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सुभाषितानि (एकादश: पाठ:) संस्कृत हिन्दी अनुवाद | Subhashitani  Class- 8th Prashnottar


सुभाषितानि (एकादश: पाठ:) संस्कृत हिन्दी अनुवाद | Subhashitani Class- 8th Prashnottar

उप शीर्षक:
कक्षा - 8 संस्कृत के एकादश: पाठ: सुभाषितानि संस्कृत हिन्दी अनुवाद और अभ्यासः का हल– परोक्षे कार्यहंतारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम्। वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम् ॥1॥

सुभाषित का हिन्दी अनुवाद

परोक्षे कार्यहंतारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम्।
वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम् ॥1॥

हिन्दी अनुवाद- पीठ पीछे कार्य को नष्ट करने वाले और सामने प्रिय बोलने वाले मित्र को वैसे ही त्याग देना चाहिए, जिस प्रकार घड़े के मुख (ऊपरी हिस्से) में दूध लगे किन्तु अन्दर विष भरे को त्याग देते हैं।

अपूर्वः कोऽपि कोशोऽयं विद्यते तव भारति।
व्ययतो वृद्धिमायाति क्षयमायाति सञ्चयात् ।। 2 ।।

हिन्दी अनुवाद- हे विद्या की देवी माँ सरस्वती ! आपका विद्या का कोश (खजाना) बड़ा अद्भुत है। जो खर्च करने पर बढ़ता है और संग्रह करने पर घटता है। अतः हमें विद्या धन बाँटते रहना चाहिए।

विना वेदं विना गीतां, विना रामायणीं कथाम् ।
विना कवि कालिदासं, भारतं भारतं न हि ।। 3 ।।

हिन्दी अनुवाद- वेदों के बिना, बिना श्रीमद् भगवत् गीता के, रामायणी कथा के बिना, महाकवि कालिदास के बिना भारत वास्तव में भारत नहीं है। अर्थात् उक्त सबके बिना भारत की कोई भी पहचान नहीं है।

उदये सविता ताम्रस्ताम्र एवास्तमेति च।
सम्पत्तौ च विपत्तौ च, महतामेकरूपता ॥ 4 ॥

हिन्दी अनुवाद- जब सूर्य उदय होता है उस समय लाल होता है और अस्त होते समय भी लाल होता है। इसी प्रकार महान लोग धनसम्पति (सुख ऐश्वर्य) और विपत्ति (दुःख-दारिद्र) के समय एक समान रहते हैं उनका व्यवहार एक समान रहता है।

उद्यमं साहसं धैर्यं बुद्धिः शक्तिः पराक्रमः।
षडेते यत्र वर्तन्ते तत्र देवः सहायकः ।। 5 ।।

हिन्दी अनुवाद- उद्यम अर्थात परिश्रम , साहस अर्थात बल या हिम्मत, धैर्य, बुद्धि की शक्ति और पराक्रम, ये छह जहाँ पर होते हैं वहाँ भगवान् सहायक रहते हैं।

नरत्वं दुर्लभं लोके, विद्या तत्र सुदुर्लभा।
कवित्वं दुर्लभं तत्र, शक्तिस्तत्र सुदुर्लभा ।।6।।

हिन्दी अनुवाद- इस संसार में मानव का जन्म (नरत्व) मुश्किल से प्राप्त होता है, यदि मानव जन्म मिल भी जाये तो फिर उसमें विद्या अर्थात ज्ञान बहुत कठिनाई से प्राप्त होती है; यदि विद्या प्राप्त भी हो जाये तो उसमें कवित्व अर्थात ईश्वर स्तुति कठिनता से प्राप्त होती है, यदि कवित्व मिल भी जाये तो उसमें कविता करने की ईश्वर प्रदत्त शक्ति (क्षमता) बहुत कठिनता से प्राप्त होती है।

अयं निजः परोवेति गणना लघुचेतसाम्।
उदारचरितानां तु वसुधैवकुटुम्बकम्॥7॥

हिन्दी अनुवाद- ये मेरा है, ये तेरा है, ऐसी सोच छोटे मन वालों की होती है। उदार हृदय वालों के लिए तो सारा संसार ही परिवार की तरह होता है।

छायामन्यस्य कुर्वन्ति तिष्ठन्ति स्वयमातपे।
फलान्यपि परार्थाय वृक्षाः सत्पुरुषा इव ।। 8 ।।

हिन्दी अनुवाद- वृक्ष दूसरों के लिए छाया करते हैं और स्वयं धूप में खड़े रहते हैं, फल भी दूसरों के लिए होते हैं। इस तरह वृक्ष सज्जनों के समान होते हैं। अर्थात् जिस प्रकार सज्जन दूसरों के लिए कष्ट सहन करके भी उपकार करते हैं, उसी प्रकार वृक्ष भी परोपकारी होते हैं।

निन्दन्तु नीतिनिपुणाः यदि वा स्तुवन्तु
लक्ष्मीः समाविशतु, गच्छतु वा यथेष्टम्।
अद्यैव वा मरणमस्तु युगान्तरे वा
न्याय्यात्पथः प्रविचलन्ति पदं न धीराः ॥ 9 ॥

अनुवाद- धैर्यशील मनुष्य की नीति में कुशल विद्वानों द्वारा निन्दा की जाये या प्रशंसा, इच्छानुसार सम्पत्ति आये अथवा न आये, मृत्यु आज ही हो जाये या दूसरे युग में अर्थात बहुत दिनों के बाद हो, परन्तु वे न्यायोचित मार्ग से एक पग भी विचलित नहीं होते हैं।

संस्कृत कक्षा 8 के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. वन्दना श्लोकों का हिन्दी अनुवाद (कक्षा 8 वीं) संस्कृत
2. लोकहितम मम करणीयम्- पाठ का हिंदी अनुवाद (कक्षा- 8 वीं) संस्कृत
3. अभ्यास: – प्रथमः पाठः लोकहितम मम करणीयम् (कक्षा आठवीं संस्कृत)
4. कालज्ञो वराहमिहिरः पाठ का हिन्दी अनुवाद एवं अभ्यास
5. तृतीय पाठः गणतंत्रदिवसः पाठ का अनुवाद एवं अभ्यास कार्य

शब्दार्थाः

सम्पत्तौ = सम्पत्ति (सुख) में।
एकरूपता = समानता।
विपत्तौ = विपत्ति में |
उदये = उदय होते समय में।
महताम् = बड़ों का ।
सविता = सूर्य।
रक्तः = लाल।
नरत्वम् = मानवता ।
परोक्षे = पीछे|
दुर्लभम् = कठिनता से प्राप्त।
वर्जयेत = रोके।
कुटुम्बकम् = परिवार।
क्षयमायाति = क्षीण होता है।
लघुचेतसाम्= छोटे मन वाला।
भारति = हे सरस्वती जी।
उदारचरितानाम् = उदार हृदय वाला।
निन्दन्तु = निन्दा करें।
आतपे = धूप में।
समाविशतु = अच्छे प्रकार से आये।
परार्थाय = दूसरों के लिए।
युगान्तरे : दूसरे युग में।
सत्पुरुषाः सज्जन व्यक्ति ।
यथेष्टम् = इच्छित को।

अभ्यासः

प्रश्न 1.- एकपदेन उत्तर लिखत-
(एक शब्द में उत्तर लिखो-)
(क) सम्पत्तौ विपत्तौ च केषाम् एकरूपता ?
(सुख और दुःख में किनकी एकरूपता होती है ?
उत्तरं- महताम्। (बड़े लोगों की)
(ख) अस्तसमये सूर्यस्य वर्णः कः भवति?
(अस्त होते समय सूर्य का रंग कैसा होता है ?)
उत्तर - ताम्रः। (लाल)
(ग) नरत्वं दुर्लभं कुत्र ?
(मानव जन्म कहाँ कठिनता से प्राप्त होता है ?)
उत्तर- लोके। (संसार में)
(घ) केषां वसुधैवकुटुम्बकम् ?
(किनका सारा संसार परिवार होता है ?)
उत्तर - उदारचरितानाम्। (उदार हृदय वालों का)
(ङ) परार्थाय वृक्षाः कानि यच्छन्ति ? (दूसरों के लिए वृक्ष क्या देते हैं?)
उत्तर - फलानि।(फलों को )

संस्कृत कक्षा 8 के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. चतुर्थः पाठः नीतिश्लोकाः कक्षा 8 संस्कृत
2. पञ्चमः पाठः अहम् ओरछा अस्मि पाठ का हिन्दी अनुवाद एवं प्रश्नोत्तर
3. षष्ठःपाठः स्वामीविवेकानन्दः हिन्दी अनुवाद एवं अभ्यास
4. अष्टमः पाठः - यक्षप्रश्नाः (पाठ 8 यक्ष के प्रश्न)
5. नवमः पाठः वसन्तोत्सवः (संस्कृत) हिन्दी अनुवाद एवं अभ्यासः
6. दशमः पाठः आजादचन्द्रशेखरः (कक्षा 8 संस्कृत) हिन्दी अनुवाद, अभ्यास एवं व्याकरण

प्रश्न 2.- एकवाक्येन उत्तरं लिखत-
(एक वाक्य में उत्तर लिखो)
(क) सूर्यस्य वर्णः ताम्रः कदा-कदा भवति ?
(सूर्य का रंग लाल कब-कब होता है ?)
उत्तर- सूर्यस्य वर्णः ताम्रः उदयकाले अस्तकाले च भवति ।
(सूर्य का रंग लाल उदय होते समय और अस्त होते समय होता है।)
(ख) भारत्याः कोशः कस्मात् क्षयमायाति ?
(विद्या का खजाना कैसे घटता है?)
उत्तर - भारत्याः कोशः सञ्चयात् क्षयमायाति।
(विद्या का खजाना एकत्र करने घटता है।)
(ग) वृक्षाणां स्वभावः कीदृशः ?
(पेड़ों का स्वभाव कैसा होता है ? )
उत्तर - वृक्षाणां स्वभावः सत्पुरुष इव।
(पेड़ों का स्वभाव सज्जन जैसा होता है।)
(घ) न्याय्यात्पथ: पदमपि के न विचलन्ति ?
(न्याय के मार्ग से एक कदम भी कौन नहीं हटते हैं ?)
उत्तर - न्याय्यात्पथः पदमपि धीराः न विचलन्ति।
(न्याय के मार्ग से एक कदम भी धीर नहीं हटते हैं।)
(ङ) लोके विद्या कीदृशी?
(संसार में विद्या कैसे प्राप्त होती है ? )
उत्तर - लोके विद्या सुदुर्लभा अस्ति।
(संसार में विद्या बहुत कठिनता से प्राप्त होती है।)

प्रश्न 3.- सन्धिविच्छेदं कुरुत
(सन्धि-विच्छेद करो-)
(क) कोशोऽयम्, (ख) यथेष्टम् (ग) फलान्यपि, (घ) युगान्तरे ।
उत्तर - (क) कोशः + अयम्
(ख) यथा + इष्टम्
(ग) फलानि + अपि
(घ) युग + अन्तरे।

प्रश्न 4.- श्लोकम् पूरयत (श्लोक पूरा करो-)
उत्तर - विना वेदं विना गीतां, विना रामायणी कथाम्।
विना कवि कालिदासं, भारतम् भारतं न हि ।।

प्रश्न 5.- उचितं मेलयत-
(अ) .................. (ब)
क. उदये सविता - भारतं भारतं न हि
ख. अपूर्वः कोशः - ताम्र:
ग.विना वेदं - तव भारति
घ. न्याय्यात्पथः - सुदुर्लभा
ङ. शक्तिस्तत्र - धीराः
उत्तर -
(अ) ................. (ब)
क. उदये सविता - ताम्र:
ख. अपूर्वः कोशः - तव भारति
ग. विना वेदं - भारतं भारतं न हि
घ. न्याय्यात्पथः - धीराः
ङ. शक्तिस्तत्र - सुदुर्लभा

प्रश्न 6.- अघोलिखतैः शब्दैः वाक्यरचनां कुरुत-
(नीचे लिखे शब्दों से वाक्य रचना करो-)
(क) देवः, (ख) व्ययतः, (ग) द्रुमः, (घ) लक्ष्मीः, (ङ) फलानि ।
उत्तर -
शब्दः
(क) देवः – देवः स्वर्गे अस्ति।
(ख) व्ययतः – विद्या व्ययतः वृद्धिम् आयाति।
(ग) द्रुमः – द्रुमः सत्पुरुष इस भवति।
(घ) लक्ष्मीः – लक्ष्मीः चकला भवति।
(ङ) फलानि – वृक्षा पर्याय फलानि यच्छन्ति ।

संस्कृत कक्षा 6 के इन 👇 पाठों को भी पढ़िए।
1. प्रथमः पाठः शब्द परिचय (कक्षा 6वीं) संस्कृत
2. स्तुति श्लोकाः हिन्दी अनुवाद (कक्षा- 6) संस्कृत
3. द्वितीयः पाठः 'कर्तृक्रियासम्बन्धः' संस्कृत कक्षा - 6
4. तृतीयः पाठः सर्वनामशब्दाः
5. तृतीयः पाठः सर्वनामशब्दाः (स्त्रीलिंङ्गम्) (भाग-1 ) हिन्दी अनुवाद व अभ्यास
6. तृतीयः पाठः नपुंसलिङ्गम् (संस्कृत कक्षा-6)

आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी।
धन्यवाद।
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आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
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