पाठ 3 'पंडित ईश्वरचंद्र विद्यासागर' पाठ का सारांश || कक्षा 5 हिन्दी (भाषा भारती) प्रश्नोत्तर | Hindi class 5th
p>पाठ में दी गई जीवनी "पं. ईश्वरचन्द्र विद्यासागर" सुप्रसिद्ध विचारक एवं आध्यात्मिक लेखक आचार्य श्रीराम शर्मा द्वारा लिखित है। p>ईश्वरचन्द्र 'विद्यासागर' एक समाज सुधारक, लेखक, प्रसिद्ध दार्शनिक, व एक परोपकारी व्यक्ति थे, जिनका जन्म बंगाल के निर्धन परिवार मे हुआ था, उनके बचपन का नाम 'ईश्वर चन्द्र बन्दोपाध्याय' था। ये बचपन से ही तीव्र बुध्दिमत्ता वाले थे, बाद में इसी कारण उन्हें विद्यासागर की उपाधि मिली। लोग उन्हें 'ईश्वरचन्द्र विद्यासागर' के नाम से जानने लगे। p>पाठ में लेखक ने पं. ईश्वरचन्द्र विद्यासागर के बचपन को सत्य घटनाओं का जीवन्त वर्णन किया है। ईश्वरचन्द्र का जन्म 26 दिसम्बर, 1920 को कोलकाता से बीस मील दूर पश्चिम में स्थित एक छोटे से गाँव वीरसिंह में एक अत्यन्त निर्धन परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम ठाकुरदास था और वे कोलकाता में एक सहृदय व्यक्ति श्री जगदुर्लभ सिंह के यहाँ मामूली सी नौकरी करते थे। p>ईश्वरचन्द्र की प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा गाँव की पाठशाला में हुई। आगे की पढ़ाई के लिए उनके पिता उन्हें कोलकाता लेकर गये। गाँव से कोलकाता तक को बीस मील की लम्बी दूरी पैसे के अभाव में पिता-पुत्र को पैदल ही तय करनी थी। इस थकाऊ दूरी में आठ वर्षीय ईश्वरचन्द्र का धैर्य टूट न जाये, इसके लिए उनके पिता उन्हें रास्ते भर शिक्षा को उपयोगिता तथा उसकी प्रगति के उपायों के बारे में बताते रहे। साथ ही, रास्ते में पड़ने वाले मील के पत्थरों पर लिखे अंग्रेजी के अंकों को दिखलाते हुए यह भी कहते रहे कि अब मात्र इतनी दूरी तय करना शेष है। p>कोलकाता पहुँचकर जगदुर्लभ सिंह ने बालक ईश्वरचन्द्र की प्रतिभा को परखा और प्रभावित होकर उसके लिए मासिक छात्रवृत्ति बाँध दी। ईश्वरचन्द्र स्वयं निर्धन होने के बावजूद दूसरों की मदद करते, भूखों को भोजन देते, वस्त्रहीनों को वस्त्र देते, गरीब विद्यार्थियों को शिक्षण शुल्क और पुस्तकें देते तथा कमजोर विद्यार्थियों को पढ़ाया भी करते थे। वेदान्त तथा दर्शनशास्त्र की योग्यता प्रतियोगिता में सर्वप्रथम आने पर उन्हें सैकड़ों रुपये का नकद पुरस्कार एवं प्रशंसा पत्र प्राप्त हुए। भारत के महान विद्वानों ने उन्हें सम्मानित करते हुए विद्यासागर की उपाधि प्रदान की, तब से हो वे "ईश्वरचन्द्र विद्यासागर" के नाम से प्रसिद्ध हो गए।अभ्यास
बोध प्रश्न
1. निम्नांकित शब्दों के अर्थ शब्द कोष से खोजकर लिखिए-
उत्सव- त्यौहार, पर्व
परीश्रम- मेहनत
हृदयंगम- मन में बिठाना
अतिरिक्त- अलावा
ग्रहणशीलता- सोखने या प्राप्त करने की क्षमता
जीविका- रोजगार, व्यवसाय, पेट भरने का साधन
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर अपने शब्दों में लिखिए-
(क) ईश्वरचंद्र का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर- ईश्वरचंद्र का जन्म 26 दिसंबर, 1920 को कोलकाता से बीस मील दूर पश्चिम में स्थित वीरसिंह गाँव के एक गरीब परिवार में हुआ था।
(ख) ईश्वरचंद्र अपने पिता के साथ कोलकाता कैसे गए, पिता ने उन्हें रास्ते में क्या बताया?
उत्तर- ईश्वरचंद्र अपने पिता के साथ कोलकाता 20 मील की लंबी दूरी पैदल तय करके गए। रास्ते में पिता ने उन्हें शिक्षा की उपयोगिता एवं उसकी प्रगति के उपायों के बारे में बताया। साथ ही, पिता ने उन्हें रास्ते में पड़ने वाले मील के पत्थरों पर लिखे अंग्रेजी अंकों से भी परिचित कराया।
(ग) पाठशाला में अंग्रेजी अंक न सीखने पर भी ईश्वरचंद्र बिल कैसे जोड़ पाए?
उत्तर- पाठशाला में अंग्रेजी अंक न सीखने पर भी ईश्वरचंद्र बिल इसलिए जोड़ पाए क्योंकि गाँव से कोलकाता आते समय उनके पिताजी ने उन्हें रास्ते में पड़ने वाले मील के पत्थरों पर लिखे अंग्रेजी के अंकों से परिचित करा दिया था।
(घ) ईश्वरचंद्र की उदारता और दयालुता का कोई उदाहरण दीजिए।
उत्तर- ईश्वरचंद्र हृदय से इतने उदार तथा दयालु थे कि अपनी छात्रवृत्तियों का अधिकांश भाग निर्धन विद्यार्थियों की सहायता में खर्च कर देते थे। वे वस्त्रहीनों को वस्त्र देते, गरीब विद्यार्थियों को शिक्षण शुल्क और पुस्तकें खरीद कर देते, कमजोर विद्यार्थियों को पढ़ाते। इस प्रकार यथासंभव वे सबकी सहायता करते थे।
(ड.) ईश्वरचंद्र के नाम के साथ विद्यासागर कैसे जुड़ा?
उत्तर- वेदांत तथा दर्शनशास्त्र की योग्यता प्रतियोगिता में सर्वप्रथम आने पर भारत के महान् विद्वानों ने एक सभा करके ईश्वरचन्द्र का अभिनन्दन किया और सर्वसम्मति से उन्हें 'विद्यासागर' की उपाधि प्रदान की। तब से वे ईश्वरचंद्र विद्यासागर के नाम से प्रसिद्ध हो गए।
(च) ईश्वरचंद को सैकड़ों रुपये के नगद पुरस्कार किसलिए प्राप्त हुए?
उत्तर- वेदांत तथा दर्शनशास्त्र की योग्यता प्रतियोगिता में सर्वप्रथम आने पर ईश्वरचंद्र को सैकड़ों रुपये के नकद पुरस्कार एवं प्रशंसा-पत्र प्राप्त हुए।
(छ) ईश्वरचंद्र विद्यासागर के जीवन की किस घटना ने आपको सबसे अधिक प्रभावित किया और क्यों?
उत्तर- गरीब पिता की संतान ईश्वरचंद्र द्वारा मात्र आठ वर्ष की अल्पायु में ही अपने गाँव से कोलकाता तक की बीस मील की लंबी यात्रा पैदल ही तय करने की घटना ने मुझे अत्यंत प्रभावित किया क्योंकि यह घटना बताती है कि ईश्वरचंद्र पढ़ाई के लिए कितने दृढ़ संकल्पित और धैर्यवान थे।
कक्षा 5 हिन्दी के इन 👇 पाठों को भी पढ़ें।
1. पाठ 1 'पुष्प की अभिलाषा' कविता का भावार्थ
2. पाठ 1 'पुष्प की अभिलाषा' अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण
3. पाठ 2 'बुद्धि का फल' कक्षा पाँचवी
3. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) ईश्वरचंद्र के पिता का नाम ............ था।
उत्तर- ठाकुरदास
(ख) धैर्य का सहारा लेने से ......... और आख्यान के सहारे ...... कट जाती है।
उत्तर- आपत्ति, रात
(ग) जगदुर्लभ सिंह ने उसे ......... अंकों का एक छोटा-सा बिल जोड़ने को दिया।
उत्तर- अंग्रेजी
(घ) अपने पाठ पूरे करने के बाद जो समय बचता उसमें वे ....... को पढ़ाया करते थे।
उत्तर- कमजोर विद्यार्थियों
(ड.) प्रेमपूर्वक बच्चों पर किया हुआ कोई भी ......... व्यर्थ नहीं जाता।
उत्तर- प्रयास।
भाषा अध्ययन
1. नीचे लिखे शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए और वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
छात्रवृत्ति, पश्चिम, प्रसिद्ध, श्रेणी, प्रेरणा, उपलक्ष्य, धैर्य।
उत्तर- विद्यार्थी दिए गए सभी शब्दों का त्रुटिरहित उच्चारण करें।
वाक्य प्रयोग-
(क) छात्रवृत्ति- सरकार निर्धन छात्रों को शिक्षा हेतु छात्रवृत्तियाँ प्रदान करती है।
(ख) पश्चिम- सूर्य पश्चिम में ढलता है।
(ग) प्रसिद्ध- ताजमहल एक विश्व प्रसिद्ध इमारत है।
(घ) श्रेणी- राम कक्षा चार की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ।
(ड.) प्रेरणा- हमें महापुरुषों के चरित्र से प्रेरणा लेकर अच्छे कार्य करने चाहिए।
(च) उपलक्ष्य- जुगनू के जन्मदिन के उपलक्ष्य में उसके मित्रों ने उसे उपहार दिये।
(छ) धैर्य- विपत्ति में मनुष्य को सदैव धैर्य रखना चाहिए।
2. निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए-
तद्भव- तत्सम
माह- माह
धीरज- धैर्य
पत्थर- प्रस्तर
घी- घृत
दूध- दुग्ध
3. 'परिश्रम' में 'पूर्वक' शब्द जोड़कर 'परिश्रमपूर्वक' शब्द बना है। इसी प्रकार नीचे बनी तालिकाओं में 'पूर्वक' और 'नियत' शब्दांश जोड़कर नए शब्द बनाइए-
उत्तर- पूर्वक
परिश्रम- परिश्रमपूर्वक
सरलता- सरलतापूर्वक
विश्वास- विश्वासपूर्वक
प्रेम- प्रेमपूर्वक
उदारता- उदारतापूर्वक
नीय
उल्लेख- उल्लेखनीय
निंद- निंदनीय
गोप- गोपनीय
पूज- पूजनीय
पठ- पठनीय
4. नीचे कुछ शब्द और उनके 'विलोम' शब्द दिए हैं। आप तालिका बनाकर इन्हें आमने-सामने लिखिए-
उन्नति, सत्य, असत्य, अवनति, शिक्षा, निर्धन, आशा, अशिक्षा, धनवान, निराशा, नया, सरल, मीठा, पुराना, कठिन, खट्टा
उत्तर- सत्य- असत्य
उन्नति- अवनति
शिक्षा- अशिक्षा
निर्धन- धनवान
आशा- निराशा
नया- पुराना
सरल- कठिन
मीठा- खट्टा
5. निम्नलिखित शब्दों में प्रयोग किए गए उपसर्गों और मूल शब्दों को अलग करके तालिका में लिखिए-
शब्द- उपसर्ग + मूल शब्द
प्रगति- प्र + गति
परिश्रम- परि + श्रम
अभिशाप- अभि + शाप
पराजय- परा + जय
विज्ञान- वि + ज्ञान
कक्षा 8 हिन्दी के इन 👇 पाठों के बारे में भी जानें।
1. पाठ 1 वर दे! कविता का भावार्थ
2. पाठ 1 वर दे! अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण)
3. उपमा अलंकार एवं उसके अंग
6. सही जोड़ी बनाइए-
(क) अनेकार्थी- जिन शब्दों के समान अर्थ हों।
(ख) पर्यायवाची- एक-दूसरे के विपरीत अर्थ वाले शब्द।
(ग) विलोम- जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ निकलें।
(ग) पुनरुक्ति- जो सुनने में एक जैसा हो, परंतु उनके अर्थ भिन्न हों।
(ड.) भिन्नार्थक- एक ही शब्द का दो बार आना।
उत्तर- (क)-(3) (ख)-(1) (ग)-(2) (घ)-(5) (ड.)-(4)
7. इस पाठ में आए योजक चिह्न वाले 'शब्द युग्मों' की सूची बनाइए।
उत्तर- भूखे-प्यासे, पढ़-लिखकर, पिता-पुत्र, छोटा-सा, फटे-पुराने, शिक्षण-शुल्क, उन्नीस-बीस
कक्षा 2 के इन पाठों 👇 को भी पढ़ें।
1. 'प्रार्थना' एवं "अपने बारे में बताओ" - भाषा भारती कक्षा 2
2. पाठ 1 प्रातःकाल भाषा भारती (हिन्दी) कक्षा 2
अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए वीडियो को क्लिक कर अवश्य देखें।
आशा है, विद्यार्थियों के लिए पाठ 3 का अभ्यास कार्य बहुत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
RF Temre
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(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
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R F Temre
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(संबंधित जानकारी के लिए नीचे दिये गए विडियो को देखें।)
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