An effort to spread Information about acadamics

Blog / Content Details

विषयवस्तु विवरण



पाठ 10 'नीति के दोहे' संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या एवं अभ्यास || कवि कबीर, रहीम, वृन्द, तुलसीदास

दोहा - 1
साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।
जाके हिरदे साँच है, ताके हिरदे आप।।
-कबीर
सन्दर्भ - प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य पुस्तक 'भाषा- भारती' के पाठ 10 'नीति के दोहे' से लिया गया है। इसके रचनाकार कबीरदास जी हैं।
प्रसंग – दिये गए दोहे में कवि ने सत्य की महत्ता का वर्णन किया है।
भावार्थ – कबीरदास जी कहते हैं कि सत्य बोलने के समान कोई अन्य बड़ी तपस्या (तप) नहीं है और झूठ बोलने से बढ़कर कोई भी पाप नहीं है। कबीर दास जी आगे कहते हैं कि जिसके हृदय में सत्यता है अर्थात् जिसका हृदय सच्चे भावों से परिपूर्ण है, वहाँ भगवान स्वयं विराजित होते हैं।

दोहा - 2
जो तोको काँटा बुवै, ताहि बोय तू फूल।
तोको फूल के फूल हैं, वाको हैं तिरसूल॥
सन्दर्भ – पूर्वानुसार।
प्रसंग – प्रस्तुत दोहे में कबीरदास जी ने शत्रु (बैरी) के प्रति भी उसकी भलाई सोचने की बात कही है।
भावार्थ – कबीरदास जी कहते हैं कि जो व्यक्ति तुम्हारे लिए बुरा सोचता है, तुम्हारा बुरा करना चाहता है। तुम उसके लिए अच्छा सोचो अर्थात् उसकी भलाई के बारे में सोचो। जो तुम्हारे मार्ग में काँटे बोता है, तुम उसके मार्ग में फूल बिछाओ। भविष्य में तुम्हारे द्वारा बोये गये फूलों (अच्छाई) का परिणाम अच्छा ही प्राप्त होगा और उसके द्वारा बोये गये काँटे (अहित) उसके जीवन में त्रिशूल की भॉंति चुभेंगे अर्थात् तुम्हारी अच्छाइयाँ तुम्हें सफलता प्रदान करेंगी जबकि उसके बुरे कर्म या भाव उसके लिए निश्चित ही कष्टदायी ही होंगे।

दोहा - 3
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न दीखा कोय।
जो मन खोजौ आपनों, मुझ सा बुरा न कोय॥
-कबीर
सन्दर्भ – पूर्वानुसार।
प्रसंग – प्रस्तुत दोहे में कवि ने दूसरों के दोष देखने की बजाय स्वयं के अन्दर की कमियों देखने की बात कही है।
भावार्थ – प्रस्तुत दोहे में कवि कहते हैं कि जब मैं इस संसार में दूसरों के अन्दर बुराई ढूँढने निकला तो मुझे किसी के अंदर बुराई नहीं दिखी। किन्तु जब मैंने स्वयं के भीतर झाँक कर देखा अर्थात स्वयं के कर्मों को देखा तो पता चला कि मुझसे अधिक बुरा दूसरा कोई भी व्यक्ति नहीं है।
यहाँ कवि के कहने का आशय यह है कि दूसरों की बुराई देखने की अपेक्षा स्वयं के अंदर की बुराइयों को देखते हुए उन्हें दूर करने का प्रयास करना चाहिए।

दोहा - 4
खीरा सिर ते काटिकै, मलियत लोन लगाय।
रहिमन करुए मुखन को, चहिअत इहै सजाय।।
-रहीम
सन्दर्भ – प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य-पुस्तक 'भाषा भारती' के पाठ 10 'नीति के दोहे' से लिया गया है। इसके रचनाकार रहीम जी हैं।
प्रसंग – प्रस्तुत दोहे में कवि ने कुटिल लोगों के दमन किये जाने के बारे में चर्चा की है।
भावार्थ – रहीम कवि कहते हैं कि जिस प्रकार कड़वे मुँख वाले खीरे (ककड़ी) को उसके सिर (आगे वाले भाग) को काटकर उसकी कड़वाहट को दूर करने के नमक लगाकर मलते हैं, उसी तरह दुष्ट व्यक्ति (बुरे इंसान) के साथ भी उसे सबक सिखाने के लिए वाला ऐसा ही दण्ड (दमन) देना चाहिए जिससे उसे उसके दुष्कर्म (दुर्भावना) की सजा मिल सके।

दोहा - 5
करत करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसान॥
वृन्द
सन्दर्भ – प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य-पुस्तक 'भाषा भारती' के पाठ 10 'नीति के दोहे' नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचनाकार कवि वृन्द हैं।
प्रसंग – प्रस्तुत दोहे में कवि ने निरन्तर अभ्यास के महत्त्व को प्रदर्शित किया है।
भावार्थ – कवि कहते हैं कि बार-बार अभ्यास करने से जड़ मूर्ख व्यक्ति भी विद्वान हो जाता है। जैसे कि किसी कुएँ पर रखी शिला (कठोर पत्थर) पर पानी खींचने के लिए रस्सी के बार-बार घर्षण (घिषने) से उस पर गहरे निशान (गड्ढे) पड़ जाते हैं। अतः ज्ञान प्राप्ति के लिए अभ्यास करना चाहिए।

दोहा - 6
विद्या धन उद्यम बिना, कहो जु पावे कौन।
बिना डुलाएँ ना मिले, ज्यों पंखा की पौन॥
वृन्द
सन्दर्भ – पूर्वानुसार।
प्रसंग – प्रस्तुत दोहे में कवि ने विद्या धन की प्राप्ति के लिए परिश्रम की आवश्यकता पर बल दिया है।
भावार्थ – कवि कहते हैं कि बिना परिश्रम के विद्या धन की प्राप्ति नहीं हो सकती। बताइए बिना परिश्रम के किसने विद्या प्राप्त की है? जिस प्रकार हाथ से पंखे को बिना हिलाए-डुलाए हवा के आनन्द की अनुभूति नहीं होती है। यहाँ कवि के कहने का आशय है कि अपने कार्य की सिद्धि के लिए सदैव कार्य में रत रहना चाहिए।

दोहा -7
कोयल काको देत है, कागा कासों लेत।
'तुलसी' मीने वचन ते जग अपनौ कर लेत॥
तुलसीदास
सन्दर्भ – प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य-पुस्तक 'भाषा भारती' के पाठ 10 'नीति के दोहे' नामक पाठ से लिया गया है। इसके रचनाकार तुलसीदास जी हैं।
प्रसंग– प्रस्तुत दोहे में महाकवि तुलसीदास जी ने मीठी बोली बोलने के बारे में सुझाव दिया है।
भावार्थ – तुलसीदास जी कहते हैं कि कुहू-कुहू के मीठे स्वर में बोलने वाली कोयल भला किसको क्या देती है? वहीं काँव-काँव बोलने वाला कौआ किससे क्या लेता है? इन दोनों का किसी से कोई लेना देना नहीं, फिर भी लोग कोयल की आवाज को ही सुनना पसन्द करते हैं क्योंकि वह मधुर बोलती है जबकि कौवे की कर्कश आवाज को कोई नहीं सुनना चाहता। मधुर वाणी के महत्त्व को प्रतिपादित करते हुए महाकवि कहते हैं कि मीठी वाणी बोलने से सभी लोग प्रसन्न होते हैं, इसलिए इंसान को सदैव मीठे वचन बोलना चाहिए।

दोहा - 8
उत्तम विद्या लीजिए, जदपि नीच पै होय।
परयो अपावन ठौर में, कंचन तजत न कोय॥
तुलसीदास
सन्दर्भ – पूर्वानुसार।
प्रसंग – प्रस्तुत दोहे में कवि ने बुरे व्यक्ति से भी उसके उत्तम गुणों को ग्रहण करने की बात कही है।
भावार्थ – महाकवि तुलसीदास जी कहते हैं कि मनुष्य को सदैव दूसरों से उत्तम विद्या (सद्गुण/अच्छे गुण) को ग्रहण करना चाहिए, फिर चाहे ऐसे सद्गुण बुरे व्यक्ति के पास ही क्यों न हों। कवि आगे उदाहरण देते हुए कहते हैं कि यदि किसी अपवित्र (बुरी/गंदी) जगह पर सोना (धन) गिरा हुआ है, तो उस गिरे हुए (रखे हुए) सोने (धन) को कोई नहीं छोड़ता है, उसे उठा लेते हैं। उसी तरह अच्छे गुण जहाँ कहीं से मिले ग्रहण करना चाहिए।

कवि परिचय

कबीर
सन्त कबीर का जन्म सन् 1398 में काशी में हुआ। नीरू और नीमा नामक जुलाहा दम्पति ने उनका लालन-पालन किया। वे रामानन्द के शिष्य थे। अपने अनुभव की बातों को उन्होंने साखी (दोहे) के रूप में लिखा है। सन् 1495 में आपका मगहर में निधन हो गया।

रहीम
रहीम का पूरा नाम अब्दुल रहीम खान खाना था। रहीम का जन्म सन् 1556 में हुआ था। वे अकबर के नवरत्नों में से एक थे, इनकी भाषा बहुत सरल है। इसलिए इनकी रचनाएँ बहुत लोकप्रिय हैं।

वृन्द
वृन्द का जन्म संवत 1742 के लगभग माना जाता है। ये औरंगजेब के दरबार में थे। 19 वर्ष की अवस्था में संवत 1761 में इन्होंने दृष्टान्त सतसई, जैसा ग्रन्थ लिखा। इस अनुभव ग्रन्थ के आधार पर कुछ लोग इसका जन्म संवत 1730 मानने के पक्ष में हैं। इनकी कविताएँ नीति विषयक हैं तथा दोहों की भाषा बहुत सरल है।

तुलसी
महाकवि तुलसीदास का जन्म मान्यतानुसार सन् 1532 में बाँदा जिले के राजापुर गाँव में हुआ था। आप भगवान राम के भक्त थे। आपने कई रचनाएँ की हैं। 'रामचरित मानस' आपका प्रसिद्ध ग्रन्थ है। इनका निधन सन् 1623 में माना जाता है।

कक्षा 5 हिन्दी के इन 👇 पाठों को भी पढ़ें।
1. पाठ 1 'पुष्प की अभिलाषा' कविता का भावार्थ
2. पाठ 1 'पुष्प की अभिलाषा' अभ्यास (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण
3. पाठ 2 'बुद्धि का फल' कक्षा पाँचवी
4. पाठ 3 पं. ईश्वरचन्द्र विद्यासागर अभ्यास कार्य (प्रश्नोत्तर एवं व्याकरण
5. पाठ 4 'हम भी सीखें' कविता का भावार्थ एवं प्रश्नोत्तर

अभ्यास
बोध प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नांकित शब्दों के अर्थ पुस्तक में दिए शब्दकोश से खोजकर लिखिए–
ताहि = उसको।
काको = किसको, किसे।
वाको = उसको, उसे।
कागा = कौआ।
साँच = सत्य।
कासों = किससे।
तोको = तुझको।
जदपि = यद्यपि।
जड़मति = मूर्ख, बेअक्ल।
उद्यम = कार्य, मेहनत, परिश्रम।
सिल = पत्थर, शिला।
अपावन = अपवित्र, गंदगी भरी।
करुए = कड़वे।
कंचन = धन-दौलत, सोना।
पौन = हवा, पवन, वायु।
चहिअत = चाहिए।

प्रश्न 2 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए–
(क) कवि ने सत्य को किसके बराबर बताया है?
उत्तर – कवि ने सत्य को तप (तपस्या) के बराबर बताया है।

(ख) उत्तम विद्या क्यों प्राप्त करनी चाहिए?
उत्तर – मनुष्य को सदैव उत्तम विद्या (दूसरों के अच्छे गुणों) को ग्रहण करना चाहिए क्योंकि उत्तमकोटि का ज्ञान जीवन में फलीभूत होता है और उसका महत्व सभी जगह होता है।

(ग) रस्सी शिला पर कैसे निशान बना देती है?
उत्तर– किसी कठोर शिला (पत्थर) पर रस्सी के लगातार ऊपर-नीचे होने से उस शिला के कठोर होने के बावजूद उस पर निशान पड़ जाते हैं।

(घ) कोयल और कौआ की बोली में क्या अन्तर है?
उत्तर- कोयल की बोली में (कूकने में) मधुरता होती है। जबकि कौए की कर्कश काँव-काँव की आवाज मन को नहीं भाती है।

(ङ) कवि ने दुर्जनों को दण्डित करने के लिए क्या कहा है और क्यों?
उत्तर- कवि ने दुर्जनों को दण्डित करने के लिए उदाहरण दिया है कि जिस तरह कड़वे खीरे के सिर को काटकर नमक मलने से उसकी कड़ुवाहट दूर हो जाती है उसी तरह दुर्जनों को दण्डित करने से उनके अंदर के द्वेष-भाव दूर होते हैं।
कवि ने ऐसा इसलिए कहा है कि दण्ड देने से दुर्जनों को उनके दुष्कर्म करने के लिए सबक मिल सके।

प्रश्न 3 कविता की पंक्तियों के अर्थानुसार सही जोड़ी बनाइए -
कविता की पंक्ति
(क) जो तोको काँटा बुवै
अर्थ – बार-बार के अभ्यास करने से मूर्ख भी विद्वान बन सकते हैं।
सही अर्थ – जो तुझे काँटा बोता है।
कविता की पंक्ति –
(ख) करत करत अभ्यास के
अर्थ – जैसे पंखा से हवा मिलती है।
सही अर्थ – बार-बार के अभ्यास करने से मूर्ख भी विद्वान बन सकते हैं।
कविता की पंक्ति –
(ग) ज्यों पंखा की पौन
अर्थ - मीठा बोलने से चारों ओर सभी प्रसन्नता का अनुभव करते हैं।
सही अर्थ – जैसे पंखा से हवा मिलती है।
कविता की पंक्ति –
(घ) मुझ सा बुरा न कोय
अर्थ – मेरे समान कोई बुरा नहीं है।
सही अर्थ – मेरे समान कोई बुरा नहीं है।
कविता की पंक्ति –
(ङ) तुलसी मीठे वचन तें
अर्थ - जो तुझे काँटा होता है।
सही अर्थ – मीठा बोलने से चारों ओर सभी प्रसन्नता का अनुभव करते हैं।

प्रश्न 4 नीचे लिखे वाक्यों के सामने कुछ विकल्प दिए हैं। उनमें से सही विकल्प चुनिए–
(क) ईश्वर किसके हृदय में वास करता है?
(आडम्बरी/सत्यवादी/खिलाड़ी)
सही विकल्प – सत्यवादी
(ख) मूर्ख कब चतुर बन जाता है?
(निरन्तर पढ़ने से/काम करने से/ निरन्तर अभ्यास से)
सही विकल्प – निरन्तर अभ्यास से
(ग) कोयल का महत्त्व क्यों है ?
(सुन्दरता से/मीठी वाणी से/तेज उड़ान से)
सही विकल्प – मीठी वाणी से
(घ) विद्या और धन कब प्राप्त हो सकता है?
(उद्यम करने से/योजना बनाने से/भाग्य से)
सही विकल्प – उद्यम करने से

कक्षा 5 हिन्दी के इन 👇 पाठों को भी पढ़ें।
1. पाठ 5 ईदगाह अभ्यास
2. पाठ - 6 पन्ना का तत्याग भावार्थ
3. पाठ 6 'पन्ना का त्याग' अभ्यास - प्रश्नोत्तर
4. भाषा अध्ययन (व्याकरण) - शुद्ध शब्द, तुकांत, पर्यायवाची, विलोम, अनेकार्थी शब्द
5. पाठ-7 'दशहरा' पाठ का सारांश, प्रश्नोत्तर (अभ्यास)

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1 निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध उच्चारण कीजिए– काँटा, आँच, अभ्यास, विद्या, उद्यम, ठौर।
टीप – उपर दिए गए शब्दों को विद्यार्थी शुद्ध उच्चारित करें।

प्रश्न 2 निम्नलिखित शब्दों के हिन्दी मानक रूप लिखकर तालिका बनाइए–
साँच, हिरदे, तिरसूल, करुए, सजाय, दीखा, पौन, जदपि।
शब्द – हिन्दी मानक शब्द
साँच - सत्य
हिरदे - हृदय
तिरसूल – त्रिशूल
करुए – कड़वे
सजाय – सजा, दण्ड
दीखा – देखा
पौन – हवा
जदपि – यद्यपि

प्रश्न 3 'नीति के दोहे' पाठ में प्रयुक्त तुकान्त शब्दों की एक तालिका बनाइए–
आप – पाप
फूल – तिरसूल
लगाय – सजाय
सुजान – निशान
कौन – पौन
होय होय।

प्रश्न 4 नीचे दिए गए पर्यायवाची शब्दों के शब्द समूह में से एक गलत है। गलत शब्द के नीचे रेखा खींचो।
(अ) कान, नयन, नेत्र, चक्षु
(आ) वृक्ष, तरु, पेड़, लता
(इ) सुत, पुत्र, बेटी, बेटा
(ई) पानी, जलज, नीर, जल
(उ) नरेश, रानी, भूप, राजा

प्रश्न 5 नीचे दिए गए विशेषण शब्दों को संज्ञा शब्दों में परिवर्तित कीजिए–
विशेषण शब्द – संज्ञा शब्द
(1) साँच (सच्चा) – सच्चाई
(2) बुरा – बुराई
(3) मीठा – मिठाई
(4) चतुर – चतुराई

कक्षा 5 हिन्दी के इन 👇 पाठों को भी पढ़ें।
1. भाषा अध्ययन (व्याकरण) - शुद्ध शब्द, संयुक्ताक्षर, प्रश्नवाचक एवं संदेहवाचक वाक्य, प्रत्यय जोड़कर संज्ञा से विशेषण बनाना
2. योग्यता विस्तार - दशहरा एवं दीपावली पर्व की जानकारी, रामचरितमानस राम का चरित्र, राम प्रसाद 'बिस्मिल'
3. 'छत्रपति शिवाजी' (चित्रकथा) पाठ का सारांश एवं सम्पूर्ण पाठ कक्षा 5 भाषा भारती पाठ 8 प्रश्नोत्तर
4. भाव वाचक संज्ञा | भाषा अध्ययन (व्याकरण) योग्यता विस्तार | पाठ 8 छत्रपति शिवाजी | कक्षा 5 भाषा भारती
5. पाठ 9 रम्मो और कल्लो - पाठ का सारांश एवं सम्पूर्ण पाठ, अभ्यास- बोध प्रश्न
6. पाठ 9 'रम्मो और कल्लो' भाषा भारती कक्षा- 5 भाषा अध्ययन (व्याकरण), अकर्मक एवं सकर्मक क्रिया

योग्यता विस्तार

1. अपने विद्यालय की पाठशाला में बालसभा के आयोजन के समय दोहों का सस्वर वाचन कीजिए।
निर्देश – विद्यार्थियों को दिए गए पाठ के सभी लोगों को कंठस्थ याद कर लेना चाहिए एवं बाल सभा के अवसर पर सुनाना चाहिए।

2. तुलसी की रामचरित मानस से कुछ शिक्षाप्रद दोहे और चौपाई छाँटकर याद कीजिए तथा कागज पर पर सुलेख में लिखकर कक्षा में दीवारों पर लगाइए।
निर्देश – घर में पवित्र ग्रंथ रामचरितमानस से महत्वपूर्ण एवं शिक्षाप्रद चौपाई का लेखन कर कक्षा में लगाएँ।
नीचे उदाहरण स्वरूप कुछ चौपाइयाँ दी गई है।
परीक्षा की सफलता हेतु–
जेहि पर कृपा करहिं जनुजानी।
कवि उर अजिर नचावहिं बानी।।
मोरि सुधारहिं सो सब भाँती।
जासु कृपा नहिं कृपा अघाती।।
सुख वैभव प्राप्ति हेतु–
सुनहि विमुक्त बिरत अरू विबई।
लहहि भगति गति संपति नई।।
धन वृद्धि एवं प्राप्ति हेतु–
जिमि सरिता सागर मन्हु जाही।
जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।
तिमि सुख संपत्ति बिनहि बोलाएँ।
धर्मशील पहिं जहि सुभाएँ।।

3. इस पाठ में आए दोहों में जिन नैतिक मूल्यों की और संकेत किया गया है, उनकी सूची बनाइए तथा कक्षा में चर्चा कीजिए।
नैतिक मूल्य– (1) हमें सदैव सच बोलना चाहिए।
(2) हमें हमेशा दूसरों की भलाई करना चाहिए।
(3) हमें दूसरों में बुराई देखने की अपेक्षा स्वयं के दोषों को दूर करना चाहिए।
(4) हमें बुरे लोगों को दण्ड देना चाहिए।
(5) हमें निरंतर अभ्यास करना चाहिए।
(6) हमें विद्या प्राप्ति के लिए सदैव परिश्रम करना चाहिए।
सुवाक्य - "दुष्ट मित्र सामने प्रशंसा करता है, पीठ पीछे निंदा करता है।"

अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए वीडियो को अवश्य देखें।
आशा है, उपरोक्त जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com

Watch video for related information
(संबंधित जानकारी के लिए नीचे दिये गए विडियो को देखें।)
  • Share on :

Comments

Leave a reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may also like

व्याकरण आधारित 40 प्रश्न | अति लघुत्तरीय एवं लघुत्तरीय परीक्षापयोगी | कक्षा 5वीं विषय हिन्दी वार्षिक परीक्षा 2024

इस भाग में कक्षा पाँचवी के विद्यार्थियों की वार्षिक परीक्षा की तैयारी हेतु विषय हिन्दी में भाषा अध्ययन (व्याकरण) पर आधारित 40 प्रश्न और उत्तर यहाँ दिए गए हैं।

Read more

वार्षिक परीक्षा 2024 | ब्लूप्रिंट आधारित माॅडल अभ्यास प्रश्नपत्र (हल सहित) | विषय हिन्दी कक्षा 5वीं | Hindi Model practice question paper 2024

इस भाग में वार्षिक परीक्षा 2024 (Hindi Model practice question paper 2024) |ब्लूप्रिंट आधारित माॅडल अभ्यास प्रश्नपत्र (हल सहित) |विषय हिन्दी कक्षा 5वीं के बारे में बताया गया है।

Read more

माॅडल आंसरशीट विषय - हिन्दी (प्रथम भाषा) कक्षा- 5 अर्द्धवार्षिक मूल्यांकन 2023-24 Set-B || Modal Answer Sheet Hindi

इस भाग में माॅडल आंसरशीट विषय - हिन्दी (प्रथम भाषा) कक्षा- 5 अर्द्धवार्षिक मूल्यांकन 2023-24 Set-B की जानकारी दी गई है।

Read more

Follow us

Catagories

subscribe