
इकाई, दहाई से लेकर शंख, दशशंख और ब्रह्मसंख्या (अनंत) तक की प्राचीन भारतीय गणना प्रणाली: विशाल संख्याओं की विलक्षण अवधारणा
भारतीय परंपरागत संख्या पद्धति
1. इकाई (Ikai) Unit = 1
2. दहाई (Dahai) Ten = 10
3. सैकड़ा (Saikda) Hundred = 100
4. हजार (Hazar) Thousand = 1000
5. दस हजार (Dash Hajar) Ten Thousand = 10000
6. लाख (Lakh) Hundred Thousand = 100000
7. दस लाख (Dash Lakh) Million = 1000000
8. करोड़ (Crore) Ten Million = 10000000
9. दस करोड़ (Dash Crore) Hundred Million = 100000000
10. अरब (Arab) Billion = 1000000000
11. दस अरब (Dash Arab) Ten Billion = 10000000000
12. खरब (Kharab) Trillion = 100000000000
13. दस खरब (Dash Kharab) Ten Trillion = 1000000000000
14. नील (Neel) Quadrillion = 10000000000000
15. दस नील (Dash Neel) Ten Quadrillion = 100000000000000
16. पद्म (Padma) Quintillion = 1000000000000000
17. दस पद्म (Dash Padma) Ten Quintillion = 10000000000000000
18. शंख (Shankh) Sextillion = 100000000000000000
19. दस शंख (Dash Shankh) Ten Sextillion = 1000000000000000000
20. महाशंख (Mahashankh) Septillion = 10000000000000000000
21. अन्त्य (Antya) Ten Septillion = 100000000000000000000
22. मध्य (Madhya) Octillion = 1000000000000000000000
23. परार्ध (Parardh) Ten Octillion = 10000000000000000000000
24. तल (Tal) Nonillion = 100000000000000000000000
25. वृंद (Vrind) Ten Nonillion = 1000000000000000000000000
26. महापद्म (Mahapadma) Decillion = 10000000000000000000000000
27. खर्व (Kharva) Ten Decillion = 100000000000000000000000000
28. निखर्व (Nikherva) Undecillion = 1000000000000000000000000000
29. महाखर्व (Mahakharva) Ten Undecillion = 10000000000000000000000000000
30. समुद्र (Samudra) Duodecillion = 100000000000000000000000000000
31. ओघ (Ogha) Ten Duodecillion = 1000000000000000000000000000000
32. महाओघ (Mahaogha) Tredecillion = 10000000000000000000000000000000
33. संख्यता (Sankhyata) Ten Tredecillion = 100000000000000000000000000000000
34. महासंख्यता (Mahasankhyata) Quattuordecillion = 1000000000000000000000000000000000
35. गणित (Ganit) Ten Quattuordecillion = 10000000000000000000000000000000000
36. महागणित (Mahaganit) Quindecillion = 100000000000000000000000000000000000
37. विभूति (Vibhuti) Ten Quindecillion = 1000000000000000000000000000000000000
38. महाविभूति (Mahavibhuti) Sexdecillion = 10000000000000000000000000000000000000
39. ध्रुव (Dhruv) Ten Sexdecillion = 100000000000000000000000000000000000000
40. महाध्रुव (Mahadhruv) Septendecillion = 1000000000000000000000000000000000000000
41. असंख्येय (Asankhyeya) Ten Septendecillion = 10000000000000000000000000000000000000000
42. पद्मासंख्येय (Padmasankhyeya) Octodecillion = 100000000000000000000000000000000000000000
43. कोटि असंख्येय (Koti Asankhyeya) Ten Octodecillion = 1000000000000000000000000000000000000000000
44. कोटि कोटि (Koti Koti) Novemdecillion = 10000000000000000000000000000000000000000000
45. पुण्डरीक (Pundarik) Ten Novemdecillion = 100000000000000000000000000000000000000000000
46. पद्मगर्भ (Padmagarbha) Vigintillion = 1000000000000000000000000000000000000000000000
47. सहस्र असंख्येय (Sahasra Asankhyeya) Ten Vigintillion = 10000000000000000000000000000000000000000000000
48. आदित्यसंख्या (Adityasankhya) Aditya Number = 100000000000000000000000000000000000000000000000 (Countless like the suns.)
49. अनन्त (Anant) Infinite = ∞ (Infinity or immeasurable.)
50. अव्यय (Avyaya) Eternal / Immutable = ∞ (Eternal, never diminishing.)
51. लोकधातु (Lokdhatu) Universe System = ∞ (Countless universes) (Buddhist cosmology).
52. ब्रह्मसंख्या (Brahmasankhya) Brahma Number = ∞ (Immeasurable, infinite, cosmic count.)
उक्त गणना पद्धति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
भारतीय संख्या प्रणाली की शुद्धता और परंपरा
भारतीय संस्कृति में संख्याओं का महत्व केवल गणितीय नहीं, बल्कि आध्यात्मिक, पौराणिक, ज्योतिषीय और दार्शनिक दृष्टिकोण से भी है। संख्याओं की गणना इकाई से लेकर अनंत तक की गई है। इसे तीन श्रेणियों में समझा जा सकता है―
1. सामान्य दैनिक उपयोग की संख्याएँ (1 से 13 तक)
यह वे संख्याएँ हैं जो आज भी भारत में सरकारी, शैक्षणिक और दैनिक जीवन में उपयोग होती हैं―
संख्या → उपयोग
1-9 (एक से नौ) → बुनियादी इकाइयाँ
10 (दस) → दशमलव प्रणाली का आधार
100 (सौ) → दशमलव से सौ की इकाई
1,000 (हजार) → सामान्य बड़े माप
1,00,000 (लाख) → भारतीय सांख्यिकी प्रणाली
1,00,00,000 (करोड़) → उच्च गणनाएँ (आर्थिक-प्रशासनिक)
1,00,00,00,000 (अरब) → अरब स्तर की गणना
1,00,00,00,00,000 (खरब) → और भी ऊँची आर्थिक
इस तरह क्रमांक 1 से 13 तक की संख्याएँ (इकाई से खरब) तक आज भी भारत की सामान्य आर्थिक व प्रशासनिक भाषा में उपयोग होती हैं — ये पूरी तरह मान्य व स्पष्ट हैं।
टीप― (i). बिलियन, ट्रिलियन जैसे शब्द पश्चिमी प्रणाली में आते हैं और इनके उपयोग के साथ भारतीय संख्याओं को मिलाने में संदर्भ स्पष्ट करना ज़रूरी होता है। कुछ अत्यधिक विशाल संख्याओं (जैसे पद्मगर्भ, ब्रह्मसंख्या) के पीछे की व्याख्या ग्रंथ-आधारित है और मानकीकरण नहीं है।
(ii) ये सभी संख्याएँ भारतीय स्थान मूल्य प्रणाली (Place Value System) पर आधारित हैं, जिसमें संख्याएँ दाएँ से बाएँ तक क्रमशः इकाई, दहाई, सैकड़ा, हजार, लाख, करोड़, अरब, खरब... के रूप में बढ़ती हैं।
2. पौराणिक एवं शास्त्रीय संख्याएँ (नील से लेकर शंख, महाशंख आदि तक)
(i) भारतीय गणितज्ञोंऔर शास्त्रों ने करोड़ और खरब से भी बहुत आगे की संख्याओं की कल्पना की है। उदाहरण―
नील (Neel) = 10¹³
पद्म (Padma) = 10¹⁴
शंख (Shankh) = 10¹⁵
(ii) महाशंख, शंखगर्भ, पद्मगर्भ आदि क्रमशः बढ़ती गई संख्याएँ हैं, जो दशगुणा अनुपात में आगे बढ़ती हैं।
(iii)इन संख्याओं का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों जैसे:
"ब्रह्मस्फुट सिद्धांत" (भास्कराचार्य)
"लीलावती" (भास्कराचार्य)
"व्यास संहिता", "महाभारत", "वेदांग ज्योतिष" आदि में होता है।
(iv) इन संख्याओं का उद्देश्य लौकिक या भौतिक प्रयोग के बजाय ब्रह्मांड की कल्पनाओं, युगों की गणना और परम तत्व की अनंतता को दर्शाना।
टीप― इस तरह क्रमांक 14 से आगे (नील, पद्म, शंख...) तक की संख्याएँ पौराणिक, धार्मिक, दार्शनिक या संस्कृत ग्रंथों में मिलती हैं। इनका आधुनिक वैज्ञानिक या व्यावसायिक उपयोग नहीं होता, लेकिन वे ज्ञानवर्धक होती हैं।
3. दार्शनिक व आध्यात्मिक संख्याएँ (49 से 52 तक)
(i) क्रमांक 49 में वर्णित संख्या अनन्त (Anant) – Infinite संख्या का कोई अन्त नहीं होता, अनन्त परमात्मा, ब्रह्म, आत्मा की अनंतता को दर्शाने के लिए।
(ii) क्रमांक 50 में वर्णित संख्या अव्यय (Avyay) – Immutable / Undecaying यह संख्या नहीं, बल्कि स्थायित्व और परिवर्तनशीलता से परे अस्तित्व का सूचक है।
(iii) क्रमांक 51 में वर्णित संख्या लोकधातु (Lokdhatu) – The Elements of the Universe सभी लोकों और तत्त्वों का संयुक्त, जिसका कोई सीमित मान नहीं है।
(iv) क्रमांक 52 में वर्णित संख्या ब्रह्मसंख्या (Brahma Sankhya) – Number of the Creator / Cosmic Totality यह अवधारणा ब्रह्मा की आयु (100 ब्रह्म वर्षों = 311 ट्रिलियन वर्ष) आदि से जुड़ी होती है।
(v) ये संख्याएँ मापनीय नहीं होतीं, ये अधिकतर उपमाओं और रूपकों में प्रयुक्त होती हैं।
टीप― इस तरह क्रमांक 49 से 52 (अनन्त, अव्यय, लोकधातु, ब्रह्मसंख्या) गणनात्मक नहीं बल्कि दार्शनिक-आध्यात्मिक अवधारणाएँ हैं। ये गणना के "अंत" या "असीम" स्वरूप को दर्शाती हैं।
काल गणना (Time Calculation)
1. त्रुटि = 1/33750 सेकंड (अति सूक्ष्म समय इकाई)
2. निमेष = 16 त्रुटियाँ (पलक झपकने का समय)
3. पल, घड़ी, मुहूर्त, दिवस, पक्ष, मास, युग, कल्प = बढ़ती इकाइयाँ हैं इनका उपयोग ब्रह्मा के दिन, रात्रि, युग आदि की गणना में होता है।
टीप― 1. इस तरह पौराणिक ग्रंथों में और भी संख्यात्मक अवधारणाएँ आती हैं जैसे―
परार्ध (एक ब्रह्मा का दिन = 4.32 अरब वर्ष)
कल्प, युग, चतुर्युग, आदि — ये काल गणना की श्रेणी में आती हैं, न कि धन या मात्राओं की।
2. यह सूची भारतीय परंपरा, शास्त्रों और गणनात्मक परंपराओं पर आधारित है, और इसका उद्देश्य सांस्कृतिक ज्ञान का प्रसार है।
आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope the above information will be useful and important. )
Thank you.
R. F. Tembhre
(Teacher)
infosrf.com
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