षोडशः पाठ: - कवित्वं कालिदासस्य | हिन्दी अनुवाद, प्रश्नोत्तर व व्याकरण | कक्षा 8 विषय संस्कृत | Kavitvam Kalidasasya
महाकविः कालिदासः संस्कृतसाहित्यस्य सर्वश्रेष्ठः कविरस्ति। तेन विरचितानि मालविकाग्निमित्रम्, विक्रमोर्वशीयम्, अभिज्ञानशाकुन्तलम् चेति त्रीणि नाटकानि सन्ति। एतेषु नाटकेशु अभिज्ञानशाकुन्तलं तु न केवलं संस्कृतसाहित्यस्य अपितु विश्वस्य सर्वश्रेष्ठं नाटकमस्ति।
उच्यते यत्-
"काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला।"
हिन्दी अनुवाद -
महाकवि कालिदास संस्कृत साहित्य के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं। उनके द्वारा रचित 'मालविकाग्निमित्रम्', 'विक्रमोर्वशीयम्' और 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' ये तीन नाटक हैं। इन नाटकों में 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' तो न केवल संस्कृत साहित्य का बल्कि विश्व का सर्वश्रेष्ठ नाटक है।
कहा जाता है कि-
"काव्यों में नाटक रमणीय है, उन सभी में 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' अधिक रमणीय है।"
शाकुन्तलनाटकस्य वैशिष्ट्यविषये जर्मनकवेः गेटे महोदयस्य भावम् द्योतयता एकेन विदुषा कथितं यत्-
"एकीभूतमभूतपूर्वमथवा स्वर्लोकभूलोकयोः
ऐश्वर्यं यदि वाञ्छसि प्रियसखे ! शाकुन्तलं सेव्यताम्।।"
हिन्दी अनुवाद -
शाकुन्तल नाटक के विशिष्टता के संदर्भ में जर्मन कवि 'गेटे' के विचारों को प्रकट करते हुए एक विद्वान के द्वारा कहा गया है कि
"यदि स्वर्ग लोक एवं भू-लोक दोनों का एक साथ या अभूतपूर्व आनन्द को यदि चाहते हो तो हे मित्र! 'अभिज्ञान शाकुन्तलम्' का सेवन कीजिए (पढ़िए या देखिए) ।"
सप्त-अङ्कात्मके नाटकेऽस्मिन् दुष्यन्तशकुन्तलयोः कथा तथा तयोः शिशोः भरतस्य शौर्यं वर्णितम्। तस्य भरतस्य नाम्ना एव अस्माकं देशस्य नाम "भारतवर्षम्" इति प्रसिद्धम् अस्ति। नाट्येस्मिन् भरतवाक्यमाध्यमेन महाकविः कथयति "प्रवर्तताम् प्रकृतिहिताय पार्थिवः सरस्वतीश्रुतिमहतीमहीयताम्।
ममापि च क्षपयतु नीललोहितः, पुनर्भवम् परिगतशक्तिरात्मभः॥"
हिन्दी अनुवाद -
सात अंक के इस नाटक में दुष्यन्त और शकुन्तला की कथा तथा उन दोनों के शिशु भरत की वीरता का वर्णन है। उस भरत के नाम से ही हमारे देश का नाम 'भारतवर्ष' प्रसिद्ध है। इस नाटक में भरतवाक्य (नाटक के अन्त में सूत्रधार द्वारा कथित आशीर्वचन) के माध्यम से महाकवि (कालिदास) कहते हैं-
"राजा सर्वहित हेतु प्रवृत्त हों, वेद (श्रुति) स्वरूपा महान् सरस्वती देवी अर्थात् सत्साहित्य की प्रतिष्ठा हो और व्यापक शक्तिमान् स्वयं उत्पन्न नील और गाढ़े लाल वर्ण वाले शिवजी मेरे पुनर्जन्म को नष्ट करें। अर्थात् भगवान शिव की कृपा से मेरा जन्म-मरण रूप संसार का बन्धन हमेशा के लिए छूट जाये।"
मालविकाग्निमित्रनाटकम् पञ्चाङ्कात्मकमस्ति। अत्र मालविका-अग्निमित्रयोः कथा वर्णितास्ति। विक्रमोर्वशीयनाटके उर्वशी-पुरूरवसोः कथा पञ्चाङ्केषु वर्णिता। अस्मिन् नाटके भरतवाक्यमाध्यमेन कामयते कविः यत्-
"सर्वस्तरतु दुर्गाणि, सर्वो भद्राणि पश्यतु।
सर्वः कामानवाप्नोतु, सर्वः सर्वत्र नन्दतु॥"
हिन्दी अनुवाद-
'मालविकाग्निमित्र' नाटक पाँच अंकों वाला है। यहाँ मालविका और अग्निमित्र की कथा वर्णित है। 'विक्रमोर्वशीय' नाटक में उर्वशी और पुरूरवा की कथा पाँच अंकों में वर्णन किया गया है। इस नाटक में भरतवाक्य के माध्यम से कवि चाहता है कि-
"सभी मनुष्य कष्टों को पार करें (दूर हों), सभी सुखों को देखें (सुख की प्राप्ति हो), सभी इच्छाओं को प्राप्त करें, सर्वत्र प्रसन्नता हो।"
तस्य कुमारसम्भवम्, रघुवंशम् चेति नामके द्वे महाकाव्ये प्रसिद्ध स्तः। कुमारसम्भवमहाकाव्ये सप्तदशसर्गेषु स्वामिकार्तिकेयस्य अवतारकथा तारकासुरस्य वधवृत्तान्तञ्चास्ति। रघुवंशमहाकाव्ये नवदशसु सर्गेषु रघुवंशीयानाम् पराक्रमवर्णनं तथा तेषाम् उदात्तचरित्रनिरूपणं तेन कृतम्।
तेन मेघूदतम् ऋतुसंहारञ्च द्वे खण्डकाव्ये विरचिते। मेघदूते पूर्वमेघः उत्तरमेघश्चेति द्वौ भागौ स्तः। अस्मिन् काव्ये मेघः यक्षस्य दूतः अभवत्। सः मेघः दूतरूपेण रामगिरितः हिमालयस्थाम् अलकापुरी गच्छति। दूतमार्गस्य वर्णनं। नैसर्गिकम् अतीवरमणीयं चास्ति।
हिन्दी अनुवाद -
उनके 'कुमारसम्भव' और 'रघुवंश' नामक दो महाकाव्य प्रसिद्ध हैं। 'कुमारसम्भव' महाकाव्य में सत्रह सर्गों (खण्डों) में स्वामी कार्तिकेय की जन्म की कथा और तारकासुर के वध की कथा है। 'रघुवंश' महाकाव्य में उन्नीस सर्गों में रघुवंशियों के पराक्रम का वर्णन तथा उनके उदात्त चरित्र का वर्णन उनके द्वारा किया गया है।
उनके द्वारा 'मेघदूत' और 'ऋतुसंहार' दो खण्डकाव्य भी रचे गये हैं। मेघदूत में 'पूर्वमेघ' और 'उत्तरमेघ' ये दो भाग हैं। इस काव्य में 'मेघ' यक्ष का दूत बना। वह 'मेघ' दूत के रूप में रामगिरि से हिमालय पर स्थित अलकापुरी को जाता है। दूत के मार्ग का वर्णन स्वाभाविक और अत्यन्त रमणीय (सुन्दर) है।
ऋतुसंहारे षड्ऋतूणाम् प्राकृतिकसौन्दर्यम् मनोवैज्ञानिकञ्च वर्णितम्। कालिदासस्य उपमा विश्वप्रसिद्धा। उच्यते च "उपमा कालिदासस्य।" कथावर्णने चरित्रचित्रणे च सः प्रवीणः। तस्य वर्णनशैली सरसा-सरला परिष्कृता चास्ति। तस्य भाषा भावानुगामिनी।
भार्या विद्योत्तमा तस्य परोक्षप्रेरिका आसीत् परन्तु एषः कालिदासः परवर्तिसाहित्योपासकानां। कविकुलगुरुः अस्ति। कालिदास्य ग्रन्थानामनुवादः प्रायः विश्वस्य सर्वासु भाषासु सञ्जातः।
हिन्दी अनुवाद -
ऋतुसंहार में छह ऋतुओं का प्राकृतिक सौन्दर्य और मनोवैज्ञानिक वर्णन है। कालिदास की उपमा (तुलना) विश्व प्रसिद्ध है और कहा जाता है "उपमा कालिदास की।" कथा के वर्णन में और चरित्र-चित्रण में वह प्रवीण थे। उनकी वर्णन शैली सरस, सरल और परिष्कृत है। उनकी भाषा भावों का अनुगमन करने वाली है।
पत्नी विद्योत्तमा उनको अप्रत्यक्ष रूप से प्रेरित करने वाली थी परन्तु यह कालिदास बाद के (उत्तरकालीन) साहित्यकारों के कवि-कुलगुरु हैं। कालिदास के ग्रन्थों का अनुवाद प्रायः विश्व की सभी भाषाओं में हुआ है।
उज्जयिनी तस्य जन्मस्थली इति केचित् अन्ये विदर्भमपि मन्यन्ते वैदर्भीरीतितर्केण मेघदूतप्रमाणेन च अद्यापि उज्जयिन्याम् अन्यत्र च प्रतिवर्ष देवप्रबोधन्यां कालिदास-महोत्सवः विशिष्टरूपेण आयोज्यते। यतः तस्य मेघदूते यक्षस्य शाममोक्षः देवप्रबोधन्यामेव जातः। यक्षव्याजेन महाकविः आत्मव्यथाम् प्रस्तुतवान् इति विदुषाम् मतम्। अतः देवप्रबोधिनी तिथिः महाकवेः उत्सवदिवसः न तु जन्मदिवसः।। जन्मदिवस्तु शोधविषयो वर्तते।
अपि च उक्तम् -
पुराकवीनांगणनाप्रसङ्गे कनिष्ठिकाधिष्ठितकालिदासः।
अद्यापि तत्तुल्यकवेरभावादनामिका सार्थवती बभूवः॥
हिन्दी अनुवाद -
उज्जयिनी उनकी जन्मस्थली थी, कुछ अन्य लोग वैदर्भी रीति के तर्क से और मेघदूत के प्रमाण से विदर्भ को भी जन्मस्थली मानते हैं। आज भी उज्जयिनी में और अन्यत्र प्रतिवर्ष देव प्रबोधनी (देव उत्थानी एकादशी) को कालिदास महोत्सव विशेष रूप से आयोजित किया जाता है क्योंकि उनके मेघदूत में यक्ष की शाप से मुक्ति देव प्रबोधनी को ही हुई। यक्ष के बहाने से महाकवि ने अपनी व्यथा को प्रस्तुत किया ऐसा विद्वानों का मत है। इसलिए देवप्रबोधनी तिथि महाकवि का उत्सव दिवस है न कि जन्मदिन। जन्मदिन तो शोध का विषय है।
और कहा भी गया है-
प्राचीनकाल में कवियों की गणना के प्रसंग में कनिष्ठिका पर स्थापित हो जाने पर अर्थात् सबसे छोटी उँगली पर आ जाने पर आज भी उनके समान कवि के अभाव के कारण अनामिका (बिना नाम वाली) उँगली सार्थक हुई।
शब्दार्थ-
भरतवाक्यम् = नाटक के अन्त में सूत्रधार द्वारा कथित आशीर्वचन।
कामानवाप्नोतु (कामान् + अवाप्नोतु) = इच्छाओं को प्राप्त करें।
क्षपयतु = नष्ट करें।
प्रवर्तताम् = प्रवृत्त हों।
परिगत = व्यापक।
प्रकृतिहिताय = सर्वहित हेतु।
नन्दतु = प्रसन्न हों।
पार्थिवः = राजा।
आत्मभूः = स्वयम् उत्पन्न।
अवतारः = जन्म।
सरस्वतीश्रुतिमहतीमहीयताम् = श्रुतिस्वरूपा महान् सरस्वती देवी (अर्थात् सत्साहित्य) की प्रतिष्ठा होवे।
वधवृत्तान्तम् = वध की कथा।
परवर्तीसाहित्योपासकानाम् = उत्तरकालीन साहित्यकारों के।
एकीभूतमभूतपूर्वमथवा = (एकीभूतम् + अभूतपूर्वम् + अथवा)।
दुर्गाणि = कष्टों को।
नीललोहितः = नील और गाढ़े लाल वर्ण वाले शिवजी।
एकीभूतम् = एकत्रीकरण।
अभूतपूर्वम् = जो पहले कभी नहीं हुआ।
तत्तुल्य = उसके समान।
कवेः = कवि के।
स्वलॊकभूलोकयोः = स्वर्गलोक एवं भूलोक दोनों का।
अभावात् = अभाव से।
सार्थवती = सार्थक।
वाञ्छसि = चाहते हो।
बभूव = हुई।
सेव्यताम् = सेवन कीजिए।
अनामिका = कनिष्ठिका से द्वितीय क्रम की अंगुली/बिना नाम वाली।
कनिष्ठिकाधिष्ठित = (कनिष्ठिका + अधिष्ठित)।
परिष्कृता = अलंकृत।
भावानुगामिनी = भावों का अनुगमन करने वाली।
कनिष्ठिका = सबसे छोटी अँगुली।
अन्यतमः = श्रेष्ठ।
अधिष्ठित = स्थापित।
अभ्यास
1.एकपदेन उत्तरं लिखत्-
(एक शब्द में उत्तर लिखो-)
(क) काव्येषु किं रम्यम्?
(काव्यों में क्या सुन्दर है?)
उत्तर- नाटकम्।
(नाटक)
(ख) दुष्यन्तशकुन्तलयोः पुत्रस्य किं नाम?
(दुष्यन्त और शकुन्तला के पुत्र का नाम क्या था?)
उत्तर- भरतः।
(भरत)
(ग) अभिज्ञानशाकुन्तलनाट्ये कति अङ्काः सन्तिः?
(अभिज्ञान शाकुन्तल नाटक में कितने अंक हैं?)
उत्तर- सप्त।
(सात)
(घ) मेघदूतस्य कविः कः?
(मेघदूत का कवि कौन है?)
उत्तर- कालिदासः।
(कालिदास)
(ङ) रघुवंशमहाकाव्ये कति सर्गाः सन्ति?
(रघुवंश महाकाव्य में कितने सर्ग हैं?)
उत्तर- नवदश।
(उन्नीस)
(च) कालिदासेन कति नाटकानि विरचितानि?
(कालिदास ने कितने नाटक रचे?)
उत्तर- त्रीणि।
(तीन)
2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत -
(एक वाक्य में उत्तर लिखो-)
(क) कालिदासेन विरचितानां नाट्यग्रन्थानां नामानि लिखत।
(कालिदास के द्वारा विरचित नाट्य ग्रन्थों के नाम लिखो।)
उत्तर- कालिदासेन विरचितानां नाट्यग्रन्थानां नामानि मालविकाग्निमित्रम्, विक्रमोर्वशीयम्, अभिज्ञानशाकुन्तलम् चेति सन्ति।
(कालिदास के द्वारा विरचित नाट्य-ग्रन्थों के नाम मालविकाग्निमित्र, विक्रमोर्वशीय और अभिज्ञानशाकुन्तल हैं।)
(ख) अस्माकं देशस्य नाम "भारतवर्षम्" इति कथम् प्रसिद्धम्?
(हमारे देश का नाम "भारतवर्ष" कैसे प्रसिद्ध हुआ?)
उत्तर- भरतस्य नाम्ना एव अस्माकं देशस्य नाम "भारतवर्षम्" इति प्रसिद्धिम्।
(भरत के नाम से ही हमारे देश का नाम "भारतवर्ष" प्रसिद्ध हुआ।)
(ग) ऋतुसंहारे केषां वर्णनम् अस्ति?
(ऋतुसंहार में किनका वर्णन है?)
उत्तर- ऋतुसंहारे षड्ऋतुणाम् वर्णनम् अस्ति।
(ऋतुसंहार में छह ऋतुओं का वर्णन है।)
(घ) कालिदासेन विरचितमहाकाव्यद्वयस्य नाम लिखत।
(कालिदास के द्वारा विरचित दो महाकाव्यों के नाम लिखो।)
उत्तर- कालिदासेन विरचितमहाकाव्यद्वयस्य नाम कुमारसम्भवम् रघुवंशम् चेति स्तः।
(कालिदास के द्वारा विरचित दो महाकाव्यों के नाम कुमारसम्भव और रघुवंश हैं।)
(ङ) कालिदासेन विरचितखण्डकाव्यद्वयस्य नाम लिखत।
(कालिदास के द्वारा विरचित दो खण्डकाव्यों के नाम लिखो।)
उत्तर- कालिदासेन विरचितखण्डकाव्यद्वयस्य नाम मेघदूतम् ऋतुसंहारञ्च स्तः।
(कालिदास के द्वारा विरचित दो खण्डकाव्यों के नाम मेघदूत और ऋतुसंहार हैं।)
(च) कालिदास-महोत्सवः कदा आयोज्यते?
(कालिदास महोत्सव कब आयोजित किया जाता है?)
उत्तर- कालिदास-महोत्सवः देवप्रबोधन्याम् आयोज्यते।
(कालिदास महोत्सव देव-प्रबोधनी (देव उत्थानी) को आयोजित किया जाता है।)
3.
उचितशब्देन रिक्तस्थानम् पूरयत -
(उचित शब्द के द्वारा रिक्त स्थान की पूर्ति करो-)
(क) प्रवर्तताम् प्रकृतिहिताय पार्थिवः। (स्वहिताय/प्रकृतिहिताय)
(ख) सर्वः सर्वत्र नन्दतु। (अन्यत्र/सर्वत्र)
(ग) सर्वो भद्राणि पश्यतु। (अभद्राणि/भद्राणि)
(घ) काव्येषु नाटकम् रम्यम्। (कथा/नाटकम्)
(ङ) अनामिका सार्थवती बभूव। (कनिष्ठिका/अनामिका)
4.
उचित योजयत
( उचित को जोड़ो-)
(अ) ------------(ब)
(क) सर्वश्रेष्ठनाटकम् - ऋतुसंहारम्
(ख) महाकाव्यम् ---- विक्रमोर्वशीयनाट्ये
(ग) खण्डकाव्यम् ---- कुमारसम्भवम्
(घ) दूतरूपेण मेघस्य यात्रारम्भः - नन्दतु
(ङ) पुरुरवा इत्यस्य वर्णनम् - अभिज्ञानशाकुन्तलम्
(च) सर्वः सर्वत्र -------- रामगिरितः
उत्तर-
(अ) ------------(ब)
(क) सर्वश्रेष्ठनाटकम् - अभिज्ञानशाकुन्तलम्
(ख) महाकाव्यम् ----- कुमारसम्भवम्
(ग) खण्डकाव्यम् ----- ऋतुसंहारम्
(घ) दूतरूपेण मेघस्य यात्रारम्भः - नन्दतु
(ङ) पुरुरवा इत्यस्य वर्णनम् - विक्रमोर्वशीयनाट्ये
(च) सर्वः सर्वत्र -------- रामगिरितः
5.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् "आम्" अशुद्धवाक्यानां समक्षं "न" इति लिखत -
(शुद्ध वाक्यों के सामने "आम्" (हाँ) और अशुद्ध वाक्यों के सामने "न" (नहीं) लिखो-)
(क) अभिज्ञानशाकुन्तलनाट्ये सप्त-अङ्का सन्ति। [आम्]
(ख) 'सरस्वतीश्रुतिमहतीमहीयताम्' विक्रमोर्वशीय नाट्यस्य भारतवाक्यम् अस्ति। [न]
(ग) 'सर्वः सर्वत्र नन्दतु' इति भरतवाक्यम् अभिज्ञान शाकुन्तलस्य अस्ति। [न]
(घ) कालिदासस्य उपमा विश्वप्रसिद्धा अस्ति। [आम्]
(ङ) गणमाप्रसङ्गे कालिदासः अनामिकाधिष्ठितः अस्ति। [न]
(च) कालिदासस्य भार्यायाः नाम विद्योत्तमा अस्ति। [आम्]
(छ) कालिदासमहोत्सवः देवप्रबोधिन्याम् आयोज्यते। [आम्]
(ज) कुमारसम्भवग्रन्थं खण्डकाव्यम् अस्ति। [न]
(झ) मालविकाग्निमित्रनाट्ये सप्त-अङ्का सन्ति। [न]
(ञ) ऋतुसंहारं महाकाव्यम् अस्ति। [न]
6.
नामोल्लेखपूर्वकं सन्धिविच्छेदं कुरुत -
(नाम का उल्लेख करते हुए सन्धि विच्छेद करो-)
(क) चेति
(ख) कविरस्ति
(ग) नाटकेऽस्मिन्
(घ) अद्यापि
(ङ) सर्वस्तरतु
(च) सत्यमेव।
उत्तर-
शब्द: --- सन्धि-विच्छेदः --- सन्धिनाम
(क) चेति - च+इति - स्वर-सन्धिः (गुणः)
(ख) कविरस्ति - कविः+अस्ति - विसर्ग-सन्धिः
(ग) नाटकेऽस्मिन् - नाटके+अस्मिन् - स्वर-सन्धि (पूर्वरूपः)
(घ) अद्यापि - अद्य+अपि - स्वर-सन्धि (दीर्घः)
(ङ) सर्वस्तरतु - सर्वः+तरतु - व्यञ्जनसन्धिः
(च) सत्यमेव - सत्यम्+एव - व्यञ्जनसन्धिः
7.
नामोल्लेखपूर्वक समासविग्रहं कुरुत -
(नाम का उल्लेख करते हुए समास-विग्रह करो-)
(क) वर्णनशैली
(ख) शास्त्रपारङ्गतः
(ग)कालिदास महोत्सवः
(घ) साहित्योपासकाः
(ङ) गणनाप्रसङ्गे।
उत्तर-
समस्तपदम् - समास-विग्रहः - समास-नाम
(क) वर्णनशैली - वर्णनस्य शैली - तत्पुरुषः
(ख) शास्त्रपारङ्गत - शास्त्रे पारङ्गतः - तत्पुरुषः
(ग) कालिदासमहोत्सवः - कालिदासस्य महोत्सवः - तत्पुरुषः
(घ) साहित्योपासका - साहित्यस्य उपासकाः - तत्पुरुषः
(ङ) गणनाप्रसङ्गे - गणनायाः प्रसङ्गे - तत्पुरुषः
8.
स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत -
(मोटे शब्दों के आधार पर प्रश्न निर्माण करो-)
(क) कालिदासस्य उपमा विश्वप्रसिद्धाः
(कालिदास की उपमा विश्व प्रसिद्ध है।)
प्रश्न-
कस्य उपमा विश्वप्रसिद्धा?
(किसकी उपमा विश्वप्रसिद्ध है?)
(ख) तेन मेघदूतं विरचितम्।
(उनके द्वारा मेघदूत रचा गया?)
प्रश्न-
केन मेघदूतं विरचितम्।
(किनके द्वारा मेघदूत रचा गया?)
(ग) कालिदासः सर्वश्रेष्ठ: कविरस्ति।
(कालिदास सर्वश्रेष्ठ कवि हैं।)
प्रश्न- कः सर्वश्रेष्ठिः कविरस्ति?
(कौन सर्वश्रेष्ठ कवि हैं?)
(घ) मेघः दूत-रूपेण अलकापुरीं गच्छति।
(मेघ दूत के रूप में अलकापुरी जाता है।)
प्रश्न-
कः दूतरूपेण अलकापुरीं गच्छति?
(कौन दूत के रूप में अलकापुरी जाता है?)
(ङ) यक्षव्याजेन महाकवि आत्मव्यथाम् प्रस्तुतवान्।
(यक्ष के बहाने से महाकवि ने अपनी व्यथा प्रस्तुत की है।)
प्रश्न-
यक्षव्याजेन कः आत्मव्यथाम् प्रस्तुतवान्?
(यक्ष के बहाने से किसने अपनी व्यथा प्रस्तुत की है?)
योग्यताविस्तार:
1. कालिदासस्य साहित्यस्य अध्ययनं कुरुत।
(कालिदास के साहित्य का अध्ययन करें।)
2. अभिज्ञानशाकुन्तलनाट्यस्य तथा विक्रमोर्वशीयनाट्यस्य भरतवाक्यं कण्ठस्थं कुरुत।
[अभिज्ञानशाकुन्तलनाट्यस्य तथा विक्रमोर्वशीय के भरत वाक्य (नाटक के अन्त में सूत्रधार द्वारा कथित आशीर्वचन) को कंठस्थ कीजिए।]
3. कालिदासमहोत्सवे स्वकीयसहभागितां निर्धारयत।
('कालिदास महोत्सव' में स्वयं की सहभागिता दीजिए।)
4. निम्नलिखितस्य श्लोकस्य लयबद्धगानं कुरुत -
(निम्नलिखित श्लोक का लय के साथ गायन कीजिए।)
वासन्तं कुसुमं फलञ्च युगपद् ग्रीष्मस्य सर्वञ्च यद्-
यच्चान्यन्मनसो रसायनमतः सन्तर्पणं मोहनम्।
एकीभूतमभूतपूर्वमथवा स्वर्लोकभूलोकयोः
ऐश्वर्यं यदि वाञ्छसि प्रियसखे ! शाकुन्तलं सेव्यताम्॥
5. संस्कृतभाषायां पञ्चाङ्गुलीनां क्रमशः नामानि लिखत।
उपमा कालिदासस्य। (उपमा कालिदास की)
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