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पाठ 1 'प्रार्थना' कविता का सारांश, भावार्थ, अभ्यास एवं व्याकरण || संक्षिप्त कवि परिचय - भवानी प्रसाद मिश्र

'प्रार्थना' कविता

आँख खोलकर सुबह-सुबह मैं मन में कहता हूँ,
प्रभु तेरा उपकार कि मैं भारत में रहता हूँ।
मेरी मातृभूमि है भारत, मैं भारत के योग्य बनूँ,
मातृभूमि की प्रकृति, पुरुष, पशु सबको अपना सगा गिनूँ।

इनका दुख अपना दुख मानूँ इनके सुख को सुख अपना,
प्रभु ऐसा बल दो कि कर सकूँ पूरा बापू का सपना।
भारत के जल, पवन, अन्न, माटी में पलता हूँ,
प्रभु तेरा उपकार कि मैं भारत में रहता हूँ।

कविता का सारांश (सार)

इस कविता में कवि की देश प्रेंम (भारत-प्रेंम) की भावना का चित्रण है। कवि ईश्वर का उपकार मानते हुए उन्हें धन्यवाद देते हैं। उनका मानना है कि ईश्वर की ही कृपा (उपकार) है कि उन्होंने भारत देश में जन्म लिया है। वे भारत देश के योग्य बनकर यहाँ की प्रकृति (जीव-जन्तु, पेड़-पौधे) मानव-समाज, पशु-पक्षियों सभी को अपना सगा मानते हैं और इन सभी के सुख-दुख को अपना ही समझते हैं। कवि बापू (महात्मा गाँधी) के रामराज्य के सपने को पूरा करना चाहते हैं। वे कहते हैं कि ईश्वर का उन पर बहुत बड़ा उपकार है कि वे इस देश के जल, वायु, अनाज को ग्रहण कर (खा-पीकर) यहाँ को मिट्टी में जी रहे हैं।

संक्षिप्त कवि परिचय - भवानी प्रसाद मिश्र

भवानी प्रसाद मिश्र मध्यप्रदेश के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। इनका जन्म सन् 1914 ई. में हुआ। बी.ए. तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह 'कल्पना' पत्रिका के सम्पादक हो गये। उन्होंने ‘आकाशवाणी' में भी कार्य किया। मिश्र जी का निधन सन् 1985 ई. में हो गया।

कविता की संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या

पद 1 - आँख खोलकर सुबह-सुबह मैं मन में कहता हूँ,
प्रभु तेरा उपकार कि मैं भारत में रहता हूँ।
मेरी मातृभूमि है भारत, मैं भारत के योग्य बनूँ,
मातृभूमि की प्रकृति, पुरुष, पशु सबको अपना सगा गिनूँ।

शब्दार्थ
प्रभु = ईश्वर, भगवान।
उपकार = भलाई।
मातृभूमि = जन्मभूमि।
योग्य = लायक।
प्रकृति = पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, मिट्टी, पर्वत, पठार, मैदान, नदियाँ, समुद्र, तालाब, झरने, सोते, वायु, जल आदि सकल रूप में प्रकृति कहलाती है।
पुरुष = मानव समुदाय।
सगा = घनिष्ठ संबंधी।

संदर्भ - प्रस्तुत पंक्तियाँ कक्षा चौथी की भाषा भारती के पाठ एक प्रार्थना से ली गई हैं। इसके रचनाकार सुप्रसिद्ध साहित्यकार भवानी प्रसाद मिश्र हैं।

प्रसंग - उक्त पंक्तियों में कवि ईश्वर का उपकार मानते हुए उनसे भारत देश के योग्य बनाने की प्रार्थना करते हैं।

व्याख्या - कवि कहते हैं कि जब प्रातः काल मैं अपनी आँख खोलता हूँ अर्थात जागता हूँ तब अपने मन ही मन यह बात कहता हूँ कि हे ईश्वर आपकी मुझ पर बड़ी कृपा (उपकार) है कि मैं इस भारत देश में जन्म लेकर यहाँ रह रहा हूँ। मेरी मातृभूमि भारत है इसलिए मैं इस भारत देश के योग्य बनकर इस मातृभूमि की प्रकृति (जीव-जन्तु, पेड़-पौधे), मानव समाज एवं पशु-पक्षियों को अपने सगे संबंधियों की तरह मानूँ।

पद 2 - इनका दुख अपना दुख मानूँ इनके सुख को सुख अपना,
प्रभु ऐसा बल दो कि कर सकूँ पूरा बापू का सपना।
भारत के जल, पवन, अन्न, माटी में पलता हूँ,
प्रभु तेरा उपकार कि मैं भारत में रहता हूँ।

शब्दार्थ
अन्न = अनाज।
बल = शक्ति, ताकत।
बापू = महात्मा गाँधी जिन्हें बापू कहकर पुकारा जाता था।
जल = पानी, नीर।
पवन = हवा, वायु।
माटी = मिट्टी।

संदर्भ - उपरोक्तानुसार।

प्रसंग - कवि उक्त पंक्तियों में भारत की प्रकृति मानव समाज एवं पशु पक्षियों के सुख दुख को अपना मानते हुए महात्मा गांधी के सपनों को पूरा करने की बात कहते हैं।

भावार्थ - कवि कहते हैं कि मेरे देश की प्रकृति, जन समुदाय एवं पशु पक्षियों के सुख-दुख दोनों को अपना ही सुख-दुख मानूँ। वे ईश्वर से आशीर्वाद माँगते हुए कहते हैं कि हे ईश्वर मुझे इतना शक्ति दो कि बापू (महात्मा गाँधी) के रामराज्य के सपने को पूरा कर सकूँ। हे ईश्वर आपका मुझ पर बहुत बड़ा उपकार है कि इस भारत देश के जल, वायु, अनाज को ग्रहण कर इस माटी में मेरा पालन हो रहा है।

अभ्यास
बोध प्रश्न

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
1. इस कविता में कवि किसका उपकार मान रहा है?
उत्तर - इस कविता में कवि ईश्वर का उपकार मान रहा है।

2. कवि किसके योग्य बनना चाहता है?
उत्तर - कवि भारत देश के योग्य बनना चाहता है।

3. कवि किन-किन को अपना सगा मानना चाहता है?
उत्तर - कवि भारत देश की प्रकृति, मानव समुदाय, पशु-पक्षियों को अपना सगा मानना चाहता है।

4. कवि किसके सपनों को पूरा करना चाहता है?
उत्तर - कवि बापू (महात्मा गाँधी) के सपनों को पूरा करना चाहता है।

2. खाली स्थान भरिए-
1. प्रभु तेरा उपकार कि मैं भारत में रहता हूँ।
2. भारत की प्रकृति, पुरुष, पशु सबको अपना सगा गिनूँ।
3. भारत के जल पवन अन्न माटी में पलता हूँ।

3. निम्नलिखित पंक्तियों के भाव लिखिए-
1. इनका दुख अपना दुख मानूँ इनके सुख को सुख अपना।
भाव - देश की प्रकृति, जन समुदाय एवं पशु पक्षियों के सुख-दुख दोनों को अपना ही सुख-दुख मानूँ।
2. मेरी मातृभूमि है भारत, मैं भारत के योग्य बनूँ।
भाव - मेरी मातृभूमि भारत है इसलिए मैं इस भारत देश के योग्य बनूँ।

भाषा अध्ययन

1. निम्नलिखित शब्दों का वाक्य प्रयोग कीजिए-
शब्द - वाक्य प्रयोग
(क) उपकार -
ईश्वर का हम सब पर बड़ा उपकार है।
(ख) सपना - अच्छे जीवन का सपना हर कोई देखता है।
(ग) मातृभूमि - हमें हमारी मातृभूमि प्राणों से भी प्यारी है।
(घ) पवन - सुबह सवेरे पवन के झोंके बहुत ही मनोहर लगते हैं।
(ड) माटी - बरसात में माटी की सोंधी खुशबू मन को भाती है।

2. समान अर्थ वाले शब्दों की जोड़ी बनाइए-
आँख - नयन
प्रभु - ईश्वर
वायु - पवन
सुबह - प्रातः
पानी - जल

3. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द छाँटकर लिखिए-
शब्द - विलोम शब्द
अपना - पराया
सुख - दुःख
सुबह - शाम
योग्य - अयोग्य

योग्यता विस्तार

(i) मातृभूमि का महत्व बताने वाली अन्य कविताओं को ढूँढ़कर कक्षा में सुनाइए।
(ii) इस कविता को प्रार्थना के समय सामूहिक रूप से गाइए।
निर्देश - विद्यार्थीगण पत्र-पत्रिकाओं, पुरानी पुस्तकों, अखबार इत्यादि से मातृभूमि का महत्व बताने वाली कोई कविता लिखें और उसे कक्षा में सुनाकर साथ ही सामूहिक रूप से गायन करें।

सुवाक्य - "प्रार्थना सोई हुई शक्ति को सहज जगा देती है।"

एटग्रेड अभ्यासिका कक्षा 4 हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, पर्यावरण के पाठों को पढ़ें।
1. पाठ 1 'प्रार्थना' 'आँख खोलकर सुबह-सुबह' एटग्रेड अभ्यासिका के महत्वपूर्ण प्रश्न
2. पाठ 1 चलो चलें स्कूल एटग्रेड अभ्यासिका के प्रश्न
3. Lesson-2 The Moon (Oh! look at the Moon!)
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1. पाठ 1 'पुष्प की अभिलाषा' कविता का भावार्थ
2. पाठ 1 'पुष्प की अभिलाषा' अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण
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5. पाठ 4 'हम भी सीखें' कविता का भावार्थ एवं प्रश्नोत्तर

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1. पाठ 5 ईदगाह अभ्यास
2. पाठ - 6 पन्ना का तत्याग भावार्थ
3. पाठ 6 'पन्ना का त्याग' अभ्यास - प्रश्नोत्तर
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5. पाठ-7 'दशहरा' पाठ का सारांश, प्रश्नोत्तर (अभ्यास)

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1. भाषा अध्ययन (व्याकरण) - शुद्ध शब्द, संयुक्ताक्षर, प्रश्नवाचक एवं संदेहवाचक वाक्य, प्रत्यय जोड़कर संज्ञा से विशेषण बनाना
2. योग्यता विस्तार - दशहरा एवं दीपावली पर्व की जानकारी, रामचरितमानस राम का चरित्र, राम प्रसाद 'बिस्मिल'
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6. पाठ 9 'रम्मो और कल्लो' भाषा भारती कक्षा- 5 भाषा अध्ययन (व्याकरण), अकर्मक एवं सकर्मक क्रिया
7. पाठ 10 'नीति के दोहे' संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या एवं अभ्यास

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com

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(संबंधित जानकारी के लिए नीचे दिये गए विडियो को देखें।)
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