अ+पावन=अपावन; अ+चल= अचल।
(2) वि+कार= विकार; वि+नाश=विनाश; वि+लीन=विलीन; वि+लाप=विलाप; वि+लेप=विलेप।
प्रश्न 6. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
एक दिन सिद्धार्थ बगीचे में बैठे हुए थे। अचानक उनके सामने एक घायल, एक तीर से बिंधा हुआ हंस आ गिरा। सिद्धार्थ ने उसे प्यार से उठाया, घाव पर मलहम लगाया। तभी उनका चचेरा भाई देवदत्त आ पहुंचा। उसने हंस मांगा। सिद्धार्थ ने हंस देने से मना कर दिया। विवाद राजा के दरबार तक जा पहुंचा। देवदत्त का कहना था कि उसने हंस का शिकार किया है, इसलिए हंस उसका है। सिद्धार्थ ने कहा कि मैंने हंस के प्राणों की रक्षा की है, इसलिए हंस पर मेरा अधिकार है। राजा ने न्याय करते हुए कहा कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है। अतः हंस पर सिध्दार्थ का अधिकार बनता है। राजा ने सिद्धार्थ को हंस दे दिया।
(अ) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
(आ) घायल हंस को किसने उठा लिया था।
(इ) देवदत्त हंस को क्यों मांग रहा था।
(ई) राजा ने क्या कहते हुए हंस सिद्धार्थ को सौंप दिया।
(उ) राजा,दिन,तीर,प्यार के दो-दो समानार्थी शब्द लिखिए।
उत्तर- (अ) उपयुक्त शीर्षक- ‘हंस और सिद्धार्थ’।
(आ) घायल हंस को सिद्धार्थ ने उठा लिया था।
(इ) देवदत्त हंस को इसलिए मांग रहा था क्योंकि उसने हंस को तीर से घायल कर दिया था। उसका कहना था कि घायल किये जाने से हंस पर उसका अधिकार है।
(ई) राजा ने हंस सिद्धार्थ को सौंप दिया। राजा कहना था कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है।
(उ) समानार्थी- (1) राजा= नृप,भूप।
(2) दिन= दिवस,वासर।
(3) तीर= बाण,सायक।
(4) प्यार= प्रेम,स्नेह।
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7. हिंदी भाषा के उपन्यास सम्राट - मुंशी प्रेमचंद
आशा है, उपरोक्त पाठ विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी।
धन्यवाद।
RF Temre
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Rajendra Patel
Posted on August 08, 2021 09:08PM
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