18 जुलाई नेल्सन मंडेला अन्तर्राष्ट्रीय दिवस– इस दिवस का इतिहास || International Nelson Mandela Day 18 July
शांति और रंगभेद के खिलाफ अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले नेल्सन मंडेला जो दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रहे इनकी गिनती उन लोगों में की जाती है जिन्होंने अपने कार्य, व्यवहार और अपने विचारों से दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की। एक समय था जब देश-विदेश में रंगभेद की समस्या बहुत ही विकराल थी। इस नीति के चलते बहुत से लोगों को निरपराध होते हुए भी अनेक प्रकार के कष्ट सहने पड़े थे। नेल्सन मंडेला को वर्तमान में पूरी दुनिया में उनके रंगभेद के विरोध के लिए जाना जाता है। उन्होंने सभी अश्वेत लोगों के अधिकारों का समर्थन और उनकी सुरक्षा हेतु रंगभेद का विरोध किया था। उन्होंने अहिंसा का मार्ग अपनाया और बगैर हिंसा के देश को इस रंगभेद नीति से देश को मुक्त कराया।
नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को म्वेज़ो, केप प्रांत, दक्षिण अफ़्रीका में हुआ था। इन्होंने अपना पूरा जीवन रंगभेद उसके खिलाफ और शांति के लिए संघर्ष करते हुए बिताया था। इनके पिता हेनरी म्वेजो कस्बे के जनजातीय सरदार थे। और वहाँ की स्थानीय भाषा में सरदार के बेटे को मंडेला कहते हैं। आगे चलकर यहीं उपनाम उनके नाम के साथ जुड़ गया। नेल्सन मंडेला अपने सभी भाइयों में तीसरे नंबर के पुत्र थे और अपनी माता के पहली संतान थे। उनकी माता का नाम मेथोडिस्ट था। जब नेल्सन मंडेला 12 वर्ष के थे उनके पिता की मृत्यु हो गई थी।
रंग भेद नीति के विरोध के चलते मंडेला को अपने जीवन के 27 साल जेल में गुजारना पड़ा था। इस दौरान उन्होंने रॉबेन द्वीप के कारागार में एक कोयला खनिक के तौर पर कार्य किया। उनके इस संघर्ष का अंत 1990 में हुआ जब उन्होंने श्वेत सरकार के साथ समझौते के बाद एक नए दक्षिण अफ्रीका को बनाया। इस प्रकार उन्हें साउथ अफ्रीका में लोकतन्त्र के प्रथम संस्थापक, राष्ट्रीय मुक्तिदाता और उद्धारकर्ता के तौर पर माना जाता है।
1994 में अफ्रीका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुआ और इसमें अश्वेतों को भी चुनाव लड़ने का अधिकार था। इस चुनाव में बहुमत के साथ 10 मई 1994 में नेल्सन मंडेला राष्ट्रपति बने। इसके बाद उन्होंने एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी।
भारत में जो गौरव महात्मा गाँधी को प्राप्त है वैसा ही दक्षिण अफ्रीका में मंडेला को प्राप्त है। उन्हें वहाँ 'राष्ट्रपिता' माना जाता है। जनता में मंडेला के प्रति बहुत प्रेंम-भाव और सम्मान है। भारत देश में भी 1990 में उन्हें देश के सर्वोच्च पुरूस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया। नेल्सन मंडेला भारत रत्न पाने वाले पहले विदेशी व्यक्ति हैं।
नेल्सन मंडेला की देश सेवा से प्रेरित होकर उनके सम्मान में संयुक्त राष्ट्रसंघ ने ये निर्णय लिया कि उनके जन्मदिन वाले दिन को नेल्सन मंडेला अन्तर्राष्ट्रीय मंडेला दिवस के रूप में मनाया जाएगा। आज 18 जुलाई को नेल्सन मंडेला दिवस पूरे संसार में मनाया जा रहा है। उनके अभूतपूर्व और सहराहनीय कार्य हेतु रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान के लिए उन्हें ये सम्मान दिया गया है।
दुनिया भर में शांति के लिए किए गए नेल्सन मंडेला के अथक प्रयासों को देखते हुए साल 2014 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने नेल्सन मंडेला पुरस्कार शुरू करने की भी घोषणा की। यह पुरस्कार हर पाँच साल में एक बार दिया जाता है। इस पुरस्कार को उन लोगों की उपलब्धियों को पहचान देने के लिए दिया जाता है, जिन्होंने मानवता की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित किया है।
नेल्सन मंडेला को 1993 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति फ़्रेडरिक विलेम डी क्लार्क के साथ संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया। मंडेला को रंगभेद शासन की शांतिपूर्ण समाप्ति के लिए और दक्षिण अफ्रीका के लिए एक नए लोकतंत्र की नींव रखने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मंडेला को विश्व के विभिन्न देशों और संस्थाओं द्वारा 250 से भी अधिक सम्मान और पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। जिनमे से कुछ प्रमुख सम्मान ―
1. भारत रत्न
2. गाँधी शांति पुरस्कार (23 जुलाई 2008)
3. ऑर्डर ऑफ़ लेनिन
4. प्रेसीडेंट मैडल ऑफ़ फ़्रीडम आदि हैं।
नेल्सन मंडेला का 95 वर्ष की आयु में फेफड़ों में संक्रमण हो जाने के कारण 5 दिसम्बर, 2013 को हॉटन, जोहान्सबर्ग स्थित अपने घर में देहांत हो गया था। उनकी मृत्यु हुई थी।
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