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धुरेड़ी पर्व में इन बातों को करने से बचना चाहिए । आदर्श होली - धुरेड़ी कैसे मनाए?


धुरेड़ी पर्व में इन बातों को करने से बचना चाहिए । आदर्श होली - धुरेड़ी कैसे मनाए?

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इस लेख में आदर्श होली - धुरेड़ी कैसे मनाए? के साथ धुरेड़ी पर्व में इन बातों को करने से बचना चाहिए से संबंधित जानकारी दी गई है।

होली-धुरेड़ी रंगों का पर्व

रंगों का महापर्व होली का समाज के अन्य त्योहारों में विशेष महत्व है। होलिका दहन के दूसरे दिवस धुरेड़ी पर्व बड़े जोश एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है। रंगों का यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत, प्रेम, सौहार्द और हर्षोल्लास का प्रतीक है। इस दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल और रंग लगाकर अपनी खुशियों को एक दूसरे के साथ बाॅंटते हैं। भारतीय संस्कृति में होली-धुरेड़ी का विशेष महत्व है।

धुरेड़ी पर्व में हमें क्या नहीं करना चाहिए?

धुरेड़ी जो आनंद और उत्साह का पर्व है, किंतु सही तरीके से इसे मनाया जाना परमावश्यक है। इस त्योहार को पूर्ण मर्यादा, सौहार्द और सावधानी के साथ मनाया जाना चाहिए। यदि अमर्यादित तरीके से इसे मनायेंगे तो आनंद की बजाय परेशानी का कारण बन सकता है। तो किस तरह धुरेड़ी पर्व मनाया जाना चाहिए? कुछ महत्वपूर्ण सुझावात्मक महत्वपूर्ण बातों को यहां दिया गया है।

अ. हानिकारक रंगों से बचें

(i) प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग करें— प्रकृति में ऐसे बहुत सारे पेड़ पौधे हैं जिनका रंग धोरण में प्रयोग किया जाना चाहिए जैसे - हल्दी, टेसू के फूल, गुलाब की पंखुड़ियों से बने प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करना चाहिए।

(ii) रासायनिक रंगों का प्रयोग नहीं करें— ऐसे रंग जिनमें केमिकल्स का प्रयोग किया गया है जो त्वचा और आँखों के लिए हानिकारक हो उनका प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए।

(iii) गहरे और स्थायी रंगों का प्रयोग न करें— ऐसी रंगो का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए जो त्वचा पर अधिक समय तक टिके रहते हैं। ऐसे रंग त्वचा पर जलन एवं हानिकारक प्रभाव डाल सकते हैं।

आ. जबरदस्ती किसी को भी रंग न लगाइए

(i) दूसरों की इच्छा का सम्मान करें— यदि किसी व्यक्ति की इच्छा रंग लगाने की नहीं है तो रंग लगाने की जबरदस्ती नहीं करना चाहिए। ऐसे व्यक्तियों की इच्छा का सम्मान करना चाहिए।

(ii) महिलाओं के समक्ष मर्यादा से पेश आयें— महिलाओं के साथ जबरदस्ती रंग लगाने, छेड़खानी या अनुचित व्यवहार करना पूर्ण रूप से अनुचित होता है, उनके सम्मान का ध्यान रखना चाहिए।

(iii) बुजुर्गों और बच्चों का ध्यान— हमें ज्ञात होना चाहिए कि बच्चों और बुजुर्गों की त्वचा संवेदनशील होती है, अतः उनके साथ सतर्कता के साथ कोमलता के साथ व्यवहार करना चाहिए।

इ. मद्य पेयों से दूरी बनायें रखें

(i) नशीले पदार्थों से दूर रहें— होली-धुरेड़ी के बहाने शराब पीना या अन्य मादक पदार्थों का सेवन करना समाज में गलत संदेश जाता है। अतः ऐसे नशीले पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए।

(ii) समाज में अशांति फैलाने से बचे— कुछ लोग नशा करने के बाद झगड़ा या अभद्र व्यवहार करने लगते हैं जिससे होली का आनंद खत्म हो सकता है। अतः नशा करके हुड़दंग नहीं करना चाहिए।

(iii) धुत होकर गाड़ी नहीं चलाएँ— होली के दिन शराब, भांग , गांजा आदि का सेवन करके किसी भी वाहन को चलाने से दुर्घटनाएँ हो सकती हैं। अतः नशा करने के पश्चात गाड़ी बिल्कुल नहीं चलना चाहिए।

ई. पानी की बर्बादी करने से बचें

कहते हैं कि जल ही जीवन है तो इस पर्व पर जल की बर्बादी नहीं करना चाहिए इसके लिए निम्न बातों का ध्यान रखें—

(i) सूखी होली की परम्परा की शुरुआत करें— पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों की दृष्टि से सूखी होली खेलना सर्वोत्कृष्ट होगा। अतः सूखी होली खेलने की परंपरा की शुरूआत हमसे ही होनी चाहिए।

(ii) जल संकट को समझना परमावश्यक— हम आए दिन समाचार पत्रों में पढ़ते हैं या दूरदर्शन के समाचारों को सुनते हैं कि कई क्षेत्रों में पानी की कमी हो गई है, इसलिए पानी को बचाते हुए इसकी बर्बादी न करें।

(iii) अत्यधिक पानी का प्रयोग नहीं करना चाहिए— होली खेलते समय जल बचाने का उत्तरदायित्व हम सबका है। अनावश्यक रूप से पानी नहीं बहाना चाहिए।

उ. पशु पक्षियों को परेशान नहीं करना चाहिए

अक्सर देखने में आता है की होली के दिन कुछ लोग मजे के लिए कुछ जानवरों को उल्टी-पुल्टी हरकतें करते हुए परेशान करते हैं। उन्हें परेशान नहीं करना चाहिए और निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।

(i) पक्षियों और अन्य जीवों का ध्यान रखना चाहिए— यह देखने में आता है की होली के दौरान लोग तेज आवाज और से शोरगुल करते हैं। ऐसी तेज आवाज एवं शोरगुल से उन्हें परेशानी हो सकती है। अतः मानवता का ध्यान रखते हुए पशु पक्षियों का भी ध्यान रखना चाहिए।

(ii) पालतू पशुओं पर रंग नहीं डालना चाहिए— कुछ केमिकल युक्त रंग पशुओं की त्वचा और आँखों के लिए हानिकारक होते हैं। इसलिए ध्यान रखें कि पशुओं पर किसी प्रकार का भी रंग न डालें।

ऊ. दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना

(i) शोर-शराबा पर नियंत्रण रखना— मौज करने के लिए कुछ लोग डीजे बाजे के द्वारा बहुत अधिक और सराभा मचाते हैं। ऐसे बहुत तेज़ संगीत बजाने से बीमार, बुजुर्गों और छोटे बच्चों को परेशानी हो सकती है। अतः शोर-शराबा पर नियंत्रण रखना आवश्यक है।

(ii) जबरन होली नहीं खेलें — जैसा कि हम जानते हैं हमारा देश विभिन्न धर्मावलंबियों का देश है अतः कुछ लोग धार्मिक या व्यक्तिगत कारणों से होली नहीं खेलते, उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।

(iii) अभद्र भाषा का प्रयोग से बचना— होली को केवल मजा लेने का मानना ही हमारी भूल होगी होली तो भाईचारे और सौहार्द्र का पर्व है इस दिन गाली-गलौच या दुर्व्यवहार से बचना चाहिए।

ए. परिवेश में गंदगी नहीं फैलाना चाहिए

(i) साफ-सफाई का ध्यान रखना— होली खेलने के दरमियान एवं बाद रंग और कचरा इधर-उधर नहीं फेंकना चाहिए।

(ii) सार्वजनिक संपत्ति को हानि नहीं पहुँचाना— सार्वजनिक संपत्ति एवं इमारत में हमारी ही होती हैं अत इनकी दीवारों या सड़कों और प्रांगण को रंगों से खराब नहीं करना चाहिए।

(iii) प्लास्टिक फुग्गों (बैलून्स) का उपयोग नहीं करना— जैसा कि हम जानते हैं प्लास्टिक से पर्यावरण को नुकसान होता है, इसलिए जल बचाने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए गुब्बारों के प्रयोग से बचना चाहिए।

अंत में निष्कर्षतः हम यही कहना चाहेंगे कि धुरेड़ी आनंद और उत्साह का पर्व है, लेकिन इसे मर्यादा और संयम के साथ मनाना चाहिए। दूसरों की भावनाओं, पर्यावरण और समाज का ध्यान रखते हुए होली मनाया जाना चाहिए जिससे यह पर्व सभी के लिए सुखद और यादगार बन सके।
जय हिन्द। जय श्रीराम।

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आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope the above information will be useful and important. )
Thank you.
R. F. Tembhre
(Teacher)
infosrf.com

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