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'जन्मतिथि रजिस्टर' कैसे लिखें | How to write 'Birth Register' of school

विद्यालय के अभिलेखों की हम बात करें तो विद्यालय की दाखिल खारिज और जन्मतिथि रजिस्टर सबसे प्रमुख अभिलेख होते हैं। इनमें विद्यालय में दर्ज विद्यार्थियों का विवरण जैसे– विद्यार्थी का नाम, माता-पिता का नाम, जन्म तिथि इत्यादि दर्ज होती है। विद्यालय अभिलेखों (दाखिल खारिज व जन्मतिथि पंजी) में किसी विद्यार्थी या व्यक्ति के संबंध में जो कुछ भी जानकारी लिखी होती है और उसी जानकारी को देखकर किसी व्यक्ति के द्वारा प्रमाण पत्र माँगे जाने पर उसे प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है तो वह प्रमाण हर जगह मान्य होता है। अक्सर देखने में आता है कि भूतपूर्व विद्यार्थियों को जाति प्रमाण पत्र बनवाने या किसी विशेष प्रमाण हेतु जन्म प्रमाण या जाति प्रमाण की आवश्यकता होती है और वे विद्यालय में प्रमाण पत्र हेतु आते हैं। उन्हें हेड मास्टर या प्राचार्य के द्वारा जो प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है वही प्रमाण पत्र मान्य होता है।

इस तरह एक शिक्षक या प्रधान पाठक को दाखिल-खारिज एवं जन्मतिथि रजिस्टर को बहुत ही सोच समझकर और सुंदर लिखावट में लिखना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि काँट-छाँट या दोहरी लिखावट बिल्कुल न हो। यदि धोखे से काँट-छाँट हो जाती है तो उसके लिए भी प्रधानाचार्य को पुष्टि के लिए वहीं हस्ताक्षर कर देना चाहिए या फिर काँट-छाँट वाले स्थान को छोड़कर नये सिरे आगामी पंक्ति या खण्ड से लेखन कर लेना चाहिए।

एक जन्मतिथि रजिस्टर में कौन-कौन से कॉलम होने चाहिए और उनमें जानकारी किस तरह अंकित करना चाहिए, विवरण नीचे दिया गया है।
1. दाखिल खारिज क्रमांक (Dakhil Kharij Number)
2. विद्यार्थी का नाम एवं समग्र आईडी (Name and Samagra ID of the student)
3. विद्यार्थी का लिङ्ग (Gender of the student)
4. पिता का नाम (Father's Name)
5. माता का नाम (Mother's Name)
6. जाति/ धर्म /उपजाति (Caste / Religion / Sub-caste)
7. पिता या माता का व्यवसाय (Occupation of father or mother)
8. पिता या अभिभावक का पता व मो. नं. (Address and Mo. No. of father or guardian)
9. विद्यार्थी की जन्मतिथि (Date of Birth of Student)
(i) अंकों में (In digits)
(ii) शब्दों में (In words)
10. अभिभावक/ पिता की तसदीक (Proof of parent/father)
11. विशेष (Remark)

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प्रत्येक खण्ड में जानकारी किस तरह अंकित करना चाहिए, इसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है–

1. दाखिल खारिज क्रमांक - जब हम नए विद्यार्थी का नाम दर्ज करते हैं तो सबसे पहले दाखिल-खारिज क्रमांक अंकित किया जाता है। इस खण्ड में पूर्व के विद्यार्थी के दा.खा. क्रमांक की अगली क्रम संख्या को विद्यार्थी के दाखिल-खारिज संख्या के रूप लिखा जाता है।

2. विद्यार्थी का नाम एवं समग्र आईडी - यह खण्ड सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि नाम यदि थोड़ा सा भी गलत होता है तो भविष्य में विद्यार्थी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अतः इस खण्ड में विद्यार्थी का नाम भली प्रकार से आश्वस्त होकर ही अंकित करना चाहिए। विशेष रूप से विद्यार्थी के जन्म प्रमाण पत्र में जो नाम लिखा हुआ है उसी नाम को दर्ज करना चाहिए। यदि पिता या अभिभावक यह कहता है कि जन्म प्रमाण पत्र में लिखा नाम सही नहीं है, तो फिर अभिभावक को बच्चे का नाम जन्म प्रमाण पत्र में सुधरवाने के लिए कहना चाहिए, तभी उसका नाम अंकित करना चाहिए। इस खण्ड में विद्यार्थी का पूरा नाम उपनाम (सरनेम) सहित अंकित करना चाहिए। पूर्व में शिक्षक केवल विद्यार्थी का नाम ही दर्ज किया करते थे, वे विद्यार्थी की सरनेम नहीं लिखा करते थे। किंतु वर्तमान समय में कई स्थानों पर विद्यार्थी का पूरा नाम के अंतर्गत सरनेम भी लिखी जाती है। अतः हमें दाखिल खारिज पंजी में विद्यार्थी का नाम सरनेम सहित अंकित करना चाहिए। ध्यान रहे किसी प्रकार की काट छाँट बिल्कुल न हो।

3. विद्यार्थी का लिङ्ग - इस खण्ड में बच्चे का लिंङ्ग बालक, बालिका या तृतीय लिङ्ग जो भी हो अंकित करना चाहिए।

4. पिता का नाम - इस खण्ड में पिता का नाम वही दर्ज करना चाहिए जो विद्यार्थी के जन्म प्रमाण पत्र में लिखा हुआ है। विशेष तौर से विद्यार्थी के पिता का नाम भी सरनेम सहित अंकित करना चाहिए।

5. माता का नाम - जिस तरह पिता का नाम जन्म प्रमाण पत्र से देख कर लिखा जाए, उसी तरह माता का नाम भी जन्म प्रमाण पत्र से ही देखकर सरनेम सहित लिखना चाहिए।

6. जाति/ धर्म /उपजाति - इस खण्ड में विद्यार्थी की जाति जो वास्तविक जाति है जैसे- पंवार, गोंड, ब्राह्मण, कुर्मी आदि (जो भी जाति हो) लिखना चाहिए। कोष्टक में वर्ग यथा- अ.जा., अ.ज.जा., अन्य पि.वर्ग, सामान्य लिखा जा सकता है। धर्म में विद्यार्थी का जो भी धर्म हो है उसे अंकित करें। विद्यार्थी का उपनाम (उपजाति) अर्थात सरनेम को अंकित करना चाहिए।

7. पिता या माता का व्यवसाय - इस खण्ड में बालक के माता, पिता या अभिभावक का व्यवसाय अर्थात वे मुख्य रुप से जो भी काम धंधा करते हो उसको लिखना चाहिए।

8. पिता या अभिभावक का पता व मो. नं. - इस खण्ड में पिता या अभिभावक का पूरा पता जहाँ वे रहते हैं, उसका वर्णन लिखना चाहिए। कई बार केवल अकेले ग्राम या शहर का नाम ही लिख लिया जाता है। बल्कि पत्राचार हेतु पता में ग्राम, ग्राम पंचायत, पोस्ट, थाना और पिन कोड नंबर लिखने के साथ-साथ अभिभावक का मोबाइल नंबर भी अंकित करना चाहिए।

9. विद्यार्थी की जन्मतिथि (Date of Birth of Student)- यह खण्ड सबसे महत्वपूर्ण है। इस खण्ड में विद्यार्थी के जन्म प्रमाणपत्र से जन्मतिथि (i) अंकों व (ii) शब्दों में साफ साफ व स्पष्ट शब्दों में लिखा जाना चाहिए। यदि अभिभावक कहता है कि जन्म प्रमाण पत्र में लिखी जन्मतिथि सही नहीं है तो हमें उस अभिभावक को सलाह देना चाहिए कि वे जन्म प्रमाणपत्र में सुधार करवा लें। सुधार करवाने के पश्चात् ही जन्मतिथि अंकित करना चाहिए। विशेष रूप से इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बिना प्रमाण के जन्मतिथि नहीं लिखना चाहिए।

10. अभिभावक/ पिता की तसदीक (Proof of parent/father) - इस खण्ड में पिता या अभिभावक अपने द्वारा प्रमाणित करता है कि उसके पुत्र या आश्रित (नातेदार) की जन्म तिथि जन्म प्रमाण पत्र और स्वयं के अनुसार अमुक है। इस खंड में प्रमाणिकरण के लिए पिता/पालक द्वारा इस तरह लिखा जाना चाहिए–
मैं -------------- प्रमाणित करता हूँ कि मेरे पुत्र/पुत्री ------------- की जन्मतिथि मेरे और जन्म प्रमाण पत्र के अनुसार --------- है, जो सही है। प्रमाणित किया जो सत्य है।
नीचे पिता या पालक के हस्ताक्षर करवाना चाहिए।

11. विशेष (रिमार्क) - इस खण्ड में यदि विद्यार्थी को टी.सी. प्रदान कर दी गई है तो 'खारिज' लिखकर संस्थाप्रधान को अपनी पदमुद्रा के साथ हस्ताक्षर करना चाहिए।

इस तरह से जन्मतिथि पंजिका में विद्यार्थी का विवरण दर्ज करना चाहिए। जानकारी दर्ज करते समय पूर्व सावधानी रखनी चाहिए। किसी तरह की भी काट छाँट न हो, इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आशा है, यह जानकारी काफी उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण होगी।
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