प्लाज्मा थेरेपी से Covid-19 का इलाज कैसे होता है | Covid-19 treatment with Plasma Therapy
मानव शरीर की प्रकृति होती है कि जब भी कोई रोग या बीमारी शरीर को लगती है तो व्यक्ति का शरीर उस बीमारी से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता (Anti-bodies) तैयार करने लगता है। शरीर में जब भी किसी बीमारी के वायरस या बैक्टीरिया पहुँचते हैं तो उनसे लड़ने और उनको नष्ट करने के लिए शरीर ऐसे तत्वों (जिन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में Anti-bodies कहा जाता है।) का निर्माण करता है वे तत्व (antibody) उन विषाणुओं को मारकर शरीर की रक्षा कर सके।
The nature of the human body is that whenever a disease occurs to the body, the body of a person starts to prepare anti-bodies to fight against that disease. Whenever viruses or bacteria of any disease reach in the body, the body produces such elements (called anti-bodies in the field of medicine) to fight and destroy them. It could protect the body by killing viruses.
यह किसी भी प्राणी के शरीर की प्रकृति होती है कि शरीर के विरुद्ध कोई क्रिया होती है तो शरीर अपनी प्रतिक्रिया को दर्शाता है। आइए, इस बात को एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं। आपने देखा होगा एक मृदंग (ढोलक) वादक (जो हमेशा ही कार्यक्रमों में वादन करता हो) के हथेली की चमड़ी कड़ी हो जाती है क्योंकि वह व्यक्ति बार-बार मृदंग को बजाता है, और उसकी हथेली ढोलक की थाप पर पड़ती है जिससे धीरे-धीरे करके उसकी हथेली की चमड़ी कड़ी होने लगती है। इसकी वजह यह है कि यदि हथेली की चमड़ी कड़ी नहीं होगी तो बार-बार मृदंग की थाप पर घिस घिसकर हथेली घायल हो जायेगी और हथेलियों से खून निकलने लगेगा। अतः प्रतिक्रिया स्वरूप शरीर हथेलियों की चमड़ी को कड़ी करने लगता है और बार-बार ढोलक का वादन करने पर भी हथेली घायल नहीं होती है और न ही खून निकलता है।
इसी तरह के और भी उदाहरण दिए जा सकते हैं। कहने का आशय यह है कि शरीर के साथ किसी भी तरह की क्रिया की जाए तो शरीर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य ही दर्शाता है। यही सिद्धांत लागू होता है कोविड-19 के मरीजों पर। जब कोई व्यक्ति कोविड-19 वायरस से ग्रसित होता है, तब उसके शरीर में भी ऐसे तत्व अर्थात anti-bodies पैदा हो जाते हैं, जो कि शरीर को उस वायरस से बचाने का कार्य करते हैं।
It is the nature of the body of any creature that if there is any action against the body, then the body reflects its reaction. Let us understand this through an example. You may have noticed that the skin of a drummer (mridang) player (who always plays in the programs) gets thick as the person repeatedly plays the mridang (drum) and his palm falls on the beat of the drum, which slowly-slowly, the palm begins to hard. The reason for this is that if the palm is not hard, then the palm will be injured by repeatedly rubbing it on the floor of the drum and the palms will start to bleed. Therefore, in response, the body starts hardening the palms and even after repeated drumming, the palm is not injured nor does the blood come out.
More similar examples can be given. That is to say, if any kind of action is done with the body, then the body definitely shows its reaction. The same principle applies to Covid-19 patients. When a person suffers from Covid-19 virus, then such elements i.e. anti-bodies are also produced in his body, which acts to protect the body from that virus.
आइए समझते हैं कोरोनावायरस से संक्रमित शरीर का क्या होता है? (Let's understand what happens to the coronavirus infected body?)
जब किसी व्यक्ति को कोरोना वायरस का संक्रमण होता है, तब उस व्यक्ति का शरीर कोरोना के वायरस से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता अर्थात anti-bodies उत्पन्न करता है। धीरे धीरे करके व्यक्ति इलाज के और इसी anti-bodies के कारण स्वस्थ हो जाता है। व्यक्ति के शरीर में जब यह anti-bodies तैयार हो जाती है तो यह आगे भी कुछ दिनों के लिए इस वायरस से लड़ने के लिए बनी रहती है।
When a person has a corona virus infection, then that person's body produces immunity, ie anti-bodies, to fight the corona virus. By slowly, the person becomes healthy due to the treatment and the corresponding anti-bodies. When these anti-bodies are prepared in a person's body, it remains to fight this virus for a few days even further.
यहाँ पर विचारणीय तथ्य यह है कि जिस anti-bodies से व्यक्ति स्वस्थ हुआ है यदि वही एंटीबॉडी अन्य गंभीर रुप से संक्रमित व्यक्ति के लिए प्रयुक्त की जाती है तो तत्काल ही यह anti-bodies उस संक्रमित व्यक्ति के शरीर में कार्य करना प्रारंभ कर देती है। उस गंभीर रूप से संक्रमित व्यक्ति का शरीर जो anti-bodies नहीं बना पा रहा था या बहुत धीरे-धीरे बना रहा था, अब यह पहले से निर्मित anti-bodies उसके शरीर में पहुँचने के पश्चात सीधे रोग से लड़ना प्रारंभ कर देती है और व्यक्ति धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगता है।
The fact to be considered here is that if the anti-bodies from which the person has recovered is used for another severely infected person, then immediately the antibody starts functioning in the body of that infected person. The body of a severely infected person who was not able to make anti-bodies or was making very slowly, now this pre-formed anti-bodies reach their body and start fighting the disease directly and the person gradually becomes healthy.
इस तरह से किसी व्यक्ति के संक्रमित होने के पश्चात पूर्ण रूप से स्वस्थ होने के बाद उसके शरीर से इसी anti-bodies को निकालकर चिकित्सक प्लाज्मा थेरेपी के रूप में गंभीर रूप से संक्रमित व्यक्ति के इलाज के लिए करते हैं, जिसे प्लाजमा थेरेपी कहा जाता है।
In this way, after a person is infected, the physician removes the same anti-bodies from the body after a healthy recovery to treat a severely infected person in the form of plasma therapy, known as plasma therapy.
प्लाजमा थेरेपी क्या है (What is Plasma Therapy)?
प्लाज्मा रक्त का एक ऐसा घटक है जिसमें वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडी होते हैं। प्लाजमा थेरेपी में covid-19 महामारी से ठीक हो चुके व्यक्ति के खून से anti-bodies का उपयोग करके गंभीर रूप से संक्रमित लोगों का इलाज किया जाता है। यह एक प्रकार से रक्तदान की तरह ही है। इस प्रक्रिया में प्लाज्मा covid-19 से ग्रसित होने के बाद पूर्णतः ठीक हो चुके व्यक्ति के खून से अलग कर दिया जाता है तथा उस व्यक्ति के खून को वापस उसके शरीर में डाल दिया जाता है। इससे उस व्यक्ति को खून की कोई कमी नहीं होती है। इस प्रक्रिया में किसी प्रकार की क्षति भी नहीं होती और प्लाज्मा देने वाले को किसी भी दर्द, बीमारी, चक्कर आने का अनुभव नहीं होता है।
Plasma is a component of blood that contains virus-fighting anti-bodies. Plasma therapy treats severely infected people using antibodies from the blood of a covid-19 epidemic. It is like blood donation in a way. In this process, the plasma is separated from the blood of a fully cured person after suffering from covid-19 and the blood of that person is put back into his body. There is no shortage of blood by that person. There is also no damage in this process and the plasma giver does not experience any pain, disease, dizziness.
Convalescent प्लाज्मा क्या है? (What is Convalescent Plasma)
Convalescent प्लाज्मा रक्त का एक तरल भाग होता है जो उन रोगियों से एकत्र किया जाता है जो कोविड-19 बीमारी से ठीक हो चुके होते हैं। उनके शरीर में कोविड-19 के वायरस के विरुद्ध रक्त में antibody विकसित हो चुकी होती है। Convalescent ऐसे प्रोटीन हैं जो covid संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकते हैं।
Convalescent plasma is a liquid part of the blood that is collected from patients who have recovered from Covid-19 disease. Antibodies have developed in the blood against the Covid-19 virus in their body. Convalescent are proteins that can help fight covid infection.
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Convalescent प्लाज्मा किस-किस व्यक्ति से लिया जा सकता है? (From whom can convalescent plasma be taken)
कोविड-19 बीमारी से गंभीर रूप से संक्रमित लोगों के इलाज के लिए इस थेरेपी का उपयोग किया जाता है। इस थेरेपी से इलाज करने के लिए प्लाज्मा उन व्यक्तियों से लिया जाता है, जो निम्नानुसार पात्रता रखते हैं।
This therapy is used to treat people severely infected with covid-19 disease. Plasma for treatment with this therapy is taken from individuals who qualify as follows.
1. ऐसे पुरुष व्यक्ति जो कोरोनावायरस से पूर्व में संक्रमित हो चुके थे और अभी पूर्णतया ठीक हो चुके हैं। वर्तमान में उनके अंदर कोरोना या अन्य बीमारी के कोई लक्षण विद्यमान नहीं है। ऐसे पुरुषों की उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच है तो वे प्लाज्मा देने के लिए पात्र हैं।
Male individuals who were previously infected with coronavirus and have been completely cured. At present they do not have any signs of corona or other disease. If such men are between 18 and 60 years of age then they are eligible to give plasma.
2. ऐसी महिलाएँ भी प्लाज्मा donate कर सकती हैं जो पूर्व में कोरोना वायरस से संक्रमित हुई थी किंतु अब पूर्णतया ठीक हो चुकी हैं। ऐसी महिलाओं की आयु 18 वर्ष से ऊपर होनी चाहिए तथा वे पहले कभी गर्भवती न हुई हो तो प्लाज्मा दे सकती हैं।
Such women can also donate plasma, which was previously infected with the corona virus, but is now completely cured. Such women should be above 18 years of age and if they have never been pregnant before, they can give plasma.
3. प्लाज्मा डोनेट करने के लिए व्यक्ति का वजन 50 किलोग्राम से ऊपर होना चाहिए।
To donate plasma, a person must weigh over 50 kg.
4. प्लाज्मा डोनेट करने से पहले लैब में व्यक्ति का covid-19 टेस्ट negative होना चाहिए।
The person's covid-19 test in the lab must be negative before donating plasma.
5. कोविड-19 के संक्रमण के पश्चात वे पूर्णतया ठीक हो चुके हों और कम से कम 14 दिनों से covid-19 के लक्षणों से मुक्त हो गये हों।
After infection with covid-19, they should have completely recovered and have been free from covid-19 symptoms for at least 14 days.
6. जो व्यक्ति प्लाज्मा दान कर रहा हो तो दान करने से पहले दान से जुड़े इस संक्रमण से बचाने के लिए सभी परीक्षणों में परिणाम नेगेटिव होना चाहिए।
If a person is donating plasma, the results in all tests should be negative before donating to avoid this infection related to donation.
7. रक्तदान से संबंधित जो भी मानदंड होते हैं व्यक्ति उन मानदंडों को पूरा करता हो तो प्लाज्मा डोनेट कर सकता है।
Whatever the criteria related to blood donation, if the person meets those criteria, plasma can be donated.
कैसे काम करती है प्लाज्मा थेरेपी (How plasma therapy works)
प्लाज्मा थेरेपी एक स्वस्थ व्यक्ति से बीमार व्यक्ति में immunity को transfer करके गंभीर रूप से ग्रसित रोगियों का इलाज किया जाता है। इस प्रक्रिया में covid महामारी से ठीक हुए व्यक्ति के anti-bodies तत्वों का उपयोग किया जाता है। यह गंभीर रूप से संक्रमित व्यक्ति को कोरोना वायरस के खिलाफ आवश्यक प्रतिरक्षा विकसित करने में मदद करता है। जब कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति में anti-bodies स्थानांतरित किया जाता है तो उसका imune power बढ़ने लगता है, इससे कोरोना संक्रमण ठीक होने की संभावना बहुत अधिक हो जाती है।
इस तरह से प्लाजमा थेरेपी का प्रयोग करके कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति का इलाज किया जाता है।
Plasma therapy is the treatment of severely afflicted patients by transferring immunity from a healthy person to a sick person. In this process the antibody elements of the covid epidemic are used. It helps a severely infected person develop the necessary immunity against the corona virus. When an antibody is transferred to a person infected with the corona virus, its imune power starts to increase, making the corona infection much more likely to be cured.
In this way a person infected with Covid-19 is treated using plasma therapy.
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