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भाषण कैसे दे? गणतंत्र दिवस में भाषण हेतु मुख्य बिन्दु || ये बिंदु शामिल करें। || Speech for republic day main points

आपको ज्ञात है कि प्रतिवर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर्व हमारे भारत देश में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन प्रत्येक शासकीय कार्यालय, विद्यालयों में ध्वजारोहण के साथ-साथ रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसी अवसर पर गणतंत्र दिवस के संदर्भ में विद्यार्थियों के द्वारा भाषण भी दिए जाते हैं। आइए नीचे दिए बिंदुओं के अनुसार जानते हैं कि भाषण देने के लिए किन-किन बिंदुओं पर बोलना आवश्यक होता है।

अभिवादन एवं सम्बोधन

जब आप भाषण देने के लिए मंच पर पहुंचे और माइक आपके हाथ में हो तब आपको सर्वप्रथम उपस्थित जनों को संबोधन करते हुए उस सभा के सभापति/अध्यक्ष, आपके प्रधानपाठक या प्राचार्य, शिक्षक-शिक्षिकाएं, गणमान्य नागरिक और आपके सहपाठी बालक-बालिकाओं को संबोधित करते हुए उनका अभिवादन करना चाहिए। अपना परिचय देते हुए आप आयोजन समिति को धन्यवाद ज्ञापित कर सकते हैं। आप जो कुछ भी बोलना या प्रस्तुतीकरण देना चाहते हैं तो उस प्रस्तुतीकरण के लिए त्रुटि की सम्भावना हेतु क्षमा-याचना भी आप कर सकते हैं।

संबोधन का उदाहरण - आदरणीय अध्यक्ष/सभापति महोदय, मेरे पूज्य प्राचार्य एवं गुरुजन, ग्राम/शहर से पधारे हुए गणमान्यजन एवं मेरे सहपाठी भाइयों-बहनों - मैं काव्य-प्रवाह टेमरे शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, ------- में कक्षा - -----पढ़ता हूं। मैं धन्यवाद देता हूं हमारे विद्यालय की कार्यक्रम आयोजन समिति को जिन्होंने मुझे मंच पर गणतंत्र दिवस के संदर्भ में दो बातें कहने का अवसर दिया। आशा है मेरी बातें आपको सारगर्भित लगेंगी। यदि कोई त्रुटि हो तो आप मुझे अवश्य क्षमा करेंगे।

भाषण की शुरुआत - आप भाषण की शुरुआत गणतंत्र दिवस कुछ इस तरह से कर सकते हैं -

आदरणीय! हमारे लिए आज का दिन गौरव एवं बेहद खुशी का दिन है। हम सभी यहां एकत्रित होकर 74 वे गणतंत्र दिवस को मना रहे हैं। जैसा कि आप सभी जानते हैं हमारे देश को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी एवं पूर्ण गणतंत्र के रूप में हमारा संविधान आज के दिन 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। यह दिन हमें याद दिलाता है हमारे पूर्वजों की कुर्बानियों को। हमें गर्व है कि हमारे देश में ऐसे महान क्रांतिकारी नेता एवं देश प्रेंमी हुये जिन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर करते भारत मां की बेड़ियों को बंधन से मुक्त किया।

'गणतंत्र' का अर्थ

महानुभाव ! जैसा कि आप जानते हैं 'गण' का आशय 'जनता' या 'समुदाय' से है और 'तंत्र' का आशय शासन से है। इस तरह हम देखें तो 'गणतंत्र' का अर्थ "जनता का शासन" हुआ। विश्व की समस्त शासन पद्धतियों में 'गणतंत्र' या 'लोकतंत्र' सर्वोत्कृष्ट शासन पद्धति है, जिसमें सारा समाज सुखमय जीवन व्यतीत करते हुए उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होता है। हमारा भारत देश विश्व के महानतम लोकतंत्रों में गिना जाता है।

संविधान का संक्षिप्त विवरण

शासन चलाने के लिए संविधान का उत्कृष्ट होना तथा उसमें सर्वोत्तम नियमों को बांधना महत्वपूर्ण कार्य है। यही बात हमारे संविधान में है। हमारे संविधान को बनने में 2 वर्ष 11 महीने एवं 18 दिन का समय लगा था। यह 395 अनुच्छेद एवं 8 अनुसूचियों के साथ यह दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। आदरणीय ! आपको ज्ञात है कि हमारे प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद थे। जब हमारा प्रथम गणतंत्र दिवस पर्व का आयोजन हुआ तो उस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो को आमंत्रित किया गया था।

नेताओं एवं क्रांतिकारियों का बलिदान

आदरणीय! आज हम जिस पर्व को, इस दिवस को जिस गौरव और सम्मान के साथ मना रहे हैं वह दिवस हमें ऐसे ही नहीं मिला बल्कि इसके पीछे बलिदानों की अमर कहानियां छिपी हुई हैं। भारत माता को बंधनों से छुड़ाने एवं 'पूर्ण स्वराज्य' के लिए हमारे महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों, क्रांतिकारियों एवं नेताओं ने बहुत संघर्ष किया। उन्होंने अपने प्राणों की आहुतियां दी। हमारे पूर्वजों का यही ध्येय था कि हमारी आने वाली पीढ़ियां बंधनों से मुक्त होकर स्वतंत्रता पूर्वक श्वास लें। हमारे देश के महान नेता जैसे महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाला लाजपत राय, लाल बहादुर शास्त्री वहीं दूसरी ओर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, खुदीराम बोस वीर सावरकर आदि ने बहुत बहुत संघर्ष किया और देश को आजाद कराया।

हमारे कर्तव्य

महानुभाव! क्या आपको ज्ञात है? डॉ. अब्दुल कलाम ने कहा था कि जो राष्ट्र भ्रष्टाचार मुक्त होता है वह एक सुंदर मस्तिष्क का एक राष्ट्र बनता है। उनका मानना था कि तीन लोग प्रधान होते हैं, जो परिवर्तन ला सकते हैं। (१) माता (२) पिता और (३) गुरु। यह तीनों तो अपना दायित्व बखूबी निभा ही रहे हैं हमें भारत के एक नागरिक के रूप में हमें इसके बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए और अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए सभी संभव प्रयास करना चाहिए। हमें जिम्मेदारियों को पूर्ण निष्ठा के साथ निभाना चाहिए। हमारे माननीय जन-जन के प्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि "मुझे जो दायित्व मिला है मैं उस दायित्व को पूरा कर रहा हूं।" तो इस तथ्य के पीछे यही बात छुपी है कि हमारे देश का प्रत्येक नागरिक अपने कर्तव्य को समझें अर्थात जिसे जो कार्य मिला है या जो कार्य कर रहा है उसी कार्य को पूर्ण निष्ठा एवं लगन के साथ करना होगा तभी हमारा देश तरक्की की ओर अग्रसर होगा। ज्ञान विज्ञान के प्रचार प्रसार से देश के सम्मुख उपस्थित मुद्दों जैसे गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, ग्लोबल वॉर्मिंग, असमानता आदि से निश्चित ही छुटकारा मिलेगा।

समापन

तो आइए साथियों! आज हम सब मिलकर एक शपथ लें कि हम अपने दायित्वों का निर्वहन पूर्ण निष्ठा एवं लगन के साथ करें। देश की संपत्तियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लें। इस तरह हम अपने देश की उन्नति के सहभागी बने। बस मुझे इतना ही कहना है। अब मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं।
जय हिंद! वंदे मातरम।

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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com

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