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POCSO act 2012 in hindi | बच्चों की सुरक्षा में शिक्षक की भूमिका

बच्चों के प्रति हिंसा या शोषण का कोई न कोई मामला प्रति दिवस सुर्खियों में रहता है। अतः यह आवश्यक हो गया है कि बच्चों को आजकल के वातावरण में मौजूद खतरों के बारे में अवगत कराया जाए और स्वयं को कैसे सुरक्षित रखें इस बारे में उन्हें जागरूक करें। यहाँ पर बच्चों से तात्पर्य 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से है।
One case of violence or exploitation towards children remains in the headlines every day. Therefore, it has become necessary to make children aware of the dangers present in today's environment and to make them aware of how to protect themselves. Children here mean children younger than 18 years.
mahaveerswami
बच्चों की जीवन में विद्यालय एवं शिक्षक की अहम भूमिका रहती है। विद्यालय एवं शिक्षक उन्हें सुरक्षित स्थान और वातावरण प्रदान कर उनके व्यवहार निर्माण में मदद करते है। प्रायः बच्चे शिक्षकों को वह सारी बातें बता देते हैं जो वे किसी और को नहीं बता पाते। कई बार शिक्षक बच्चों के हाव भाव देखकर भी पता लगा लेते हैं कि बच्चा परेशानी में है। स्कूल में शिक्षक की इन्हीं भूमिकाओं को ध्यान में रखते हुए यह जानकारी प्रेषित की गई है।
School and teacher play an important role in children's life. Schools and teachers help them in their behavior by providing them safe space and environment. Often the children tell the teachers all the things that they cannot tell to anyone else. Many times, the teachers also find out that the child is in trouble after seeing the expressions of the children. This information has been transmitted keeping in mind these roles of the teacher in the school.

शिक्षकों के लिए यह जानकारी जो कि बाल यौन शोषण एवं उससे बच्चों के संरक्षण कैसे किया जाए से संबंधित है। बच्चों के यौन शोषण से संरक्षण के लिए बनाए गए पाक्सो अधिनियम में परिभाषित अपराध शिक्षकों से अपेक्षा एवं उनकी जिम्मेदारी स्पष्ट की गई है।
For teachers, this information is related to child sexual abuse and how to protect children from it. The Paxo Act, designed to protect children from sexual exploitation, defines the expectations and responsibilities of crime teachers.

पाक्सो एक्ट अधिनियम क्या है What is the Pacso Act Act
POCSO का पूरा नाम 'प्रोटक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट' है जिसे संक्षेप में 'पाक्सो एक्ट' कहते हैं।
POCSO's full name is 'Protection of Children from Sexual Offense Act', abbreviated as 'Pacso Act'. 18 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चे चाहे वह लड़का हो या लड़की जिनके साथ किसी भी तरह का लैंगिक शोषण हुआ हो या करने का प्रयास किया गया हो, वह POCSO कानून के दायरे में आते हैं।
All children under the age of 18, whether a boy or a girl, who have been sexually abused or attempted to commit any kind, are come in subject to POCSO law.

इस कानून के अंतर्गत बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से सुरक्षा प्रदान की गई है। यह कानून लिंङ्ग निरपेक्ष है। इसके अंतर्गत आने वाले मामलों की सुनवाई विशेष कोर्ट में की जाती है एवं बच्चे तथा उसके अभिभावकों की पहचान गुप्त रखी जाती है।
Under this law, children are protected from crimes such as sexual harassment and pornography. This law is absolute. Cases under this are heard in a special court and the identity of the child and its guardians is kept secret.

पाक्सो अधिनियम 2012 के लागू होने के बाद देश में बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण के मामले दर्ज होने में बढ़ोतरी देखी गई है। इस कानून से बच्चों एवं उनके माता-पिता में बाल संरक्षण के लिए कानूनी प्रणाली के प्रति विश्वास पैदा हुआ है। किशोर न्याय अधिनियम के साथ-साथ एकीकृत बाल संरक्षण योजना और पाक्सो अधिनियम के क्रियान्वयन के साथ है। क्रियान्वयन से भारत में बच्चों के संरक्षण की एक शुद्ध प्रणाली बनी है।
After the enactment of Pacso Act 2012, the country has witnessed an increase in the number of cases of sexual abuse of children. This law has instilled confidence in children and their parents about the legal system for child protection. The Juvenile Justice Act is accompanied by the implementation of the Integrated Child Protection Scheme and the Paxo Act. Implementation has created a pure system of child protection in India.

पाक्सो अधिनियम 2012 के उद्देश्य (Objectives of Pacso Act 2012)-
(1) प्रवेशन समलैंगिक हमला, लैंगिक उत्पीड़न और अश्लील साहित्य (पोर्नोग्राफी) से बच्चों का संरक्षण।
Penetration of children from homosexual assault, sexual harassment and pornography (pornography).

(2) ऐसे अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय की स्थापना।
Establishment of special court for hearing of such offenses.

ऐसे अपराधों में लिप्त व्यक्ति को कठोर दंड का प्रावधान।
Provision of severe punishment to a person involved in such crimes.

पाक्सो अधिनियम 2012 में संशोधन कर नए प्रस्ताव को अप्रैल 2018 में कैबिनेट की मंजूरी प्राप्त हुई। जिसके अंतर्गत बालिकाओं के साथ-साथ बालकों को भी इस एक्ट में शामिल किया गया। इसमें 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ रेप करने पर मौत की सजा एवं 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ रेप करने पर कम से कम 20 वर्ष की सजा का प्रावधान किया गया है।
The new proposal received cabinet approval in April 2018, amending the Pacso Act 2012. Under which girls were included in this act along with girls. It provides for capital punishment for rape with children below 12 years and at least 20 years punishment for rape with children below 16 years.

अधिनियम के अंतर्गत सूची बद्ध अपराधों की प्रमुख श्रेणियाँ (Major categories of offenses listed under the Act)
(i) प्रवेशन लैंगिक हमला (penetration sexual assault)
(ii) गुरुत्तर प्रवेशन लैंगिक हमला (Aggravated penetration sexual assault)
(iii) लैंगिक हमला (sexual assault)
(iv) गुरुत्तर लैंगिक हमला (Aggravated sexual assault)
(v) लैंगिक उत्पीड़न (sexual harassment)
(vi) पोर्नोग्राफी (Pornography)

यदि आप उपरोक्त अपराधों एवं इनके लिए दंड के प्रावधानों के बारे में पढ़ना चाहते हैं तो इस पर क्लिक करें।👇
POCSO Act- categories of crime पाक्सो एक्ट- अपराध की श्रेणियाँ

बच्चोंकी सुरक्षा में शिक्षक की भूमिका (Role of teacher in protection of children)-
(1) पाक्सो एक्ट की विस्तृत जानकारी रखना।
Detailed information on Paxo Act.

(2) बच्चों को गुड टच और बैड टच की जानकारी देना।
Giving children good touch and bad touch information.

(3) बच्चों को यौन शोषण एवं यौन उत्पीड़न के प्रति जागरूक करना।
Making children aware of sexual abuse and sexual harassment.

(4) बच्चों के साथ हुए यौन शोषण या यौन शोषण होने की संभावना की जानकारी पुलिस को देना।
To inform the police about the possibility of sexual abuse or sexual exploitation of children.

(5) बच्चों के साथ यदि यौन शोषण/उत्पीड़न हुआ है तो बच्चे के माता-पिता एवं पुलिस को जानकारी देने हेतु प्रेरित करना।
If the child has been sexually abused / harassed, then motivate the child's parents and police to inform.

(6) बच्चों को अच्छे साहित्य का अध्ययन करने हेतु प्रेरित करना।
Motivating children to study good literature.

पीड़ित बच्चे हेतु विशेष राहत (Special relief for the suffering child)-
(1) बच्चे को 24 घंटे के अंदर चिकित्सीय सहायता उपलब्ध कराना।
Providing medical support to the child within 24 hours.

(2) बच्चे को बयान देने के लिए बार-बार न्यायालय ना आना पड़े ऐसी वयवस्था करना।
Such arrangements do not have to come to court again and again to give statement to the child.

(3) बच्चे को आक्रामक सवालों का सामना न करना पड़े ये ध्यान रखना।
Take care that the child does not face aggressive questions.

(4) अदालत अभियुक्त के वकील को बच्चे के चरित्र हनन की इजाजत नहीं देती।
The court does not allow the accused's lawyer to violate the character of the child.

(5) अदालत जिरह के समय माता-पिता अभिभावक के रहने की अनुमति देती है।
The court allows the parental guardian to stay at the time of the cross-examination.

(6) पीड़ित और अभियुक्त का आमना सामना न हो इसके लिए शीशा या पर्दे का उपयोग किया जाता है।
Glass or curtain is used for not facing the victim and the accused.

(7) न्यायाधीश के मार्फत ही सवाल जवाब किए एवं दिए जाते हैं।
Questions are answered and answered only through the judge.

(8) जांच और सुनवाई की समयसीमा तय होती है।
The deadline for investigation and hearing is fixed.

(9) रेप के हर मामले की सुनवाई 2 माह के अंदर पूरी कर ली जाएगी।
Hearing of every rape case will be completed within 2 months.

(10) रेप के मामले में अपील एवं सुनवाई के लिए अधिकतम 6 माह का समय दिया जाएगा।
Maximum time of 6 months will be given for appeal and hearing in case of rape.

इस प्रकार इस एक्ट का उद्देश्य पीड़ित को शीघ्र न्याय प्रदान कर उसे अपनी स्वाभाविक जीवन शैली में वापस लाना है।
Thus the purpose of this act is to provide speedy justice to the victim and bring him back to his natural lifestyle.

जानने योग्य प्रमुख बातें (Key notes to know)-
(i) इस कानून के अंतर्गत जितनी जल्दी हो सके एफ. आई. आर. दर्ज की जावे। रिपोर्ट कराने वाले व्यक्ति को एफ. आई. आर. की एक छाया प्रति मुफ्त दी जाती है।
As soon as possible under this law. F. I.R. be recorded. The person making the report, F. I.R.A shadow copy of is given for free.

(ii) जाँच अधिकारी बिना विलंब किए 24 घंटे के भीतर पी.ए.सी.एस मामले को बाल कल्याण समिति एवं विशेष न्यायालय की को रिपोर्ट करेंगे।
The investigating officer will report the P.A.C.S. case to the Child Welfare Committee and Special Court within 24 hours without delay.

(iii) इस प्रकार के मामले के लिए विशेष न्यायालय का प्रावधान है।
There is a provision of special court for this type of case.

(iv) विशेष न्यायालय यथासंभव अपराध का संज्ञान लिए जाने की तारीख से 1 वर्ष की अवधि के भीतर ट्रायल अर्थात विचारण को पूरा करेगा।
The Special Court shall complete the trial i.e. trial within a period of 1 year from the date of cognizance of the offense as far as possible.

(v) बच्चा अगर सुनने, बोलने, देखने आदि में यदि कमजोर है या विशेष आवश्यकता वाला बच्चा हो तो ऐसे केस में विशेष सहायक विधिक सलाहकार से मदद ली जाएगी, जो बच्चे की बात समझ सके। इसका भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा।
If the child is weak in hearing, speaking, seeing, etc., or if there is a child with special needs, then in such a case, help will be taken from the Special Assistant Legal Advisor who understands the child. Could. It will be paid by the state government.

(vi) बच्चे की मेडिकल जाँच माता-पिता या अभिभावक की उपस्थिति में की जाएगी। अगर वे उपलब्ध नहीं हो तो एक ऐसे व्यक्ति की उपस्थिति में जिस पर बच्चे को विश्वास हो, के समक्ष जाँच की जावेगी।
Medical examination of the child will be done in the presence of a parent or guardian. If they are not available, they will be investigated in the presence of a person whom the child trusts.

(vii) अगर पीड़ित बच्चा बालिका है तो मेडिकल जाँच महिला डॉक्टर द्वारा ही की जाएगी।
If the victim child is a girl then the medical examination will be done by the female doctor.

(viii) मेडिकल जांच के लिए एफ.आई.आर. की प्रति की आवश्यकता नहीं है।
FIR for medical examination. A copy of is not required.

(ix) बच्चे द्वारा दिए गए बयानों का अभी लेखन माता-पिता या अभिभावक की उपस्थिति में किया जावेगा।
The statements given by the child will now be written in the presence of the parent or guardian.

(x) बच्चों की अपनी बात निर्भीकता से कहने का साहस व सुरक्षित वातावरण प्रदान करें।
Provide the courage and safe environment for children to speak boldly.

(xi) हम बच्चों पर सख्ती न बरतें बल्कि बच्चों के मुद्दों पर सख्ती से काम करें।
Let us not be strict on children but work strictly on children's issues.

स्रोत- दक्षता उन्नयन एवं शाला सिद्धि शिक्षक प्रशिक्षण संदर्शिका प्राथमिक स्तर सत्र 2019 से उद्धरित जानकारी अनुसार।
As per information quoted from the Skill Upgradation and School Achievement Teacher Training Guide Primary Level Session 2019.

RF Temre
infosrf.com

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com

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