An effort to spread Information about acadamics

Blog / Content Details

विषयवस्तु विवरण



अनुनासिक और निरनुनासिक शब्द और इनकी वर्तनी || अनुनासिक और निरनुनासिक में अंतर

  • BY:
     RF Temre

अनुनासिक

'अनुनासिक' शब्द का विश्लेषण करने पर 'अनु' और 'नासिक' इन दोनों शब्दों से यह शब्द संयुक्त हुआ है। यहाँ 'अनु' एक उपसर्ग है जो 'नासिक' शब्द के पूर्व लगा है। नीचे 'अनु' और 'नासिक' दोनों शब्दों का अलग-अलग अर्थ समझते हैं।

'अनु' का अर्थ - 'अनु' का अर्थ होता है 'अनुगामी होना' अनुसरण करना, पीछे आना या चलना।

'नासिक' का अर्थ - नासिक संज्ञा शब्द है, जिसका सीधा सा अर्थ नाक से है। अतः नासिक का शाब्दिक अर्थ होगा नाक के द्वारा या नाक से। इस तरह संयुक्त रूप से अनुनासिक का अर्थ इस तरह होगा।

अनुनासिक का अर्थ - अनुनासिक का शाब्दिक अर्थ देखा जाए तो नाक का अनुगामी होना या नाक से प्रवाहित होना होगा। जब किसी शब्द के उच्चारण की प्रक्रिया में वायु नासा-द्वार एवं मुख दोनों से बाहर प्रवाहित हो (निकले) तब ऐसी वर्तनी को अनुनासिक कहा जाता है। उदाहरण- आँख, माँ, पहुँच, दाँत, मुँह, कहाँ, स्त्रियाँ आदि शब्दों की वर्तनी करने पर वायु मुँह और नासा द्वारा दोनों से बाहर की ओर प्रभावित होती है।

अनुनासिक की मात्रा (चिह्न) - उपरोक्त उदाहरण में हमने देखा आँख, माँ, पहुँच, दाँत, मुँह, कहाँ, स्त्रियाँ आदि शब्दों में लगा चिन्ह ( ँ ) अनुनासिक है। जहाँ कहीं उच्चारण में वायु नाक से प्रभावित हो वहाँ इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।

अनुनासिक के लिए केवल बिन्दु का प्रयोग

हिन्दी में बहुत से ऐसे शब्द हैं। जहाँ पर उच्चारण में अनुनासिक महसूस होता है किन्तु लेखन में केवल बिन्दी ( ं ) ही लगी होती है। जैसे - 'गायें', 'जायें', 'में', 'कहीं', 'पुस्तकें' आदि में वर्तनी अनुनासिक की होती है किन्तु इन शब्दों में केवल बिन्दी का ही प्रयोग किया गया है। इस हेतु एक नियम है, जब किसी शब्द में मात्रा शिरोरेखा के ऊपर लगी हो जैसे- (इ, ई, ए, ऐ, ओ, औ की मात्राएँ) और वहाँ अनुनासिक का प्रयोग होता हो तो केवल बिन्दु (ं) लगाई जाती है चन्द्र (ऑ) का प्रयोग नहीं किया जाता है।

ध्वनि एवं वर्णमाला से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. ध्वनि का अर्थ, परिभाषा, लक्षण, महत्व, ध्वनि शिक्षण के उद्देश्य ,भाषायी ध्वनियाँ
2. वाणी - यन्त्र (मुख के अवयव) के प्रकार- ध्वनि यन्त्र (वाक्-यन्त्र) के मुख में स्थान

निरनुनासिक

निरनुनासिक शब्द में 'अनुनासिक' शब्द के पूर्व 'निर्' उपसर्ग का प्रयोग हुआ है और 'निर्' का अर्थ होता है 'हीन' या 'के बिना'। इस तरह है हम कह सकते हैं ऐसा उच्चारण जो बिना नाक की सहायता से अर्थात नाक से वायु प्रवाहित न हो केवल मुँह से हो। तो ऐसी वर्तनी को निरनुनासिक कहा जाता है। अतः निरनुनासिक का पूरा अर्थ होगा ऐसा उच्चारण जो नाक से न होते हुए केवल मुँह से हो।

उदाहरण- 'आप', 'वह', 'पेड़', 'कलम', 'बिल्ली', 'भोपाल' आदि। ये ऐसे शब्द हैं जिनका उच्चारण करते समय वायु केवल मुख से बाहर निकलती है, नाक से नहीं। अतः ऐसे समस्त शब्द जिनका उच्चारण करते समय वायु केवल मुख से बाहर निकले हुए सभी निरनुनासिक शब्द होते हैं।

हिन्दी भाषा के इतिहास से संबंधित इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।।
1. भाषा का आदि इतिहास - भाषा उत्पत्ति एवं इसका आरंभिक स्वरूप
2. भाषा शब्द की उत्पत्ति, भाषा के रूप - मौखिक, लिखित एवं सांकेतिक
3. भाषा के विभिन्न रूप - बोली, भाषा, विभाषा, उप-भाषा
4. मानक भाषा क्या है? मानक भाषा के तत्व, शैलियाँ एवं विशेषताएँ


संबंधित जानकारी के लिए नीचे दिये गए विडियो को देखें।👇🏻
(Watch video for related information)

आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope the above information will be useful and important. )
Thank you.
R. F. Tembhre
(Teacher)
infosrf.com

  • Share on :

Comments

Leave a reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may also like

अनुतान क्या है? अनुतान के उदाहरण एवं प्रकार || हिन्दी भाषा में इसकी महत्ता || Hindi Bhasha and Anutan

अनुतान के प्रयोग से शब्दों या वाक्यों के भिन्न-भिन्न अर्थों की अनुभूति होती है। भाषा में अनुतान क्या होता है? अनुतान के उदाहरण, प्रकार एवं इसकी महत्ता की जानकारी पढ़े।

Read more

Follow us

Catagories

subscribe

Note― अपनी ईमेल id टाइप कर ही सब्सक्राइब करें। बिना ईमेल id टाइप किये सब्सक्राइब नहीं होगा।