
कर्त्ता क्रिया की अन्विति संबंधी वाक्यगत अशुद्धियाँ | Karta Kriya sambandhi Anviti sambandhi Asuddhiyan in Hindi
जब वाक्य में कर्ता और क्रिया की उचित अन्विति अर्थात परस्पर मेल या संबद्धता नहीं होती है तो वाक्य का सार्थक अर्थ ग्रहण करने में काफी कठिनाई होती है। अतः कर्ता और क्रिया के परस्पर संबंध को समझते हुए वाक्य बोलना या लिखना चाहिए।
आइए कर्ता और क्रिया की अन्विति अर्थात परस्पर संबंध था को समझते हैं।
कर्त्ता क्रिया की अन्विति संबंधी वाक्यगत अशुद्धियाँ-
कर्त्ता-क्रिया की अन्विति संबंधी अशुद्धियों को दूर करने के लिए निम्नलिखित नियमों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
1. यदि कर्त्ता के स्थान पर आई संज्ञा परसर्ग (कारक चिह्न) रहित है, तो क्रिया उसी के अनुसार बदलती है।
जैसे- लड़कियाँ आम खाती हैं।
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2. यदि कर्त्ता तथा कर्म दोनों परसर्ग (कारक चिह्न) सहित हैं तो क्रिया उन दोनों से संबंधित न होकर पुल्लिंग, एकवचन तथा अन्य पुरुष रूप में आती है।
जैसे- लड़कों ने आमों को खाया।
3. कर्त्ता में यदि समान लिंग वाली विभिन्न संज्ञाएँ 'और' से जुड़ी हों तो क्रिया बहुवचन में आती है।
जैसे- मोहन, सोहन और दीपक दिल्ली जा रहे हैं।
4. यदि कर्त्ता में संज्ञाएँ 'या' से जुड़ी हैं तो क्रिया अंतिम पद के अनुसार बदलती है।
जैसे- मोहन, सोहन या सीता जाएगी।
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5. कर्त्ता में सर्वनाम पदों का क्रम प्रायः इस प्रकार होता है–
पहले मध्यम पुरुष फिर अन्य पुरुष तथा अंत में उत्तम पुरुष। ऐसे पदबंध में क्रिया अंतिम पद के अनुसार बदलती है।
जैसे- आप, वे और हम लोग बाज़ार चलेंगे।
6. यदि विशेष्य के स्थान पर एक से अधिक संज्ञाएँ हैं तो विशेषण निकटवर्ती विशेष्य के अनुसार होता है।
जैसे- 1. छोटे-बड़े लड़के और लड़कियाँ।
2. छोटी-बड़ी लड़कियाँ और लड़के।
आशा है, कर्त्ता क्रिया की अन्विति (परस्पर संबद्धता या मेल) को समझ लिया होगा। आइए नीचे दिये अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध करते हैं।
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अशुद्ध वाक्य–
अ. मोहन कुत्ते को डंडे से मारा।
आ. क्या आप खाना खा लिए हैं।
इ. दरवाजे पर कौन आई है?
ई. मेरा बेटा और बेटी बाजार गई हैं।
उ. इतना मीठा चाय में नहीं पी सकती हूँ।
शुद्ध वाक्य–
अ. मोहन ने कुत्ते को डंडे से मारा।
आ. क्या आपने खाना खा लिया है?
इ. दरवाजे पर कौन आया है?
ई. मेरे बेटे और बेटी बाजार गये हैं।
उ. मैं इतनी मीठी चाय नहीं पी सकती हूँ।
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