काव्य के भेद- श्रव्य काव्य, दृश्य काव्य, प्रबंध काव्य, मुक्तक काव्य, पाठ्य मुक्तक, गेय मुक्तक, नाटक, एकांकी || kavy ke prakar
काव्य किसे कहते हैं?
“रमणीयार्थं प्रतिपादकः शब्दः काव्यम्" अर्थात् रमणीय अर्थ का प्रतिपादन करने वाले शब्द को काव्य कहते हैं।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार– "जो उक्ति हृदय में कोई भाव जाग्रत कर दे या उसे प्रस्तुत वस्तु या दृश्य की मार्मिक भावना में लीन कर दे, उसे काव्य कहते हैं।"
काव्य के भेद–
काव्य के भेद निम्नलिखित हैं-
(1) श्रव्य काव्य
(2) दृश्य काव्य
(1) श्रव्य काव्य– जिस रचना का रसास्वादन सुनकर या पढ़कर किया जा सके, उसे 'श्रव्य काव्य' कहते हैं।
जैसे– गोस्वामी तुलसीदास रचित 'रामचरित मानस'।
(2) दृश्य काव्य– जिस रचना का रसास्वादन देखकर, सुनकर या पढ़कर किया जा सके, उसे 'दृश्य काव्य' कहते हैं।
जैसे – जयशंकर प्रसाद लिखित 'स्कंदगुप्त' नाटक।
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6. रस के अंग – स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव, संचारी भाव
7. रसों का वर्णन - वीर, भयानक, अद्भुत, शांत, करुण
श्रव्य काव्य के भेद–
श्रव्य काव्य के दो भेद होते हैं –
(i) प्रबंध काव्य।
(ii) मुक्तक काव्य।
(i) प्रबंध काव्य – प्रबंध काव्य के छंद एक कथा के धागे में माला की तरह गुँथे होते हैं, अर्थात् जो रचना कथा-सूत्रों या छंदों की तारतम्यता में अच्छी तरह निबद्ध हो उसे प्रबंध काव्य कहते हैं।
जैसे- साकेत, रामचरित मानस
(ii) मुक्तक काव्य – मुक्तक काव्य ऐसी रचना को कहते हैं जिसमें कथा नहीं होती तथा जिसके छंद अर्थ की दृष्टि से पूर्वापर से मुक्त होते हैं।
मुक्तक काव्य में किसी एक अनुभूति, भाव या कल्पना का चित्रण किया जाता है। इसमें प्रत्येक पद स्वतंत्र एवं अपने आप में पूर्ण होता है।
जैसे- मधुशाला, बिहारी सतसई।
मुक्तक काव्य का निम्न उदाहरण देखिये–
रुखी री यह डाल
वसन बासंती लेगी।
देख खड़ी करती तप अपलक,
हीरक-सी-समीर-माला जप,
शैलसुता 'अपर्ण-अशना'
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मुक्तक काव्य के प्रकार–
मुक्तक काव्य दो प्रकार के होते हैं।
(अ) पाठ्य मुक्तक
(ब) गेय मुक्तक।
(अ) पाठ्य मुक्तक- जिस पद्य या पद्यांश में गद्यात्मक होती है तथा संगीतात्मकता का अभाव हो। इस प्रकार के पद्यांश अतुकांत अथवा मुक्त छन्द कहलाते हैं।
उदाहरण–
हम नदी के द्वीप हैं।
हम नहीं कहते कि हमको छोड़कर स्रोतस्विनी यह जाए,
वह हमें आकार देती है।
उक्त पद्यांश गद्यात्मक है जिसमें संगीतात्मकता का अभाव है और अतुकांत है अतः यह मुक्त छन्द है।
कबीर, तुलसी, वृंद, रहीम आदि कवियों के भक्ति और नीति विषयक दोहे पाठ्य मुक्तक के अंतर्गत आते हैं।
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(ब) गेय मुक्तक– जो पद्यांश लययुक्त हो तथा जिसमें संगीतात्मकता हो गेय मुक्तक कहलाते हैं। गेय मुक्तक में भावों की प्रधानता रहती है।
उदाहरण–
उसकी देहरी पर अपना माथा टेककर,
हम उन्नत होते हैं उसको देखकर,
ऋतुओं! उसको नित नूतन परिधान दो,
झुलस रही है धरती, सावन दान दो।
उक्त पद्यांश लययुक्त है; उसमें संगीतात्मकता है अतः वह गेय पद है। सूर, तुलसी, मीरा, प्रसाद, महादेवी आदि के गीत गेय मुक्तक हैं।
दृश्य काव्य के भेद–
दृश्य काव्य के दो भेद होते हैं–
(i) नाटक
(ii) एकांकी
(i) नाटक - इसमें अभिनय तत्व की प्रधानता रहती है। इसमें मानवीय जीवन के क्रियाशील कार्यों का अनुकरण होता है। इसमें कई अंक होते हैं।
(ii) एकांकी – एकांकी एक अंक वाला दृश्य काव्य है। यह एक ऐसी रचना है जिसमें मानव जीवन पक्ष, एक चरित्र, एक समस्या और एक भाव की अभिव्यक्ति होती है।
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R F Temre
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R F Temre
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(संबंधित जानकारी के लिए नीचे दिये गए विडियो को देखें।)
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