
हिन्दी शब्द ज्ञान– दुःख, कष्ट, पीड़ा, वेदना, व्यथा, विषाद,संताप, शोक, दर्द,खेद में अन्तर
उदाहरण— फसल के चौपट होने का किसानों को गहरा दुःख है।
(2) कष्ट – विपरीत (प्रतिकूल) एवं हानिकारक बातों, श्रम या क्रियाकलापों से उत्पन्न मानसिक एवं शारीरिक थकावट को कष्ट कहा जाता है।
उदाहरण — लगातार गाड़ी चलाते रहने के अब कष्ट होने लगा है।
(3) पीड़ा — कष्ट का ही पर्याय है। अत्यधिक श्रम से होने वाले कष्ट को पीड़ा कहते हैं।
उदाहरण — झुककर काम करते रहने के कारण कमर में काफी पीड़ा रहती है।
(4) वेदना — मानसिक दुख के अनुभव के उग्र एवं स्थाई रूप को वेदना कहा जाता है।
उदाहरण— पति की प्रताड़ना की वेदना को न झेल पाने के कारण ही वह चल बसी।
(5) व्यथा — वेदना का हल्का रुप, जब रुक रुक कर दुख की अनुभूति हो उसे व्यथा कहा जाता है।
उदाहरण— अपनी व्यथा बताने अक्सर वह यहाँ आती रहती है।
(6) विषाद — विषाद इच्छाएँ पूरी न होने पर जब मन में निराशा के भाव जागृत होने लगते हैं उसे विषाद कहा जाता है।
उदाहरण– बेटे के परीक्षा में फेल हो जाने के कारण उसके मन में विषाद है।
(7) संताप — जब वेदना के रूप में स्थायीत्व आने लगता है, उसे संताप कहते हैं।
उदाहरण — बेटे की उल्टे पुल्टे कार्यों का संताप पिता को घेरे हुए है।
(8) शोक — किसी प्रिय स्वजन की मृत्यु या कोई गहन हानि हो जाने के कारण उत्पन्न मानसिक अनुभूति को शोक कहा जाता है।
उदाहरण — उसे अपनी माँ की मृत्यु का गहरा शोक है।
(9) दर्द — किसी रोग, चोट के कारण शारीरिक अनुभूति दर्द कहलाती है।
उदाहरण — बुखार के कारण उसके पूरे शरीर मेंदर्द बन रहा है।
(10) खेद — किसी भूलवश हुई त्रुटि की मानसिक अनुभूति दुख खेद कहलाता है।
उदाहरण – मुझे खेद है कि मैं आपके घर न आ सका।
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