पाठ 1 'प्रार्थना - "वह शक्ति हमें दो दयानिधे" प्रसंग संदर्भ सहित व्याख्या || बोध प्रश्न एवं भाषा अध्ययन (व्याकरण) || कक्षा-3 भाषा भारती
प्रार्थना - संदर्भ एवं प्रसंग सहित व्याख्या
1. वह शक्ति हमें दो दयानिधे,
कर्त्तव्य मार्ग पर डट जाएँ।
पर सेवा पर उपकार में हम,
निज जीवन सफल बना जाएँ।।
संदर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ भाषा भारती के पाठ -1 'प्रार्थना' से ली गई है। इस प्रार्थना की रचनाकार मुरारीलाल बाल बंधु हैं।
प्रसंग – उक्त पंक्तियों में ईश्वर से अपने कर्तव्य मार्ग पर चलने के लिए प्रार्थना की गई है।
भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा गया है कि हे ईश्वर! हमें वह ऊर्जा (शक्ति) प्रदान करो जिससे हम अपने कर्तव्य के मार्ग पर चलें अर्थात अपने कर्तव्य का निर्वहन करें। दूसरों की सेवा करें, उनकी भलाई करें। इस तरह अपने स्वयं के जीवन को सफल बना लें।
2. हम दीन-दुखी निबलों-विकलों
के सेवक बन सताप हरे।
जो हैं अटके भूले-भटके,
उनको तारें खुद तर जाएँ।।
संदर्भ – पद्यांश 1 के अनुसार।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में दीन-हीनों की सेवा करने हेतु ईश्वर से प्रार्थना की गई है।
भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा गया है कि हे ईश्वर! हमें वह शक्ति प्रदान करो जिससे कि हम जो लोग दीन दुखी हैं, निःसहाय और परेशान हैं, उनके सेवक बन जाए और उनकी पीड़ा को दूर करें। जो लोग अपने जीवन मार्ग से भटक गए हैं और वे आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं तो उन्हें हम तार दें अर्थात उनका उपकार कर दें। इस तरह हम स्वयं भी तर जाएंगे।
3. छल, दंभ, दवेष, पाखण्ड,
झूठ, अन्याय से निशिदिन दूर रहें।
जीवन हो शुद्ध सरल अपना,
शुचि प्रेंम-सुधा रस बरसाएँ ।।
संदर्भ – पद्यांश 1 के अनुसार।
प्रसंग – इन पंक्तियों में ईश्वर से दुर्गुणों से दूर रहने एवं सादा जीवन जीने हेतु प्रार्थना की गई है।
भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा गया है कि हे ईश्वर! हम छल कपट, घमंड, दूसरों से ईर्ष्या, ढोंग करने, झूठ बोलने तथा दूसरों के प्रति अन्याय करने जैसे अवगुणों से सदैव दूर रहें। हमारा जीवन पवित्र एवं सरल हो। हम सदैव ही दूसरों के प्रति अमृत रूपी प्रेंम की बरसात करें अर्थात दूसरों के साथ प्रेंम का व्यवहार करें।
4. निज आन, मान, मर्यादा का,
प्रभु! ध्यान रहे, अभिमान रहे।
जिस देश जाति में जन्म लिया,
बलिदान उसी पर हो जाएँ।।
संदर्भ – पद्यांश 1 के अनुसार।
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियों में अपनी मान मर्यादा के साथ देश प्रेंम को प्रस्तुत किया गया है।
भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा गया है कि हे ईश्वर! हमें ऐसी शक्ति दो कि स्वयं की मान मर्यादा का सदैव ध्यान रहे और हमें उस पर गर्व रहे। हम जिस देश अर्थात भारत में और जिस जाति वंश में पैदा हुए हैं, उनकी रक्षा के हित अपने आपको न्यौछावर कर सकें।
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3. पाठ 2 'बुद्धि का फल' कक्षा पाँचवी
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5. पाठ 4 'हम भी सीखें' कविता का भावार्थ एवं प्रश्नोत्तर
शब्दार्थ
शक्ति = बल, सामर्थ्य।
दयानिधे = ईश्वर, कृपा के सागर।
कर्तव्य = करने योग्य कार्य।
मार्ग = रास्ता।
परसेवा = दूसरों की सेवा।
मर्यादा = मान सम्मान।
दंभ = घमंड।
पाखंड = झूठा दिखावा।
शुचि = पवित्र।
सुधा = अमृत।
संताप = दुख या कष्ट।
द्वेष = ईर्ष्या।
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2. पाठ - 6 पन्ना का तत्याग भावार्थ
3. पाठ 6 'पन्ना का त्याग' अभ्यास - प्रश्नोत्तर
4. भाषा अध्ययन (व्याकरण) - शुद्ध शब्द, तुकांत, पर्यायवाची, विलोम, अनेकार्थी शब्द
5. पाठ-7 'दशहरा' पाठ का सारांश, प्रश्नोत्तर (अभ्यास)
6. भाषा अध्ययन (व्याकरण) - शुद्ध शब्द, संयुक्ताक्षर, प्रश्नवाचक एवं संदेहवाचक वाक्य, प्रत्यय जोड़कर संज्ञा से विशेषण बनाना
7. योग्यता विस्तार - दशहरा एवं दीपावली पर्व की जानकारी, रामचरितमानस राम का चरित्र, राम प्रसाद 'बिस्मिल'
अभ्यास
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए–
क. प्रार्थना में किससे शक्ति माँगी गई है?
उत्तर – प्रार्थना में शक्ति ईश्वर से माँगी गई है।
ख. हम अपने जीवन को किस प्रकार सफल बना सकते हैं?
उत्तर – हम दूसरों की सेवा एवं परोपकार करके अपने जीवन को सफल बना सकते हैं।
ग. हमें किस प्रकार के व्यक्तियों की सेवा करनी चाहिए?
उत्तर – हमें दीन दुखियों, निर्बलों एवं निःसहायों की सेवा करनी चाहिए।
घ. हमें किन-किन बातों से दूर रहना चाहिए?
उत्तर – हमें छल कपट, घमंड, ईर्ष्या, ढोंग, झूठ बोलने एवं दूसरों के प्रति अन्याय करने से दूर रहना चाहिए।
ङ इस प्रार्थना में किन-किन बातों को करने पर बल दिया गया है?
उत्तर – इस प्रार्थना में दूसरों की सेवा एवं उपकार करने, दीन दुखियों एवं निःसहाय लोगों के सेवक बनकर उनके दुख को दूर करने, अपने जीवन मार्ग से भटके हुए लोगों को तारने, प्रेंम रूपी अमृत रस बरसाने, स्वयं की मान मर्यादा का ध्यान रखते हुए देश एवं जाति की रक्षा के लिए स्वयं का बलिदान करने पर बल दिया गया है।
2. पाठ के अनुसार 'क' और 'ख' स्तम्भ में दिए गए शब्दों की सही जोडी बनाकर लिखिए।
'क' ––––-– 'ख' –– सही जोड़ी
कर्तव्य –– सफल ––– कर्तव्य मार्ग
पर ––––- विकलों –– पर सेवा
जीवन ––– भटके ––– जीवन सफल
निबलों ––– सुधा ––– निबलों विकलों
भूले ––––– मार्ग ––– भूले भटके
प्रेंम ––––– सेवा ––– प्रेंम सुधा
3. निम्नलिखित भाव 'प्रार्थना' की जिन पंक्तियों में आए हैं उन्हें लिखिए–
क. हमने जिस देश में जन्म लिया है उस पर न्यौछावर हो जाएँ।
पंक्ति – जिस देश जाति में जन्म लिया,
बलिदान उसी पर हो जाएँ।
ख. हम दीन-दुखियों के सेवक बनकर उनके दुख दूर करें।
पंक्ति – हम दीन-दुखी निबलों - विकलों
के सेवक बन सताप हरे।
ग. हमारा जीवन शुद्ध और सरल बने।
पंक्ति – जीवन हो शुद्ध सरल अपना,
घ. हे प्रभु हम अपनी आन, मान और मर्यादा का ध्यान रखे और उस पर गर्व कर सकें।
पंक्ति – निज आन, मान, मर्यादा का,
प्रभु! ध्यान रहे, अभिमान रहे।
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1. 'प्रार्थना' एवं "अपने बारे में बताओ" - भाषा भारती कक्षा 2
2. पाठ 1 प्रातःकाल भाषा भारती (हिन्दी) कक्षा 2
भाषा अध्ययन
1. निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए–
शक्ति, कर्तव्य, द्वेष, शुद्ध, मर्यादा, शुचि
यह भी जानिए–
इन शब्दों का उच्चारण और अंतर जानिए।
अशुद्ध – शुद्ध शब्द
करम – कर्म
परगट – प्रकट
कारन – कारण
हिरदय – हृदय
पढना – पढ़ना
दरशन – दर्शन
परभू – प्रभु
गुन – गुण
किरपा – कृपा
कुढना – कुढ़ना
2. निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए–
प्रारथना – प्रार्थना
करतवय – कर्तव्य
जिवन – जीवन
दूखी – दुखी
परेम – प्रेंम
सूधा - सुधा
धयान – ध्यान
बलीदान –बलिदान
3. निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी शब्द लिखिए।
मार्ग = रास्ता
सुधा = अमृत
दिन = दिवस
प्रभु = ईश्वर
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योग्यता विस्तार
1. प्रतिदिन अपने विद्यालय में प्रार्थना का सस्वर सामूहिक गायन करें।
2. इसी प्रकार की अन्य प्रार्थना याद कीजिए और कक्षा में सुनाइए।
विद्यार्थियों को अतिरिक्त योग्यता प्राप्त करने के लिए दी गई प्रार्थना को सस्वर सामूहिक रूप से प्रति दिवस गायन करना चाहिए। इसी तरह की ईश्वर की अन्य प्रार्थना भी याद कर कक्षा में या बालसभा में सुनाना चाहिए।
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2. विजयी विश्व तिऱंगा प्यारा प्रश्न उत्तर
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