निर्वाचन के दौरान मतदान अधिकारियों के समक्ष उत्पन्न विशेष परिस्थितियाँ एवं उनका समाधान कैसे करें?
(A) त्रुटिपूर्ण EVM एवं VVPAT― CU, BU एवं VVPAT त्रुटिपूर्ण (दोषपूर्ण) हो सकते हैं इस हेतु सुधारात्मक कदम की आवश्यकता है। निम्न कदम उठाए जाने चाहिए―
(1) यदि CU, BU एवं VVPAT ठीक से काम नहीं करते हैं तो CU, BU एवं VVPAT के सम्पूर्ण सेट को प्रतिस्थापित (बदलना) चाहिए। मॉक पोल की सभी प्रक्रिया का पालन करते हुए नोटा सहित प्रत्येक अभ्यर्थी के लिए 01 वोट डालकर मॉक पोल करना चाहिए।
(B) पेपर पर्चियों में त्रुटिपूर्ण मुद्रण― यदि मतदाता BU के बटन को दबाता है और दबाने के पश्चात VVPAT पेपर पर्ची पर त्रुटिपूर्ण मुद्रण (प्रिंट) की दशा के में शिकायत करता है तब निम्न कार्यवाही करना चाहिए।
(1) नियम 49 MA ऐसे मामलों में प्रतिक्रिया का प्रावधान उपलब्ध कराता है।
(2) निर्वाचक से लिखित हस्ताक्षरित घोषणा लेना चाहिए।
(3) पीठासीन अधिकारी को ऐसे मतदाता (निर्वाचक) से संबंधित द्वितीय प्रविष्टि प्ररूप 17A में करवाना चाहिए।
(4) पीठासीन अधिकारी निर्वाचक को मतदान अभिकर्ताओं की उपस्थिति में परीक्षण मत का रिकार्ड करने की अनुमति देना चाहिए तथा पेपर पर्ची का अवलोकन करना चाहिए।
(5) यदि आरोप सही पाया जाता है, तो मतदान रोक देना चाहिए तथा आरओ को सूचित करना चाहिए।
(6) यदि आरोप गलत पाया जाता है, तो प्रारूप 17A में उस अभ्यर्थी का क्रम संख्या व नाम उल्लेख करना चाहिए जिसके लिए परीक्षण मत रिकार्ड किया गया है।
(7) रिमार्क पर निर्वाचक के हस्ताक्षर / अंगूठों का निशान प्राप्त करना चाहिए।
(8) ऐसे परीक्षण मत की प्रविष्टि फार्म 17C के भाग-1 में करना चाहिए।
(C) ASD (Absentee/Sifted/Dead) सूची के मतदाता― क्षेत्रीय जानकारी के आधार पर ERO या RO द्वारा अनुपस्थित विस्थापित व मृत मतदाताओं की सूची बनाई जाती है। इस संबंध में निम्न गतिविधि की जानी चाहिए―
(1) मतदाता को EPIC अथवा अनुमत फोटो दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहना चाहिए एवं पीठासीन अधिकारी को इसका व्यक्तिगत रूप से सत्यापन करना चाहिए।
(2) मतदाता पंजी (फॉर्म 17A) में हस्ताक्षर के साथ अंगूठे का निशान लेना चाहिए।
(3) पीठासीन अधिकारी ASD लिस्ट में से मतदान की अनुमति पाने वाले मतदाताओं का एक रिकार्ड रखना चाहिए तथा मतदान समाप्ति के उपरांत इसका एक प्रमाण पत्र देना चाहिए।
(D) अनधिकृत पहचान पर्ची वाले मतदाता― चुनाव लड़ने वाले अभ्यर्थी अथवा मतदान अभिकर्ता को अनधिकृत पहचान पर्ची दे सकते हैं। ऐसी स्थिति में निम्न करवाही संपादित करना चाहिए―
(1) यदि अनधिकृत पहचान पर्ची में किसी अभ्यर्थी का नाम, पार्टी का नाम, पार्टी का प्रतीक चिन्ह हो तो संबंधित मतदान अभिकर्ता को ऐसे मतदान नियमों के उल्लंघन न करने के लिए कहा जाना चाहिए।
(2) निरक्षर मतदाता की स्थिति में PO-1 अधिकारी को मतदाता का क्रम संख्या पढ़कर सुनाना चाहिए एवं उससे उसका नाम पूछना चाहिए ताकि उसकी वास्तविकता सुनिश्चित की जा सके।
(3) पररूपधारक की स्थिति में ऐसे मतदाता को पुलिस को सौंप देना चाहिए।
(4) यदि कोई अनधिकृत महिला निर्वाचक विशेषकर परदा-नशीन (बुर्काधारी) होने की स्थिति में उपरोक्त में कर्तव्यों का निर्वहन महिला मतदान अधिकारी के द्वारा एक पृथक कक्ष (इनक्लोजर) में करना चाहिए।
(E) चैलेंज वोट― मतदान अभिकर्ता पीठासीन अधिकारी के पास दो रूपये की राशि जमा करके किसी व्यक्ति की पहचान को चुनौती दे सकता हैं। यदि ऐसी स्थिति का निर्माण हो तो निम्न कर्तव्यों का निर्वाह करना चाहिए―
(1) पीठासीन अधिकारी चुनौती की संक्षिप्त जाँच आयोजित करना चाहिए।
(2) यदि चुनौती सिद्ध नहीं होती है तो निर्वाचक को मतदान देने के लिए अनुमति दी जानी चाहिए अर्थात मतदान की सामान्य प्रक्रिया का पालन करवाते हुए निर्वाचन को मतदान प्रक्रिया में भाग लेने देना चाहिए।
(3) चुनौती स्थापित हो जाए तो उस स्थिति में व्यक्ति को वोट देने से वंचित किया जाना चाहिए और लिखित शिकायत के साथ उस निर्वाचक पुलिस के सुपुर्द कर देना चाहिए।
(F) मतदाता की आयु संबंधी घोषणा― यदि पीठासीन अधिकारी को किसी व्यक्ती की आयु निर्धारित आयु से काफी कम लगे तो निम्न कार्रवाहियों का पालन करना चाहिए―
(1) निर्वाचक पहचान हेतु स्वयं संतुष्ट हो जाना चाहिए।
(2) निर्वाचक नामावली के संदर्भ वर्ष के प्रथम जनवरी / प्रथम अप्रैल / प्रथम जुलाई / प्रथम अक्टूबर को आयु के बारे में घोषणा उचित प्रारूप पर ले लिया जाना चाहिए एवं उसे दण्ड प्रावधान के बारे में सूचित करना चाहिए।
(3) उन मतदाताओं की एक सूची तैयार करना चाहिए जिसमें पीठासीन ने कम उम्र के मतदाताओं से संबंधित सूची के अनुबंध के भाग I तथा भाग II में ऐसी घोषणाएँ प्राप्त की है।
(G) मत न देने का विनिश्चिय करने वाले मतदाता― मतदाता रजिस्टर (फार्म 17A) में विवरण दर्ज होने के पश्चात् अपना हस्ताक्षर करने / अंगूठे का निशान लगाने के बाद यदि मत नहीं देने का विनिश्चिय करता है तो उसे मत देने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। उसके लिए निम्न कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए―
(1) PO-2 को मतदाता पंजी में "मत देने से इंकार" यह रिमार्क लिखना चाहिए तथा पीठासीन अधिकारी को रिमार्क के नीचे हस्ताक्षर करना चाहिए।
(2) फार्म 17 C के भाग-1 में नियम 49-0 के आईटम 3 के अंतर्गत दिए गए "मतदान किए बिना चले गए" या मत देने से इंकार लिखना चाहिए।
(3) यदि CU पर बैलेट बटन दबाया जाता है, तो अगला मतदाता को सीधे वोट डालने के लिए निर्देशित कना चाहिए।
(H) निविदत्त मत― ऐसा संभव है कि एक व्यक्ति मतदान केन्द्र पर उपस्थित होता है और स्वयं को विशेष मतदाता बताते हुए मतदान करना चाहता है और यह पाया जाता है कि ऐसे मतदाता के रूप में कोई अन्य व्यक्ति पहले ही मतदान कर चुका है तो निम्न क्रियाकलापों का निर्वहन करना चाहिए―
(1) ऐसे व्यक्ति के पहचान से संतुष्ट हो जाना चाहिए।
(2) संतुष्ट होने के उपरांत ऐसे व्यक्ति को निविदत्त मतपत्र के द्वारा मतदान करने के लिए अनुमति देना चाहिए। ऐसे निर्वाचक को EVM के द्वारा मतदान की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
(3) निविदत्त मतपत्रों का लेखा रखना चाहिए।
(4) फार्म 17 B में ऐसे निर्वाचकों के रिकार्ड रखना चाहिए।
जानकारी का स्रोत― विधानसभा निर्वाचन प्रशिक्षण हेतु जारी पीपीटी एवं अभिलेख।
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पीठासीन अधिकारी के दायित्व।
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