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मध्य प्रदेश की पुरातात्विक विरासत | Archaeological Heritage of Madhya Pradesh

  मध्य प्रदेश का इतिहास भू-वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत प्राचीन है। यहाँ से मानव विकास की लंबी यात्रा के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। इन पुरातात्विक साक्ष्यों के माध्यम से मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक गाथा की जानकारी प्राप्त होती है। मध्य प्रदेश के प्रमुख पुरातात्विक स्थल निम्नलिखित हैं-

  The history of Madhya Pradesh is very ancient from the geological point of view. Evidence of a long journey of human development has been received from here. Information about the historical story of Madhya Pradesh is obtained through these archaeological evidences. Following are the major archaeological sites of Madhya Pradesh-

  भीमबैटका- यह मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है। यहाँ से प्रागैतिहासिक काल की सभ्यता के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। भीमबैटका की गुफाओं से आदिमानवों की कलात्मक अभिरुचि की जानकारी मिलती है। तत्कालीन समय में आदिमानव नृत्य-संगीत, पशु-पक्षियों के शिकार करते थे, और पारिवारिक जीवन जीते थे। इसे उन्होंने भीमबैटका पर शैलचित्रों के माध्यम से अभिव्यक्त किया है। यह एक पुरातात्विक स्रोत है।

  Bhimbatka- It is located in Raisen district of Madhya Pradesh. Evidence of prehistoric civilization has been received from here. The caves of Bhimbatka give information about the artistic interest of primitive humans. At that time, primitive humans used to dance, play music, hunt animals and birds, and lead a family life. He has expressed this through rock paintings on Bhimbatka. This is an archaeological source.

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  डाँगवाला- उज्जैन से 35 किलोमीटर दूरी पर डाँगवाला स्थित है। यह ताम्रपाषाणकालीन संस्कृति का एक अनुपम उदाहरण है। इसका उत्खनन 1979 से प्रारंभ हुआ था। यहाँ से लगभग 2000 ईसा पूर्व से परमार काल तक के सांस्कृतिक सोपान प्राप्त हुए हैं। यहाँ पर एक किले के उत्खनन से ताम्रपाषाण संस्कृति का लगभग 7 मीटर स्कूल भण्डार मिला है। यहाँ पर मृदभाण्ड, तस्करी, कप आदि पर ज्यामितिक और पशुओं के अंग चित्रित प्राप्त हुए हैं।

  Dangwala- Dangwala is situated at a distance of 35 kms from Ujjain. It is a unique example of Chalcolithic culture. Its excavation started in 1979. From here the cultural steps from about 2000 BC to the Parmar period have been received. From the excavation of a fort here, about 7 meters of school store of Chalcolithic culture has been found. Here geometric and animal parts have been found on pottery, smugglers, cups etc.

  एरण- एरण मध्य प्रदेश के सागर से 45 मील उत्तर-पश्चिम की ओर बीना नदी के तट पर स्थित है। एरण का प्राचीन ग्रंथों में 'एरिकिन' नाम प्राप्त होता है। यहाँ पर प्रोफ़ेसर कृष्णदत्त बाजपेयी के निर्देशन में 1960-61 ई. में उत्खनन प्रारंभ हुआ। यहाँ से विभिन्न सिक्के प्राप्त हुए हैं। इन सिक्कों से ज्ञात होता है कि यहाँ पर कभी गुप्त वंश का साम्राज्य था। इसके अतिरिक्त यहाँ पर अनेक गुप्तकालीन अभिलेख एवं स्तंभ मिले हैं।

  Eran- Eran is situated on the banks of river Bina, 45 miles north-west of Sagar in Madhya Pradesh. Eran receives the name 'Ericin' in ancient texts. Here excavation started in 1960-61 AD under the direction of Professor Krishnadutt Bajpayee. Various coins have been received from here. It is known from these coins that there was once an empire of the Gupta dynasty. Apart from this, many Gupta inscriptions and pillars have been found here.

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  कायथा- यह मध्यप्रदेश की पहली ताम्रपाषाण कालीन बस्ती है। इसका काल 2015 ईसा पूर्व से 1380 ईसा पूर्व तक माना जाता है। यहाँ से मिट्टी और तांबे से बनी पशु आकृतियाँ और तांबे से बने 29 कंकड़, दो कुल्हाड़ियाँ और एक छेनी प्राप्त हुये हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ से काले रंग के चित्र बने हुए लाल रंग के मृदभांड प्राप्त हुए हैं।

  Kayatha- This is the first Chalcolithic settlement of Madhya Pradesh. Its period is believed to be from 2015 BC to 1380 BC. Animal figures made of clay and copper and 29 pebbles made of copper, two axes and a chisel have been recovered from here. Apart from this, red colored pots made of black colored pictures have been received from here.

  बेसनगर- यह वर्तमान मध्य प्रदेश के विदिशा का प्राचीन नाम है। यहाँ से 1100 ईसा पूर्व से 900 ईसा पूर्व के बीच का ताम्र पाषाणयुगीन स्तर का पुरातात्विक वैभव मिला है। यहाँ पर श्री एच. एस. लेक के मार्गदर्शन में 1910 ईस्वी में उत्खनन प्रारंभ हुआ। यहाँ पर मौर्य अथवा पूर्व मौर्य काल की नहरों के अवशेष मिले हैं।

  Besnagar- This is the ancient name of Vidisha in present-day Madhya Pradesh. From here, archaeological splendor of Chalcolithic level between 1100 BC to 900 BC has been found. Here Mr. H.S. Excavation started in 1910 AD under the guidance of Lake. Remains of canals of Maurya or pre-Mauryan period have been found here.

  नावदा टोली- यहाँ से 1660 ईसा पूर्व से 1440 ईसा पूर्व तक के ताम्रपाषाणयुगीन स्तर के विभिन्न अवशेष मिले हैं। यहाँ से लाल-काले मृदभाण्ड, चना, गेहूँ, मसूर की खेती, प्लास्टर किए हुए चूल्हे, तांबे एवं पत्थर के औजार, परिवहन की गाड़ी तथा विदेशियों के अप्रवास के भी साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।

  Navada Toli- Various remains of Chalcolithic level have been found from 1660 BC to 1440 BC. Evidence of red-black pottery, gram, wheat, lentil cultivation, plastered stove, copper and stone tools, transport vehicle and immigration of foreigners have also been found here.

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  आदमगढ़- आदमगढ़ नर्मदापुरम् नगर की बाहरी सीमा पर नर्मदा नदी के दक्षिणी तट पर अवस्थित है। यह विश्व विख्यात चित्रित शैलकृत गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर श्री आर. व्ही. जोशी और एम. डी. खरे के नेतृत्व में 1960-61 ईस्वी में उत्खनन कार्य प्रारंभ किया गया। इस उत्खनन में सबसे प्राचीन औजार पूर्व पाषाणकालीन हस्तकुठार विदारणी, चक्रिक उपकरण, अंडिल, कोड और खुरचनी शल्क मिले हैं।

  Adamgarh- Adamgarh is situated on the southern bank of river Narmada on the outskirts of Narmadapuram city. It is famous for the world famous painted rock carved caves. Here the excavation work was started in 1960-61 AD under the leadership of Shri. R. V. Joshi and M.D. Khare. The most ancient tools found in this excavation are Pre-Stone Age handcut tools, wheel tools, cauldrons, cods and scraper scales.

  इन्द्रगढ़- यह मंदसौर जिले में स्थित है। यहाँ से एक शिलालेख मिला है। इसके अनुसार राष्ट्रकूट क्षत्रप के शासन में यहाँ पर एक शिव मंदिर बनवाया गया था। इस मंदिर के अवशेष मिले हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ से काँच तथा मिट्टी की मणि, ताँबे के पुराने सिक्के, काँच और हाथी दाँत की चूड़ियाँ, कटारे आदि प्राप्त हुए हैं।

  Indragarh- It is located in Mandsaur district. An inscription has been found from here. According to this, a Shiva temple was built here under the rule of Rashtrakuta Kshatrapa. Remains of this temple have been found. Apart from this, glass and clay gems, old copper coins, glass and ivory bangles, skewers etc. have been received from here.

  आवरा- यह मंदसौर जिले के चंद्रवासा नगर से 6 मील दूर स्थित है। यह एक ग्राम है। यहाँ पर सन् 1960-61 में मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग द्वारा डॉक्टर एच. व्ही. त्रिवेदी के निर्देशन में उत्खनन करवाया गया। इस उत्खनन में यहाँ से ताम्र और पाषाणयुगीन औजार, ईटों के मकान, जले मकान प्राप्त हुए हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ से तांबे और लोहे का प्रयोग होने के अवशेष भी प्राप्त हुए।

  Awara- It is located 6 miles away from Chandravasa town in Mandsaur district. This is one gram. Here in 1960-61, The excavation was done under the direction of Dr. H. V. Trivedi. In this excavation, copper and stone age tools, brick houses, burnt houses have been found from here. Apart from this, the remains of copper and iron were also found from here.

  मध्यप्रदेश में इन पुरातात्विक धरोहर के अलावा मध्यप्रदेश के मंदसौर, आवरा, शाजापुर, सागर, देवास, इंदौर, उज्जैन, धार, भिण्ड और जबलपुर आदि जिलों से उत्खनन से 30 स्थल मिले हैं। इन स्थानों से ताम्र पाषाण युगीन सभ्यता के मृदभांड, साज का सामान, लघु पाषाण औजार आदि प्राप्त हुए हैं। मध्य प्रदेश की पुरातात्विक विरासत मध्य प्रदेश के विभिन्न अंचलों से निकलकर प्रदेश और देश को पुरातात्विक विभाग से परिचित कराती है। इससे हमें यह ज्ञान होता है, कि मध्य प्रदेश कितनी विस्तृत संस्कृति वाला प्रदेश है। यहाँ की संस्कृति अद्वितीय है।

  In addition to these archaeological heritage in Madhya Pradesh, 30 sites have been found from the excavations from the districts of Mandsaur, Awara, Shajapur, Sagar, Dewas, Indore, Ujjain, Dhar, Bhind and Jabalpur etc. From these places, pottery, equipment, small stone tools etc. have been received from the Chalcolithic civilization. The archaeological heritage of Madhya Pradesh emerges from different regions of Madhya Pradesh and introduces the state and the country to the archaeological department. This gives us the knowledge that Madhya Pradesh is a state of vast culture. The culture here is unique.

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RF Temre
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