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पञ्चमः पाठः 'अहम् ओरछा अस्मि' संस्कृत कक्षा 8 हिन्दी अनुवाद एवं प्रश्नोत्तर | Aham Orchha Asmi


पञ्चमः पाठः 'अहम् ओरछा अस्मि' संस्कृत कक्षा 8 हिन्दी अनुवाद एवं प्रश्नोत्तर | Aham Orchha Asmi

उप शीर्षक:
पञ्चमः पाठः 'अहम् ओरछा अस्मि' संस्कृत कक्षा 8 के इस पाठ हिन्दी अनुवाद एवं प्रश्नोत्तर को हल कराया गया है।

अहम् ओरछा ! अहं टीकमगढमण्ले स्थितं प्राचीनं नगरम् अस्मि। पूर्वं स्वतन्त्रराज्यरूपेण मम परिचयः आसीत्। मम स्थापना षोडशशताभब्दे बुन्देलाराजपूतेन रुद्रप्रतापेन कृता। माम् परितः सघनं वनम् अस्ति। अस्मिन् वने सागौनवृक्षाः अधिकाः भवन्ति।सागौनकाष्ठं बहुमूल्यं भवति। मम वने सिंहाः, व्याघ्राः, हरिणाः, नीलगावः, वानराः स्वच्छन्दं विचरन्ति। अन्येSपि वन्यपशवः निर्भयाः वसन्ति। एतेषां वन्यपशूनां रक्षणाय शासनेन इदानीम् अभयारण्यं निर्मितम्।

अनुवाद- मैं ओरछा हूँ ! मैं टीकमगढ़ मन्डल में स्थित प्राचीन नगर हूँ। पहले स्वतंत्र राज्य के रूप में मेरा परिचय था। मेरी स्थापना 16वीं शताब्दी में बुंदेलराजपूत रूद्र प्रताप द्वारा की गई। मेरे चारों ओर घना जंगल है। इस जंगल में सागौन के पेड़ अधिक होते हैं। सागौन की लकड़ी बहुत कीमती होती है। मेरे जंगल में शेर, चीता, हिरण, नील गायें और बंदर स्वच्छंद घूमते हैं और भी जंगली पशु बिना भय के रहते हैं। इन जंगली पशुओं की रक्षा के लिए सरकार ने अब अभयारण्य का निर्माण कर दिया है।

मम परिक्षेत्रे चतस्त्रः प्रमुखाः नद्दः प्रवहन्ति। धसान-जामिनी-जतारा-बेतवा नाम्न्यः नद्दाः जलस्य आवश्ययक्तां पूरयन्ति; कृषिं, वनं, भूमिं च सिञ्चन्ति। जामिनीनद्दाः तीरे जम्बुवृक्षाः अधिकाः भवन्ति। मम दक्षिणभागे जामिनीवेत्रवत्योः संगमः अस्ति। तत्र संगमात् जलस्य सप्तधाराः भवन्ति। अतएव जना लोकभाषायां तं स्थलं 'सप्तधारा' इति वदन्ति। वेत्रवत्याः तटेः मम पुरातनः ऐतिहासिकः दुर्गः अस्ति। बहूनि मन्दिराणि अपि सन्ति। तत्रैव राज्ञां समाधयः अपि सन्ति।

अनुवाद- मेरे परिक्षेत्र में चार प्रमुख नदियाँ बहती हैं। धसान, जामिनी, जतारा और बेतवा नाम की नदियाँ जल की आवश्यकता को पूरा करती हैं और खेती, वन एवं भूमि को सींचती हैं। जमीनी नदी के किनारे जामुन के वृक्ष अधिक होते हैं। मेरे दक्षिण भाग में जमीनी और वेत्रवती का संगम है। वहाँ संगम से जल की सात धाराएंँहो जाती हैं। इसलिए लोग लोकभाषा में उस स्थल को 'सप्तधारा' कहते हैं। वेत्रवती के किनारे पर मेरा पुराना ऐतिहासिक किला है। बहुत से मंदिर भी हैं वहाँ राजायों की राजधानियाँ भी हैं।

तटे एकम् भव्यं रामराजामन्दिरं विद्यते। एतद् कलात्मकम् ऐतिहासिकम् मन्दिरम् अस्ति। मन्दिरे रामस्य, लक्ष्मणस्य,सीतायाश्च भव्याः, मनोरमाः प्रतिमाः प्रतिष्ठताः। मन्दिरस्य उद्याने विषपानस्थलं वर्तते। अत्रैव वीरः हरदौल: विषपानं कृतवान्। मम भूमौ अनेके वीराः धीराः, श्रेष्ठाः पुरुषाः अभवन्। तेषु हरदौल: मम अतिप्रियः आसीत्। सः राज्ञः जुझारसिंहस्य प्रियः अनुजः आसीत्। परं चाटुकारैः, धूर्तेः राज्ञः मनसि राज्ञीहरदौलसम्बन्धे सन्देहः उत्पादितः। हरदौलः महाराज्याः सम्मानरक्षणाय राज्ञः सन्देहनिवारणाय च विषपानं कृतवान्। अद्यापि तस्य बलिदानस्य स्मृतिः समस्ते क्षेत्रे सजीवा इव भवति। विवाहावसरे महिलाः तं प्रथमं पूजयन्ति।

अनुवाद- किनारे पर एक भव्य रामराजा मंदिर है। यह कलात्मक ऐतिहासिक मंदिर है। मंदिर में राम, लक्ष्मण और सीता की भव्य मनोरम मूर्ति स्थापित हैं। मंदिर के उद्यान में विषपान स्थल है। यहीं पर वीर हरदौल ने विषपान किया। मेरी भूमि पर अनेक वीर, धीर, श्रेष्ठ पुरुष हुए। उनमें हरदौल मेरा अति प्रिय था। वह राजा जुझार सिंह का प्रिय छोटा भाई था। परन्तु चुगलखोर धूर्तों के द्वारा राजा के मन में रानी और हरदौल के संबंध में संदेह उत्पन्न कर दिया। हरदौल ने महारानी के सम्मान की रक्षा के लिए और राजा के संदेह को दूर करने के लिए विषपान किया। आज भी उसके बलिदान की स्मृति समस्त क्षेत्र में सजीव-सी सुशोभित होती है। विवाह के अवसर पर महिलाएँ उसको पहले पूजती हैं।

मम दुर्गम् अपि सुदृढं कलात्मकं चास्ति। दरबारभवन, शीशभवनम् च दुर्गस्य वैशिष्ट्यम् अस्ति। सर्वेषु भवनेषु स्थापत्यकलायाः सुन्दराणि चित्राणि मनांसि रञ्जयन्ति: भवनानां गवाक्षेषु अपि प्रस्तरपट्टिकासु सूक्ष्म शिल्पकार्ड विद्यते। भित्तिकासु अपि मनोहराणि चित्राणि वर्तन्ते। दुर्गस्य अधस्तले काव्यकलाविदग्धायाः नर्तक्या: रायप्रवीमाया: आकर्षकम् भवनमपि स्थितम्। वामे दर्शनीयं चतुर्भजम्म विद्यते। अत्रादि प्रस्तरेषु कलाया: चित्रणम् अद्भुतम् भाति। पुरतः सावन-भादौनामको स्तम्भौ प्रसिद्धौ।

अनुवाद- मेरा किला भी मजबूत और कलात्मक है। दरबार भवन और शीश भवन किले की विशेषता हैं। सभी भवनों में स्थापत्य कला के सुन्दर चित्र मनों को प्रसन्न करते हैं। भवनों की खिड़कियों में भी पत्थर की पट्टियों में सूक्ष्म शिल्पकार्य है। दीवारों पर भी मनोहर चित्र हैं। किले के नीचे काव्य कला में चतुर नर्तकी रायप्रवीणा का आकर्षक भवन भी स्थित है। बायें भाग में दर्शनीय चतुर्भुज मन्दिर है। यहाँ भी पत्थरों पर अद्भुत कला का चित्रण सुशोभित होता है। सामने सावन-भादों नामक दो खम्भे प्रसिद्ध हैं।

मम परिसरे एकम् पुष्पोद्यानं वर्तते। तत्र विविधवर्णानि पुष्पाणि पर्यटकानां चित्तं मोदयन्ति। उद्यानस्य नातिदुरे हिन्दी भाषायाः प्रसिद्धकवेः केशवदासस्य स्थानमस्ति। षोडशशताब्दात् आरभ्य मम निर्माणम् अद्यावधि चलति एव। परं सर्वाधिक निर्माण कार्य महाराजवीरसिंहप्रथमस्य शासने अभवत्। मम इतिहासः रोचकः, कुतूहलपूर्ण: अस्ति। मध्यकाले मम विशिष्टं स्थानं महत्त्वञ्च आसीत् । अधुनाऽपि रामराजा तथैव विराजते। इदानीमपि जनाः प्रतिवर्षम् आगच्छन्ति माम् दृष्ट्वा मुदिताः भवन्ति। अन्यानि अपि लक्ष्मीनारायणमन्दिर -फूलबाग-दीवान-हरदौल भवन-सुन्दर भवन-शहीदस्मारक प्रभृतीनि द्रष्टव्यानि स्थलानि सन्ति। प्रतिदिनं यात्रिणः आगत्य ममेतिहासिक स्वरूपं दृष्ट्वां प्रसन्नाः भवन्ति तथा च तान् विलोक्य अहमपि प्रसन्नः भवामि।

अनुवाद- मेरे परिसर में एक फूलों का बाग है। वहाँ विभिन्न रंगों के फूल पर्यटकों के मन को प्रसन्न करते हैं। उद्यान के पास में हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध कवि केशवदास का स्थान है। सोलहवीं शताब्दी से लेकर मेरा निर्माण आज भी चल ही रहा है। परन्तु सबसे अधिक निर्माण कार्य महाराज वीरसिंह प्रथम के शासन में हुआ। मेरा इतिहास रोचक और कौतूहलपूर्ण है। मध्यकाल में मेरा विशिष्ट स्थान और महत्त्व था। आज भी रामराजा वहीं विराजते हैं। अब भी लोग प्रतिवर्ष आते हैं (और) मुझे देखकर प्रसन्न होते हैं। लक्ष्मीनारायण मन्दिर, फूलबाग, दीवान, हरदौल भवन, सुन्दर भवन, शहीद स्मारक आदि अन्य स्थल भी देखने योग्य हैं। प्रतिदिन यात्री आकर मेरे ऐतिहासिक स्वरूप को देखकर प्रसन्न होते हैं तथा उनको देखकर मैं भी प्रसन्न होता हूँ।

संस्कृत कक्षा 8 के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. वन्दना श्लोकों का हिन्दी अनुवाद (कक्षा 8 वीं) संस्कृत
2. लोकहितम मम करणीयम्- पाठ का हिंदी अनुवाद (कक्षा- 8 वीं) संस्कृत
3. अभ्यास: – प्रथमः पाठः लोकहितम मम करणीयम् (कक्षा आठवीं संस्कृत)
4. कालज्ञो वराहमिहिरः पाठ का हिन्दी अनुवाद एवं अभ्यास
5. तृतीय पाठः गणतंत्रदिवसः पाठ का अनुवाद एवं अभ्यास कार्य
6. चतुर्थः पाठः नीतिश्लोकाः कक्षा 8 संस्कृत

शब्दार्थाः

परितः - चारों ओर।
गवाक्षेषु - खिड़कियों में।
संगम् - नदियों के पारस्परिक मिलन स्थल।
वन्यपशवः - जंगली पशु।
दुर्गम् - किला।
भाति - सुशोभित होता है।

अभ्यासः

प्रश्न 1. एकपदेन उत्तरं लिखत-
( एक शब्द में उत्तर लिखो-)
क. ओरछानगरं कस्मिन् मण्डले अस्ति?
( ओरछा नगर किस मंडल में है? )
उत्तर- टीकमगढ़मण्डले। (टीकमगढ़ मंडल में )
ख. ओरछानगरस्य स्थापना कदा अभवत्?
( ओरछा नगर की स्थापना कब हुई? )
उत्तर- षोडशशताभब्दे। ( सोलहवीं शताब्दी में )
ग. ओरछानगरस्य स्थापना केन कृता?
( ओरछा नगर की स्थापना किसके द्वारा की गयी? )
उत्तर- रूद्रप्रतापेन। ( रूद्रप्रताप के द्वारा )
घ. विषपानस्थलं कुत्र वर्तते?
( विषपान स्थल कहाँ है? )
उत्तर- रामराजामन्दिरे। (रामराजा मंदिर में )
ङ. विषपानं कः कृतवान्?
( विषपान किसने किया? )
उत्तर- हरदौलः।( हरदौल ने )
च. ओरछानगरं परितः किम्?
( ओरछा नगर के चारों और क्या है? )
उत्तर- वनम्। ( जंगल )

प्रश्न 2. एकवाक्येन उत्तरं लिखत-
( एक वाक्य में उत्तर लिखो- )
क. ओरछानगरस्य परिक्षेत्र प्रमुखनदीनां नामानि लिखत।
( ओरछा नगर के परिक्षेत्र में प्रमुख नदियों के नाम लिखो।)
उत्तर - धसान ,जामिनी-जतारा और बेतवा:।
(धसान ,जामिनी ,जतारा और बेतवा।)
ख. दुर्गस्य किं वैशिष्टयम् ?
( किले की क्या विशेषता है?)
उत्तर - दरबारभवनम् ,शीशभवनम् च दुर्गस्य वैशिष्टयम्।
( दरबार भवन और शीश भवन किले की विशेषता हैं। )
ग. भवनानां गवाक्षेषु किं विद्यते?
(भवनों की खिड़कियों में क्या है?)
उत्तर - भवनानां गवाक्षेषु प्रस्तरपट्टिकासु सूक्ष्मं शिल्पकार्य विद्यते।
(भवनों की खिड़कियों में पत्थर की पट्टियों में सूक्ष्म शिल्पकार्य है।)
घ. हरदौलमहाराजः किमर्थं विषपानं कृतवान्?
(हरदौल महाराज ने किसलिये विषपान किया?)
उत्तर - हरदौलमहाराजः महाराज्याः सम्मानरक्षणाय राज्ञः सन्देहनिवारणाय च विषपानं कृतवान्।
(हरदौल महाराज ने महारानी के सम्मान की रक्षा के लिए और राजा के सन्देह को दूर करने के लिये विषपान किया।)
ङ. प्रसिद्धकवेः केशवदासस्य स्थानं कुत्र अस्ति?
(प्रसिद्ध कवि केशवदास का स्थान कहाँ है?)
उत्तर - प्रसिद्धकवेः केशवदासस्य स्थानं उद्यानस्य नातिदूरे अस्ति?
(प्रसिद्ध कवि केशवदास का स्थान उद्यान के पास है।)
च. ओरछानगरे कानि द्रष्टव्यानि स्थलानि सन्ति?
(ओरछा नगर में कौन-से देखने योग्य स्थल हैं?)
उत्तर - ओरछानगरे लक्ष्मीनारायणमन्दिर -फूलबाग -दीवान हरदौलभवन-सुन्दरभवन- शहीदस्मारक प्रभृतीनि द्रष्टव्यानि स्थलानि सन्ति।
(ओरछा नगर में लक्ष्मीनारायण मन्दिर, फूलबाग, दीवान, हरदौल भवन, सुन्दर भवन, शहीद स्मारक आदि देखने योग्य स्थल हैं।)

प्रश्न 3. उचितं मेलयत-
(उचित को मिलाओ- )
(अ)............................................(ब)

क. ओरछानगरस्य परीक्षेत्रे - तं प्रथमं पूजयन्ति।
ख. विवाहावसरे महिलाः - अद्भुतं भाति।
ग. प्रस्तरेषु कलायाः चित्रणम् - चतस्त्रः नद्दः सन्ति।
घ. जुझारसिंहस्य प्रियः अनुजः - महाराजवीरसिंह प्रथमस्य शासने अभवत्।
ङ. सर्वाधिकं निर्माणकार्यं - हरदौलः आसीत्।

उत्तर-
(अ)................................................(ब)
क. ओरछानगरस्य परीक्षेत्रे - चतस्त्रः नद्दः सन्ति।
ख. विवाहावसरे महिलाः - तं प्रथमं पूजयन्ति।
ग. प्रस्तरेषु कलायाः चित्रणम् - अद्भुतं भाति।
घ. जुझारसिंहस्य प्रियः अनुजः - हरदौलः आसीत्।
ङ. सर्वाधिकं निर्माणकार्यं - महाराजवीरसिंह
प्रथमस्य शासने अभवत्।

प्रश्न 4. उचितपदेन रिक्तस्थानं पूरयत- ( उचित शब्द द्वारा रिक्त स्थान भरो-)
क. विषपानस्थलं उद्दानस्य मध्ये वर्तते।
( उद्दानस्य मध्ये / मन्दिरस्य प्रांगणे )
ख. दरबारभवनं दुर्गे अस्ति।
( दुर्गे / मार्गे )
ग. केशवदासः हिंदीभाषायाः कविः आसीत्।
( संस्कृतभाषायाः / हिंदीभाषायाः )
घ. ओरछानगरस्य इतिहासः रोचकः अस्ति।
( रोचकः / मोचकः )
ङ. जामिनीनद्दाः तीरे जम्बूवृक्षाः अधिकाः भवन्ति।
( दाडिमवृक्षाः / जम्बूवृक्षाः )

प्रश्न 5. नामोल्लेखपूर्वकं समासविग्रहं कुरुत
(नाम का उल्लेख करते हुए समास-विग्रह करो-)
क. शिल्पकार्यम्
ख. काव्यकलाविदग्धायाः
ग. विषपानस्थलम्
घ. विवाहावसरे
ङ. चतुर्भुजमन्दिरम्

उत्तर-
सम्स्तपदम....समास-विग्रहः....समासस्य नाम
क. शिल्पकार्यम्....शिल्पस्य कार्यम्.... तत्पुरुष
ख. काव्यकलाविदग्धायाः....काव्यकलयां विदग्धायाः.... तत्पुरुष
ग. विषपानस्थलम्....विषपानाय स्थलम्.... तत्पुरुष
घ. विवाहावसरे....विवाहस्य अवसरे.... तत्पुरुष
ङ. चतुर्भुजमन्दिरम्....चतुर्भुजस्य मन्दिरम्.... तत्पुरुष

प्रश्न 6. नामोल्लेखपूर्वकं सन्धि विच्छेदं कुरुत
(नाम का उल्लेख करते हुए सन्धि-विच्छेद करो-)
क. अत्रैव
ख. महत्त्वञ्च
ग. अद्यावधि
घ. सर्वाधिकम्
ङ. भवनमपि
उत्तर-
शब्दः....संधि विच्छेदः....सन्धि-नाम
क. अत्रैव....अत्र+एव....स्वर संधिः(वृद्धिः)
ख. महत्त्वञ्च....महत्त्वम्+च....व्यंजन संधिः
ग. अद्यावधि....अद्य+अवधि....स्वर संधिः(वृद्धिः)
घ. सर्वाधिकम्....सर्व+अधिकम्....स्वर संधिः(वृद्धिः)
ङ. भवनमपि....भवनम्+अपि....व्यंजन संधिः

प्रश्न 7. समीचीनं चिनुत (आम्/न)-
(ठीक को चुनो, ठीक के आगे ‘आम्’ (हाँ) और गलत के आगे ‘न’ (नहीं) लिखो-)
(क) ओरछानगरस्य दुर्गः सुदृढ़ः कलात्मकः च नास्ति। [न]
(ख) अभयारण्यं वन्यपशूनां रक्षणाय भवति। [आम्]
(ग) ओरछानगरे भित्तिकासु मनोहराणि चित्राणि वर्तन्ते। [आम्]
(घ) ओरछानगरस्य निकटे सप्तधाराः सन्ति। [आम्]
(ङ) रामराजामन्दिरे परशुरामस्य प्रतिमा अस्ति। [न]

रामो राजते यत्र तद्धाम परमं मम।

संस्कृत कक्षा-6 के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. प्रथमः पाठः शब्द परिचय (कक्षा 6वीं) संस्कृत
2. स्तुति श्लोकाः हिन्दी अनुवाद (कक्षा- 6) संस्कृत
3. द्वितीयः पाठः 'कर्तृक्रियासम्बन्धः' संस्कृत कक्षा - 6
4. तृतीयः पाठः सर्वनामशब्दाः

आशा है, इस पाठ की जानकारी विद्यार्थियों के लिए उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
धन्यवाद।
RF Temre
infosrf.com



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(I hope the above information will be useful and important. )
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