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पर्यावरणीय शिक्षा का विज्ञान और सामाजिक विज्ञान से सहसम्बंध || सामाजिक विज्ञान शिक्षण का उद्‌देश्य || वैकल्पिक प्रश्न

पर्यावरणीय शिक्षा का विज्ञान से सहसंबंध—

पर्यावरणीय शिक्षा के अध्ययन द्वारा बच्चों में जागरुकता एवं वैज्ञानिक सोच निर्मित करना उद्देश्य होना चाहिए। विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसमें अन्य विषयों की तरह केवल सुनकर या पढ़कर ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता है। जब तक स्वयं अनुभव तथा प्रयोग न किया जाये अथवा अध्यापक द्वारा उचित सहायक साम‌ग्री और प्रदर्शन अथवा प्रयोगशाला विधि का उपयोग न किया जाये तब तक न तो विज्ञान के सिद्धांतों से परिचित हो सकते हैं और न विज्ञान शिक्षण के उद्‌देश्यों की प्राप्ति हो सकती है।

यदि शिक्षक में अपने कार्य के प्रति निष्ठा एवं लगन है तो वह इन वैज्ञानिक उपकरणों या सामग्री को विद्यार्थियों की सक्रिय सहायता से अपने परिवेश से प्राप्त कर निर्मित कर सकता है अपने परिवेश में इतनी सामग्री उपलब्ध है कि शिक्षक उसका उपयोग अपने शिक्षण में कर सकता है।

पर्यावरणीय शिक्षा का विज्ञान से निकट का सम्बंध है। विज्ञान विषय में विभिन्न प्रकार के प्रयोगों नियमों, विनियमों आदि का अध्ययन परिवेशीय सामग्री के आधार पर किया जाता है। उदाहरण के लिए जल पर्यावरण का महत्वपूर्ण अंग है। विज्ञान के अन्तर्गत जल के अपघटक ऑक्सीजन एवं हाइ‌ड्रोजन का अध्ययन किया जाता है।

विज्ञान में परिवेशीय तत्वों का अध्ययन किया जाता है ताकि उनकी संरचना एवं क्रियात्मकता का अध्ययन कर उसके आधार पर नये प्रयोग एवं संरचना की जा सके एवं उनकी शुद्धता को बरकरार रखा जा सके।

आदिकाल से ही मनुष्य को प्रकृति को समझने तथा प्राकृतिक नियमों का अध्ययन करने की जिज्ञासा रही है। हम अपने चारों ओर जो कुछ भी देखते है उसे प्रकृति कहते हैं। मनुष्य सदैव से ही प्राकृतिक घटनाओं, तथ्यों के सुव्यवस्थित तथा क्रमबद्ध अध्ययन का प्रयास करता रहा है। नित नये तथ्य ज्ञात हो रहे हैं वैसे-वैसे प्रकृति के साथ म‌नुष्य की नजदीकियाँ बढ़ती जा रही हैं।

अंत में हम कह सकते हैं कि यदि पर्यावरण या परिवेश न होता तो शायद विज्ञान भी न होता क्योंकि पर्यावरणीय घटनाओं, तत्वों, नियमों आदि का अध्ययन ही विज्ञान कहलाता है।

पर्यावरणीय शिक्षा का सामाजिक विज्ञान से सह सम्बंध

पर्यावरण के अध्ययन द्वारा बच्चों में सामाजिकता के गुणों का विकास होना चाहिए। वे अपने इस पर्यावरणीय समस्याओं के युग के समाज को ठीक तरह से समझ कर उसमें सुधार कर सकें। इसके लिए उन्हें आज तक की साधारण दिन-प्रतिदिन काम में आने वाली परिवेशीय जानकारी व्यवहारिक रूप से दी जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त पर्यावरण की शिक्षा इस आधार पर दी जानी चाहिए कि वह यह जाने कि किस प्रकार रहने तथा कार्य करने में अपने तथा पूरे समाज को लाभ पहुँचेगा। सामाजिक विज्ञान के अध्ययन में उन्हें पर्यावरण के विनाश की जानकारी देकर पर्यावरण को कल्याणकारी बनाकर समाज के उत्थान में सहयोग प्रदान करने की शिक्षा प्रदान करना चाहिए।

हमारा समाज एवं उसके विभिन्न पहलू किसी न किसी तरह से पर्यावरण से जुड़े हुए हैं। उदाहरण के लिए यदि हमें नागरिकों के दायित्व (कर्तब्यों) के बारे में जानकारी देना है तो उसमें पर्यावरण की सुरक्षा भी सम्मिलित है।

सामाजिक जीवन मानवीय सम्बंधों का आदर्श रूप है। सामाजिक जीवन को समझने के लिए समाज के अध्ययन विषय का निर्माण किया गया है। सामाजिक विज्ञान व विज्ञान है जिसमें समाज की संरचना व्यक्ति का पर्यावरण तथा आर्थिक नियोजन राष्ट्रीयता एवं भूमण्डलीय संरचना एवं होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।

हमारे समाज में होने वाले विभिन्न परिवर्तन पर्यावरणीय चक्र एवं घटनाओं पर आधारित होते हैं। कई सामाजिक कार्य एवं संस्कार पर्यावरण व जलवायु पर निर्भर करते हैं। जैसे ग्रीष्मकाल में विवाह संस्कार आदि सम्पन्न कराना जलवायु के आधार पर किया जाता ताकि ठंड एवं बरसात का प्रभाव इन कार्यो पर न पड़े। इसी तरह के कई कार्य पर्यावरण या परिवेश के आधार पर किये जाते हैं।

भूमण्डल का अध्ययन सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता जो कि हमारे पर्यावरण से सम्बंधित है। आज की आवश्यकता हमारे विज्ञान की सुरक्षा करना है अतः यह आवश्यक है कि सामाजिक विज्ञान के अध्ययन व अध्यापन में पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।

हमारे पर्यावरण पर मनुष्य का जीवन निर्भर करता है एवं सामाजिक सम्बंधों एवं सामाजिक जीवन किसी क्षेत्र विशेष की परिवेशीय परिस्थितियों के अनुसार ही चलता है। यदि पर्यावरण ही नहीं रहेगा तो न तो इंसान इस धरती पर रहेगा और न ही समाज। ऐसी परिस्थिति में पर्यावरण का सामाजिक विज्ञान से एक जटिल सम्बंध है इसे एक दूसरे से अलग करना सम्भव नहीं है।

भारत में सर्वप्रथम माध्यमिक शिक्षा आयोग (मुदालियर आयोग) में सामाजिक विज्ञान से सम्बंधित सामग्री पर अपने विचार प्रस्तुत किये "इस एकीकृत स्वरूप की विषय सामग्री ऐसी होनी चाहिए जिसमें सामाजिक पर्यावरण के अंतर्गत परिवार समुदाय राज्य तथा राष्ट्र के पर्यावरण को स्थान प्राप्त हो तथा छात्र उन सामाजिक शक्तियों एवं आंदोलनों के विषय में जान सने जिनके मध्य वे जीवन यापन कर रहे हैं।"
उक्त्त मत से स्पष्ट है कि मनुष्य के परिवेश को ध्यान में रखकर ही सामाजिक विज्ञान का अध्ययन किया जाना चाहिए।

सामाजिक विज्ञान शिक्षण का उद्‌देश्य

सामाजिक विज्ञान शिक्षण का उद्‌देश्य वातावरण का ज्ञान है। व्यक्ति का जीवन उस वातावरण से प्रभावित होता है, जिसमें वह जन्म लेता है और पलता-बढता है। भौतिक वातावरण व्यक्ति के रहन-सहन, खान-पान, वेश-भूषा, व्यवसाय आदि पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। सामाजिक वातावरण उसके विचारों, अभिवृत्तियों में परिवर्तन लाता है या प्रभाव डालता है। सामाजिक विज्ञान वातावरण के दोनों स्वरूपों का ज्ञान प्रदान कर व्यक्ति को समाज का कुशल तथा उपयोगी सदस्य बनाने के कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है। साथ ही दोनों प्रकार के वातावरण की पारस्परिक निर्भरता का ज्ञान भी कराता है।

अंत में हम शिक्षा आयोग (1964-66) के प्रतिवेदन के शब्दों में कह सकते हैं, "सामाजिक अध्ययन (वित्त) का उद्देश्य छात्रों को उनके वातावरण सम्बंधी ज्ञान प्राप्त करने, मानवीय सम्बंधों की समझ और ऐसे अभिमत तथा मूल्यों मे सहायक होते हैं। समुदाय, राज्य, राष्ट्र तथा विश्व के मामलों में विवेकपूर्ण ढंग से भाग लेने के लिए उपयोगी है। भारत में अच्छी नागरिकता तथा भावात्मक एकीकरण की स्थापना के लिए सामाजिक अध्ययन का प्रभावी कार्यक्रम अनिवार्य है।"

महत्वपूर्ण वैकल्पिक प्रश्न

(1) यदि एक शिक्षक विज्ञान विषय पढाना चाहता है तो उसके लिए सबसे अधिक महत्व की बात है होगी कि उसे
(i) गणित विषय का ज्ञान होना चाहिए।
(ii) सामाजिक विज्ञान का ज्ञान होना चाहिए।
(iii) पर्यावरण शिक्षा का ज्ञान होना चाहिए।
(iv) भाषायी ज्ञान की दक्षता हासिल होना चाहिए।

(2) पर्यावरण शिक्षा का नजदीकी सम्बंध है।
(ⅰ) विज्ञान से।
(ⅱ) सामाजिक विज्ञान से।
(iii) दोनों से।
(iv) दोनों से नहीं।

(3) एक शिक्षक विज्ञान विषय के शिक्षण में दक्ष एवं लगनशील नहीं कहा जा सकता है यदि वह―
(ⅰ) विभिन्न प्रयोगों को तत्परता पूर्वक कराने में दक्ष है।
(ii) वैज्ञानिक सामग्री को विद्यार्थियों को सक्रीय ‌सहायता से अपने परिवेश से प्राप्त कर निर्मित कर सक्षम है।
(iii) वैज्ञानिक तथ्यों को बड़ी कुशलता के साथ वर्णन करने में सक्षम है।
(iv) उसने विज्ञान के सम्बंध में शोध कार्य करता है।

(4) विज्ञान का पर्यावरण से निकट का सम्बंध है क्योंकि
(ⅰ) विज्ञान ही पर्यावरण है।
(ⅱ) विज्ञान प‌र्यावरण को सुधार करने में सहायता करता है।
(iii) विज्ञान की विभिन्न खोजें पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रही है।
(iv) पर्यावरणीय घटकों का विज्ञान में अध्ययन किया जाता हैं।

(5) विज्ञान का अध्यापन आधारित होना चाहिए।
(ⅰ) भौतिक सुख सुविधाएँ में निरन्तर वृद्धि होती रहे।
(ii) पर्यावरणीय हितो को ध्यान में रखते हुए सुधारात्मक तरीके सुझाये जायें।
(iii) तकनीकि ज्ञान उन्नत हो ताकि पर्यावरण को छती ना पहुंचे।
(iv) उपरोक्त में से कोई नहीं।

(6) यदि विज्ञान के अन्तर्गत पर्यावरणीय घटकों का अध्ययन किया जाता है तो बल दिया जाना चाहिए कि―
(i) उनमें शुद्धता बरकरार रहे।
(ⅱ) नये परिवर्तन कर मानव के योग्य बनाये।
(iii) विज्ञान की खोजों का उन घटकों पर प्रभाव नहीं पउला।
(iv) उप‌रोक्त सभी तथ्य उचित है।

(7) पर्यावरणीय समस्याओं से निपटा जा सकता है यदि सामाजिक विज्ञान में
(i) पर्यावरणीय घटक सम्मिलित कर दिये जायें।
(ⅱ) पर्यावरण की क्षति के दुष्परिणामों का अध्ययन कराये।
(iii) सुधारात्मक तरीके से सामाजिक विज्ञान का क्षेत्र बदल दिया जाये।
(iv) पर्यावरणीय घटकों का समाज के लिए महत्व एवं उनकी सुरक्षा का अंनिवार्य अध्ययन को सामिल किया जावे।

(8) सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत शिक्षक का उद्देश्य होना चाहिए ताकि पर्यावरण सुरक्षा बनी रहे।
(ⅰ) वातावरण सम्बंधी ज्ञान प्राप्त कराये।
(ii) मानवीय सम्बंधों को पर्यावरणीय घटकों से जोड़े।
(iii) परिवेशीय आधार पर मानव अपनी कृतियों में सकारात्मक परिवर्तन लावे।
(iv) उपरोक्त सभी।

उत्तर शीट

(1) का (iii) पर्यावरण शिक्षा का ज्ञान होना चाहिए।
(2) का (iii) दोनों से।
(3) का (ii) वैज्ञानिक सामग्री को विद्यार्थियों की सक्रिय सहायता से अपने परिवेश से प्राप्त कर निर्मित कर सक्षम है
(4) का (iv) पर्यावरणीय घटकों का विज्ञान में अध्ययन किया जाता है।
(5) का (ii) पर्यावरणीय हितों को ध्यान में रखते हुए सुधारात्मक तरीके सुझाए जाए।
(6) का (i) उनमें शुद्धता बरकरार रहे।
(7) का (iv) पर्यावरणीय घटकों का समाज के लिए महत्व एवं उनकी सुरक्षा का अनिवार्य अध्ययन को शामिल किया जावे।
(8) का (iv) उपरोक्त सभी।

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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com

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