स्वामी विवेकानंदः (षष्ठः पाठः, कक्षा- 8, विषय-संस्कृत) हिन्दी अनुवाद एवं अभ्यासः | Swami Vivekanand
'बहुजन हिताय बहुजन सुखाय' इत्यस्मिन् कार्ये संलग्नस्य स्वामीविवेकानंदस्य बाल्यकाल नाम 'नरेंद्रनाथः' आसीत्। तस्य जन्भ जनवरिमासस्य द्वदशे दिनांके 1863 ख्रिस्ताबँदे ( 12 जनवरी, 1863 ) कोलकातानगरे अभवत्। तस्य मातुः नाम 'भवनेश्वरीदेवि' आसीत्। तस्य पिता विश्वनाथदत्तः लब्धप्रतिष्ठः अभिभाषकः आसीत्। नरेन्द्रनाथः बाल्यकालादेव संस्कृतानुरागी,कुशाग्रबुद्धिः, मल्लविद्ददिसु क्रीडासु पारंगतः धार्मिकश्चासीत्।
अनुवाद- ' बहुत लोगों के हित के लिए बहुत लोगों के सुख के लिए' इस कार्य में लगे हुए स्वामी विवेकानंद का बचपन का नाम 'नरेंद्रनाथ' था। उनका जन्म जनवरी महीने की 12 तारीख को 1863 ईस्वी में कोलकाता नगर में हुआ। उनकी माता का नाम 'भुनेश्वरी देवी' था उनके पिता विश्वनाथदत्त ख्याति प्राप्त वकील थे। नरेंद्रनाथ बचपन से ही संस्कृत के प्रेमी, तीव्र बुद्धि वाले, मल्लविद्या आदि खेलों में पारंगत और धार्मिक थे।
तस्मिन् काले रामकृष्णपरमहंसः अद्वितीयाध्यात्मिकज्ञानपुञ्जस्य स्त्रोतः आसीत्। तस्य प्रभावेण प्रभावितः नरेन्द्रनाथः तेनैव परिव्राजकदीक्षा प्राप्नोत्। दीक्षानन्तरं सः स्वामी विवेकानन्दः इति नाम्ना प्रसिद्धोऽभवत्। ततः सः स्वकीयज्ञानदीप्त्या सदुपेदेशः जनान् अध्यात्मपरायणमकरोत्। तस्वावधारणा आसीत् यत् प्रम्णा, सत्येन, पराक्रमेण च कार्याणि सिद्धयन्ति। तत्कुरु पौरुषम्। आत्मभावस्य विकासः एव कर्म। अनात्मभावस्य विकासः एवाकर्म। दौर्बल्येन किमपि न भवति। अतः सबलो भव।
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अनुवाद- उस समय रामकृष्ण परमहंस अद्वितीय आध्यात्मिक ज्ञान पुंज के स्रोत थे। उनके प्रभाव से प्रभावित नरेन्द्रनाथ ने उनसे ही संन्यास की दीक्षा प्राप्त की। दीक्षा के बाद वह ‘स्वामी विवेकानन्द’ के नाम से प्रसिद्ध हुए। उसके बाद उन्होंने अपनी ज्ञान की ज्योति द्वारा सद् उपदेशों से लोगों को अध्यात्म की ओर अभिमुख किया। उनकी अवधारणा (निश्चय) थी कि प्रेम, सत्य और पराक्रम से कार्य पूरे होते हैं। उसका प्रयत्न करो। आत्म भाव का विकास ही कर्म है। अनात्म भाव का विकास ही अकर्म है। दुर्बलता से कुछ भी नहीं होता। इसलिए बलवान होओ।
जीवनस्यार्थः उन्नतिरस्ति। उन्नतेः तात्पर्य हृदयस्यौदार्यमास्ति। परोपकारः एव जीवनगतिः। स्वार्थभावः एव मृत्युः। प्रेमभावः एव जीवनम्। द्वेषभाव एवं मृत्युः। प्रेमभावः एव भक्तिः ज्ञानं मुक्तिश्चास्ति। प्रेम बिना नेदं यदिदमुपासते।
अनुवाद- जीवन का अर्थ उन्नति है। उन्नति का तात्पर्य हृदय का औदार्य (उदारता का गुण) है। परोपकार ही जीवन की गति (चाल) है। स्वार्थभाव ही मृत्यु है। प्रेमभाव ही जीवन है। द्वेषभाव ही मृत्यु है। प्रेमभाव ही भक्ति, ज्ञान और मुक्ति है। प्रेम के बिना वह नहीं है जिसकी उपासना करते हैं।
सर्वथा दरिद्रनारायणो सेवितव्यः। यतोहि बुभुक्षितः, दीनः, उपेक्षितः, विकलाङ्गजनः, दुर्बलः एव साक्षादीश्वरः। अतः एतेषामुपासना एव ईश्वरस्याराधना अस्ति।
अनुवाद- हमेशा दरिद्रनारायण (गरीब) की सेवा करनी चाहिए। क्योंकि भूखा, दीन, उपेक्षित, विकलांग, दुर्बल व्यक्ति ही साक्षात् ईश्वर हैं। इसलिए ऐसों की उपासना ही ईश्वर की आराधना है।
चारित्र्यबलं धारयत। अनेनैव सर्वत्र विजयो भविष्यति। दाता भव। प्रतिग्रहणस्य कामनां मा कुरु। वसन्तवल्लोकहितं चरत। परोपकारः परमपवित्रं कार्यमस्ति। परोपकारेण चित्तं शुद्धयति। अनेनैव ईश्वरप्राप्तिः सम्भवा।
अनुवाद- चरित्र की शक्ति को धारण करो। इससे ही सब। जगह विजय होगी। दाता होओ। प्रतिग्रहण (दान के बदले ग्रहण) की कामना मत करो। बसन्त के समान संसार का कल्याण करो। परोपकार परम पवित्र कार्य है। परोपकार से मन शुद्ध होता है। इससे ही ईश्वर की प्राप्ति सम्भव है।
सः वेदान्तप्रचाराय स्वीकायाखिलं जीवनं समर्पयामास। तेन हिन्दुधर्मः संस्कृतिश्च प्रसारिते। सः न केवलं परिव्राजकः अपतुि परोपकारी, दाता, लोकसेवकः महान् देशभक्तश्चासीत्। शिकागोनगरे विश्वधर्मसम्मेलने सः भारतस्य प्रतिनिधिः अभवत्। देशविदेशेषु तस्य बहवः शिष्याः अभवन्। आङ्ग्लदेशीय “कुमारी नोबल” या अनन्तर ‘भगिनी निवेदिता’ इति नाम्ना प्रसिद्धा, तस्य प्रिया शिष्या अभवत्। सः यूनां कृते विशिष्टप्रेरकः पथप्रदर्शकश्चासीत्। भारतीयस्वतन्त्रतासंग्रामेऽपि तस्य ऊर्जस्वलानि भाषणानि स्वाधीनतासैनिकानां कृते प्रेरणास्पदानि। ‘उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत’ इत्युपनिषदः ध्येयवाक्यं सः जीवनेऽधारयत्।
अनुवाद- उन्होंने वेदान्त प्रचार के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। उनके द्वारा हिन्दू धर्म और संस्कृति का प्रसार किया गया। वह न केवल संन्यासी, अपितु परोपकारी, दाता, लोक सेवक और महान देशभक्त थे। शिकागो नगर में विश्वधर्म सम्मेलन में वह भारत के प्रतिनिधि हुए। देश-विदेशों में उनके बहुत से शिष्य हुए। इंग्लैण्ड देश की “कुमारी नोबल” जो बाद में बहन निवेदिता’ के नाम से प्रसिद्ध हुई, उनकी प्रिय शिष्या हुई। वह युवाओं के लिये विशेष प्रेरक और मार्ग-प्रदर्शक थे। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में भी उनके तेजस्वी भाषण स्वाधीनता के सैनिकों के लिए प्रेरणादायक थे। ‘उठो, जागो और श्रेष्ठ (मनुष्यों) को पाकर (उनसे) ज्ञान प्राप्त करो।’ इस उपनिषद् के ध्येय वाक्य को उन्होंने जीवन में धारण किया।
अहर्निशं ब्रह्मकर्मसाधनां साध्यमानः एव जुलाई मासस्य चतुर्थे दिनांके १९०२ ख्रिस्ताब्दे(४ जुलाई,१९०२) सः ब्रह्मलीनो जातः। सः न केवलं भारते अपितु, विदेशेष्वपि प्रसिद्धः। तेन भारतस्य प्राचीनगौरवं विदेशेषु स्थापितम्। रवीन्द्रनाथटैगोरः कथयति यत् यदि कोऽपि भारतीयसंस्कृतिं ज्ञातुमिच्छति तहिं प्रथमः तेन स्वामी विवेकानन्दविषये पठितव्यः।
अनुवाद- दिन-रात ब्रह्म कर्म साधना को करते हुए जुलाई महीने की चार तारीख 1902 ईसवी (4 जुलाई, 1902) में वह ब्रह्म में लीन हो गये। वह न केवल भारत में अपितु विदेशों में भी प्रसिद्ध थे। उनके द्वारा भारत का प्राचीन गौरव विदेशों में स्थापित किया गया। रवीन्द्रनाथ टैगोर कहते हैं कि यदि कोई भी भारतीय संस्कृति को जानना चाहता है तो पहले उसे स्वामी विवेकानन्द के विषय में पढ़ना चाहिए।
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5. तृतीयः पाठः सर्वनामशब्दाः (स्त्रीलिंङ्गम्) (भाग-1 ) हिन्दी अनुवाद व अभ्यास
शब्दार्थाः
लब्धप्रतिष्ठः = ख्याति प्राप्त।
अभिभाषक = वकील।
कुशाग्रबुद्धिः = तीव्र बुद्धि।
मल्लविद्यादिषु = कुश्ती आदि विद्याओं में।
परिव्राजकदीक्षाम् = संन्यास की दीक्षा को।
स्वकीयज्ञानदीप्त्या=अपनेज्ञान के प्रकाशसे।
अध्यात्मपरायणम् = अध्यात्म की ओर अभिमुख।
प्राप्य वशन्निबोधत = श्रेयस्कर लक्ष्य को प्राप्त कर शान्त हो।
बुभुक्षिताः = भूखे।
औदार्यम् = उदारता का गुण।
प्रतिग्रहणस्य = दान के बदले ग्रहण करने की/का।
ऊर्जस्वलानि = तेजस्वी।
ब्रह्मलीनः = ब्रह्म में लीन।
वसन्तवल्लोकहितं = वसन्त के समान लोक कल्याणकारी।
व्याकरणम्
(क) धार्मिकश्चासीत् = धार्मिकः + च + आसीत्।
(ख) अध्यात्मपरायणमकरोत् = अध्यात्मपरायणम् + अकरोत्।
(ग) हृदयस्यौदार्यमस्ति = हृदयस्य + औदार्यम् + अस्ति।
(घ) मुक्तिश्चास्ति = मुक्तिः + च + अस्ति।
(ङ) यदिदमुपासते = यत् + इदम् + उपासते।
(च) वसन्तवल्लोकहितम् = वसन्तवत् + लोकहितम्।
अभ्यासः इस 👇 बारे में भी जानें।
1. एकपदेन उत्तरं लिखत-
( एक शब्द में उत्तर लिखो- )
(क) स्वामी विवेकानन्दस्य बिल्यकालस्य नाम किम् आसीत्?
( स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम क्या था? )
उत्तर- नरेन्द्रनाथः। ( नरेंद्रनाथ )
(ख) स्वामी विवेकानन्दस्य मातुः नाम किम् आसीत्?
(स्वामी विवेकानन्द की माता का नाम क्या था?)
उत्तर- भुवनेश्वरी देवी। (भुवनेश्वरी देवी)
1. सूर्य नमस्कार और इसकी 12 स्थितियाँ
(नरेन्द्रनाथ के पिता का नाम क्या था?)
उत्तर- विश्वनाथदत्तः। (विश्वनाथदत्त)
(घ) नरेन्द्रनाथस्य जन्म कस्मिन् नगरे अभवत्?
(नरेन्द्रनाथ का जन्म किस नगर में हुआ?)
उत्तर- कोलकातानगरे। (कोलकाता नगर में)
(ङ) नरेन्द्रनाथस्य गुरोः नाम किम् अस्ति?
(नरेन्द्रनाथ के गुरु का नाम क्या है?)
उत्तर- रामकृष्णपरमहंसः। (रामकृष्णपरमहंस)
प्रश्न 2. एकवाक्येन उत्तरं लिखत
(एक वाक्य में उत्तर लिखो-)
(क) नरेन्द्रनाथस्य जन्म कदा अभवत्?
(नरेन्द्रनाथ का जन्म कब हुआ?)
उत्तर- नरेन्द्रनाथस्य जन्म जनवरी मासस्य द्वादशे दिनांके १८६३ खिस्ताब्दे (१२ जनरवरी, १८६३)अभवत्।
(नरेन्द्रनाथ का जन्म जनवरी महीने की बारह तारीख को 1863 ईस्वी (12 जनवरी, 1863) में हुआ।)
(ख) शिकागोनगरे विश्वधर्मसम्मेलने भारतस्य प्रतिनिधिः कः अभवत्?
(शिकागो नगर में विश्वधर्म सम्मेलन में भारत के प्रतिनिधि कौन हुए?)
उत्तर- शिकागोनगरे विश्वधर्मसम्मेलने भारतस्य प्रतिनिधिः स्वामी विवेकानन्दः अभवत्।
(शिकागो नगर में विश्वधर्म सम्मेलन में भारत के प्रतिनिधि स्वामी विवेकानन्द हुए।)
(ग) स्वामी विवेकानन्दः कदा ब्रह्मलीनोऽभवत्?
(स्वामी विवेकानन्द कब ब्रह्मलीन हुए?)
उत्तर- स्वामी विवेकानन्दः जुलाई मासस्य चतुर्थे दिनांके १८०२ खिस्ताब्दे (४ जुलाई, १९०२) ब्रह्मलीनोऽभवत्।
(स्वामी विवेकानन्द जुलाई महीने की चार तारीख 1902 ईस्वी (4 जुलाई, 1902) में ब्रह्मलीन हुए।)
(घ) रवीन्द्रनाथटैगोर किम् कथनम् अस्ति?
(रवीन्द्रनाथ टैगोर का क्या कहना है?)
उत्तर- रवीन्द्रनाथटैगोरस्य कथनम् अस्ति यत् कोऽपि भारतीयसंस्कृतिं ज्ञातुमिच्छति तर्हि प्रथमः तेन स्वामी विवेकानन्दविषये पठितव्यः।
(रवीन्द्रनाथ टैगोर का कहना है कि कोई भी भारतीय संस्कृति को जानना चाहता है तो पहले उसे स्वामी विवेकानन्द के विषय में पढ़ना चाहिए।)
(ङ) यूनाम् प्रेरकः पथप्रदर्शकश्च कः?
(युवाओं के प्रेरक और पथ-प्रदर्शक कौन हैं?)
उत्तर- यूनाम् प्रेरकः पथप्रदर्शकश्च स्वामी विवेकानन्दः।
(युवाओं के प्रेरक और पथ-प्रदर्शक स्वामी विवेकानन्द हैं।)
प्रश्न 3. उचितं योजयत-
( उचित को जोड़ो- )
(अ)....................................(ब)
(क) नरेंद्रनाथः एव - विश्वनाथदत्तः
(ख) नरेंद्रनाथस्य माता - स्वामी विवेकानंदः
(ग) नरेंद्रनाथस्य पिता - रामकृष्णपरमहंस
(घ) नरेंद्रनाथस्य गुरुः - भगिनी निवेदिता
(ङ) नरेंद्रनाथस्य प्रिया शिष्या - भुवनेश्वरी देवी
उत्तर-
(अ)....................................(ब)
(क) नरेंद्रनाथः एव - स्वामी विवेकानंदः
(ख) नरेंद्रनाथस्य माता - भुवनेश्वरी देवी
(ग) नरेंद्रनाथस्य पिता - विश्वनाथदत्तः
(घ) नरेंद्रनाथस्य गुरुः - रामकृष्णपरमहंस
(ङ) नरेंद्रनाथस्य प्रिया शिष्या - भगिनी निवेदिता
प्रश्न 4. शुद्धवाक्यानां समक्षम 'आम्' अशुद्ध वाक्यानां समक्षम 'न' इति लिखत-
( शुद्ध वाक्यों के सामने 'आम' (हाँ) तथा अशुद्ध वाक्यों के सामने 'न' (नहीं) लिखो- )
क. पौरुषं कुरु। [आम]
ख. आत्मभावस्य विकासः एव कर्म। [आम]
ग. जीवनस्यार्थः उन्नतिः नास्ति। [न]
घ. स्वार्थभावः एव मृत्युः। [आम]
ङ. परोपकारः अपवित्रं कार्यमस्ति। [न]
प्रश्न 5. उचितपदेन रिक्तस्थानं पूरयत-
( उचित शब्द द्वारा रिक्त स्थान भरो- )
क. प्रतिग्रहणस्य कामनां मा कुरु । (कुरु/मा कुरु)
ख. चारित्र्यबलं धारयत ।
(वायरत/धारयत)
ग. नरेंद्रनाथस्य पिता अभिभाषकः ।
(भषकः/अभिभाषकः)
घ. अनात्मभावस्य विकासः एव अकर्म ।
(कर्म/अकर्म)
ङ. स्वामीविवेकानंदस्य जन्म कोलकातानगरे अभवत्।
(कोलकातानगरे/मुम्बईनगरे)
प्रश्न 6. नामोल्लेखपूर्वकं सन्धि विच्छेदं कुरुत
(नाम का उल्लेख करते हुए सन्धि-विच्छेद करो-)
क दीक्षानन्तरम्
ख प्रसिद्धोऽभवत्
ग एवाकर्म
घ तस्यावधारणा
ङ अनेनैव
च कार्यमस्ति
उत्तर-
शब्दः...............संधि-विच्छेदः...............संधि-नाम
क दीक्षानन्तरम्..दीक्षा+अनन्तरम्..स्वर संधिःदीर्घ
ख प्रसिद्धोऽभवत्..प्रसिद्धः+अभवत्..विसर्ग संधि
ग एवाकर्म..एव+अकर्म..स्वर संधिःदीर्घ
घ तस्यावधारणा.. तस्य+ अवधारणा.. स्वरसंधिः दीर्घ
ङ अनेनैव..अनेन+एव..स्वर संधिः वृद्धिः
च कार्यमस्ति..कार्यम्+अस्ति.. व्यंजन संधिः
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प्रश्न 7. नामोल्लेखपूर्वकं समासविग्रहं कुरुत
(नाम का उल्लेख करते हुए समास-विग्रह करो-)
क लोकसेवकः
ख परोपकारः
ग परिव्राजकदीक्षाम्
घ जीवनगतिः
ङ ईश्वर प्राप्तिः
उत्तर-
समस्तपदम्.........समास-विग्रहः.........समास-नाम
क लोकसेवकः..लोकस्य सेवकः..तत्पुरुषः
ख परोपकारः..परेषाम् उपकारः..तत्पुरुषः
ग परिव्राजकदीक्षाम्..परिव्राजकाणां दीक्षाम्
..तत्पुरुषः
घ जीवनगतिः..जीवनस्य गतिः..तत्पुरुषः
ङ ईश्वर प्राप्तिः..ईश्वरस्य प्राप्तिः..तत्पुरुषः
प्रश्न 8. मूलशब्दं, लिङ्ग, विभक्तिं, वचनं च लिखत
(मूल शब्द, लिंग, विभक्ति और वचन लिखो-)
(क) ज्ञानम्
(ख) कार्यम्
(ग) अनेन
(घ) ईश्वरः
(ङ) दीनः
(च) क्रीडासु
(छ) एतेषाम्
(ज) सः।
उत्तर-
शब्दः
(क) ज्ञानम्
(ख) कार्यम्
(ग) अनेन
(घ) ईश्वरः
(ङ) दीनः
(च) क्रीडासु
(छ) एतेषाम्
(ज) सः
मूलशब्दम्
ज्ञानम्
कार्यम्
इदम्
ईश्वर
दीन
क्रीडा
एतत्
तद्
लिंगम्
नपुंसकलिंगम्
नपुंसकलिंगम्
पुल्लिंगम्
पुल्लिंगम्
पुल्लिंगम्
स्त्रीलिंग
पुल्लिंगम्
पुल्लिंगम्
विभक्तिम्
प्रथमा
प्रथमा
तृतीया
प्रथमा
प्रथमा
सप्तमी
षष्ठी
प्रथमा
वचनम्
एकवचनम्
एकवचनम्
एकवचनम्
एकवचनम्
एकवचनम्
एकवचनम्
बहुवचनम्
बहुवचनम्
एकवचनम्
प्रश्न 9. अव्ययानां वाक्य प्रयोगं कुरुत-
(अव्ययों का वाक्यों में प्रयोग करो-)
(क) च
(ख) एवम्
(ग) मा
(घ) तदा
(ङ) यदि
उत्तर-
अव्ययम्................................ वाक्य-प्रयोगः
(क) च..रामः मोहनः च गच्छतः।
(ख) एवम्..एवम् अस्तु।
(ग) मा..असत्यं मा वद।
(घ) तदा..परिश्रमं करिष्यति तदा सफलता मिलिष्यति।
(ङ) यदि..यदि कोsपि भारतीयसंस्कृतिं ज्ञातुमिचछति तर्हि प्रथमः विवेकानन्दविष्ये पठितव्यः।
प्रश्न 10. ‘स्वामी विवेकानन्दः’ इति विषयमवलम्ब्य संस्कृते दशवाक्यानि लिखत
(‘स्वामी विवेकानन्द’ इस विषय के आधार पर संस्कृति में दस वाक्य लिखो-)
उत्तर-
1. स्वामी विवेकानन्दस्य बाल्यकालस्य नाम ‘नरेन्द्रनाथः’ आसीत्।
2. स्वामी विवेकानन्दस्य जन्म कोलकातानगरे अभवत्।
3. स्वामी विवेकानन्दस्य पिता ‘विश्वनाथदत्तः’ आसीत्।
4. स्वामी विवेकानन्दस्य माता ‘भुवनेश्वरी देवी’ आसीत्।
5. स्वामी विवेकानन्दस्य गुरुः ‘रामकृष्णपरमहंसः’ आसीत्।
6. स्वामी विवेकानन्दस्य शिष्या ‘भगिनी निवेदिता’ आसीत्।
7. स्वामी विवेकानन्दः यूनां कृते पथप्रदर्शकः आसीत्।
8. स्वामी विवेकानन्दः संस्कृतानुरागी आसीत्।
9. नरेन्द्रनाथः ‘स्वामी विवेकानन्दः’ इति नाम्ना प्रसिद्धोऽभवत्।
10. स्वामी विवेकानन्दस्य बहवः शिष्याः अभवन्।
कक्षा 8 हिन्दी के इन 👇 पाठों के बारे में भी जानें।
1. पाठ 2 'आत्मविश्वास' अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण)
2. मध्य प्रदेश की संगीत विरासत पाठ के प्रश्नोत्तर एवं भाषा अध्ययन
3. पाठ 8 अपराजिता हिन्दी (भाषा भारती) प्रश्नोत्तर एवं भाषाअध्ययन
4. पाठ–5 'श्री मुफ़्तानन्द जी से मिलिए' अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं भाषा अध्ययन)
5. पाठ 7 'भेड़ाघाट' हिन्दी कक्षा 8 अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण)
6. पाठ 8 'गणितज्ञ ज्योतिषी आर्यभट्ट' हिन्दी कक्षा 8 अभ्यास (प्रश्नोत्तर और व्याकरण)
आशा है, उपरोक्त पाठ विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगा।
धन्यवाद।
RF Temre
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I hope the above information will be useful and important.
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Thank you.
R F Temre
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