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संयुक्त व्यन्जन किसे कहते हैं || संयुक्त व्यन्जनों की पहचान || संयुक्त व्यन्जनों से युक्त शब्दों की सूची || Sanyukt Vyanjan

हिन्दी वर्णमाला के वे वर्ण जिनमें दो व्यन्जन वर्णों का उच्चारण एक साथ किया जाता है अर्थात दो व्यन्जन वर्ण पास-पास में प्रयुक्त होते हैं, जिनके मध्य कोई स्वर वर्ण या ध्वनि का प्रयोग नहीं होता है तो ऐसे वर्णों को संयुक्त व्यन्जन वर्ण कहते हैं।
हिन्दी वर्णमाला में 'क्ष', 'ज्ञ', 'त्र', 'श्र' संयुक्त वर्ण कहलाते हैं। वर्णमाला में आए इन चारों संयुक्त वर्णों के अलावा जब शब्दों में कोई दो व्यन्जन वर्ण पास-पास में प्रयुक्त होकर उच्चारित किए जाते हैं तो वे भी संयुक्त व्यन्जनों की श्रेणी में आते हैं।
जैसे - त्वचा, स्थान, प्रश्न, नम्र, सूर्य आदि।
उक्त शब्दों में त्+व, स्+थ, प्+र, म्+र, र्+य संयुक्त व्यन्जन हैं क्योंकि दोनों व्यन्जन एक साथ पास-पास में आए हैं और इनके मध्य में कोई भी स्वर वर्ण नहीं है।

संयुक्त व्यंजनों की पहिचान

संयुक्त व्यंजनों की निम्नलिखित पहचान है।
1. दो व्यन्जन वर्ण पास-पास प्रयुक्त होते हैं।
2. दोनों व्यन्जन वर्णों के मध्य कोई स्वर वर्ण नहीं होता है।
3. पास-पास में आए व्यन्जन वर्णों में पहला व्यन्जन वर्ण आधा एवं दूसरा व्यन्जन वर्ण पूरा होता है। किन्तु कुछ ऐसे भी वर्ण है जहाँ दोनों व्यन्जन वर्ण आधे होते हैं जैसे - उज्ज्वल।

'य' वर्ण से संयुक्त सर्वाधिक संयुक्त व्यन्जन वर्ण - हिन्दी भाषा में ऐसे शब्दों की संख्या ज्यादा होती है, जिसमें 'य' के साथ कोई अन्य व्यन्जन वर्ण संयुक्त होकर संयुक्त व्यन्जन का निर्माण करते हैं। नीचे शब्दों की सूची दी गई है।

१. संयुक्त व्यन्जनों में 'य' दूसरा व्यन्जन है -
अंत्याक्षरी
आर्य
उद्देश्य
उपलक्ष्य
कार्य
काव्य
कृत्य
ख्याति
संस्कृत
क्षम्य
ग्राह्य
चर्या
ज्योति
ज्योतिष
तालव्य
त्याज्य
दृश्य
द्रव्य
दैत्य
धान्य
धैर्य
ध्यान
न्याय
नासिक्य
प्राप्य
पुण्य
मौर्य
मान्य
राज्य
व्यतीत
व्यापार
श्याम
शौर्य
स्वास्थ्य
हास्य
क्या
क्यारी
क्यों
ग्यारह
ज्यादा
ज्यों
प्यारा
प्यास
त्यौहार
म्यान।

२. संयुक्त व्यन्जनों में 'र' पहला और दूसरा दोनों व्यन्जन हो सकते हैं-
पहले व्यन्जन (अर्द्ध व्यन्जन) के रूप में उदाहरण -
आदर्श, असमर्थ, आशीर्वाद, आचार्य, कार्य, दुर्गति, दुर्दशा, पूर्ण, मर्यादा, मूर्ख, स्वर्ग, तर्क, वर्ग, मुर्गी, दीर्घ, चर्चा, कर्तव्य, निर्धन।

दूसरे व्यन्जन के रूप में उदाहरण - उग्र, क्रम, क्रिया, क्रोध, ग्रन्थ, ग्राम, ग्रहण, चक्र, चन्द्र, ट्राम, ड्रामा, त्रास, दरिद्र, द्रोह, नम्र, नेत्र, प्रसाद, प्रेम, प्रणाम, प्रेरणा, भ्रम, सहस्र, स्रोत, ह्रस्व।

टीप - शब्द जैसे- नरक, परन्तु, परमाणु, परीक्षा, परमात्मा, स्मरण में 'र' संयुक्त नहीं है, पूर्णतः अलग है।

३. 'ल' और 'व' के संयोगयुक्त व्यन्जन वर्णों के उदाहरण - अल्प, उल्का, तुल्य, मूल्य, बिल्व, वल्कल, शिल्प, शुल्क; तथा क्लेश, ग्लानि, म्लेच्छ, श्लोक, शुक्ल। ज्वर, ज्वाला, क्वार्टर, ग्वाला, त्वचा, द्वारा, द्वन्द्व, द्वीप, द्वेष, ध्वंस, विश्व, विह्वल, श्वेत, स्वभाव; तथा काव्य, तीव्र, व्यक्ति, व्याकुल, व्यवहार, व्यापार, व्यवस्था।

४. 'क्ष' संयुक्त व्यन्जन युक्त शब्द - 'क्ष' संयुक्त व्यन्जन क्+ष का संयोग से बना है और इसका उच्चारण भी यही (क्+ष) है न कि 'छ'। 'क्ष' केवल संस्कृत भाषा के शब्दों में आता है। जो कि तत्सम व तद्भव शब्दों के रुप में हिन्दी भाषा में प्रयुक्त होते हैं।
उदाहरण - क्षण, क्षति, क्षत्रिय, क्षमा, क्षीण, क्षेत्र, अक्षय, क्षोभ, कक्ष, कक्षा, दीक्षा, तीक्ष्ण, दुभिक्ष, नक्षत्र, प्रतीक्षा, प्रत्यक्ष, भिक्षा, पक्ष, विपक्ष, वृक्ष, वक्ष रक्षा, शिक्षा, समीक्षा, साक्षी।

५. 'ज्ञ' संयुक्त व्यन्जन युक्त शब्द - 'ज्ञ' व्यन्जन ज्+ञ से संयुक्त होकर बना है। 'ज्ञ' को कई तरह से उच्चारित करते हैं। जैसे उत्तरी भारत में 'ग्यँ' उच्चारण होता है। इसका प्रयोग संस्कृत भाषा में थोड़ा-बहुत ही प्रयोग होता है।संस्कृत के शब्दों में प्रयुक्त होता है।
'ज्ञ' युक्त व्यन्जन वर्ण - अभिज्ञ, अल्पज्ञ, आज्ञा, अज्ञान कृतज्ञ, जिज्ञासा, ज्ञान, यज्ञ, विज्ञान, संज्ञा।

६. 'ष्ट' और 'ष्ठ' युक्त शब्दों के उदाहरण-
'ष्ट' युक्त शब्द -
अभीष्ट, अष्टभुज, इष्ट, कष्ट, चेष्टा, तुष्ट, दुष्ट, दृष्ट, नष्ट, पुष्ट, भ्रष्ट, यथेष्ट, रुष्ट, शिष्ट, सृष्टि, स्पष्ट, हृष्टपुष्ट।
'ष्ठ' युक्त शब्द - अनुष्ठान, बोष्ठ, कनिष्ठ, गोष्ठी, ज्येष्ठ, घनिष्ठ, निष्ठा, प्रतिष्ठा, बलिष्ठ, वरिष्ठ, श्रेष्ठ।

७. अन्य संयोग के उदाहरण - आत्मा, अक्ल, आश्चर्य, आवश्यकता, आह्लाद, आह्वान, आस्तीन, इस्पात, इन्कार, ईस्वी, उद्भव, उच्छृङ्खल उद्घाटन, कृतघ्न्न, गृहस्थ, जन्म, त्रुटि, तात्पर्य, दोस्ती, निश्चय, पंक्ति, पत्नी, भक्त, श्मशान, स्थान, स्थूल राष्ट्र, ईर्ष्या, लक्ष्मी, स्त्री, सामर्थ्य, निष्क्रिय और ज्योत्स्ना में दो से अधिक व्यंजन जुड़े हुए हैं।

८. 'ङ', 'ञ', 'ष' और 'ह' को छोड़ सब अल्पप्राण व्यन्जनों का द्वित्व हो सकता है।
उदाहरण- पक्का, सुग्गा, कच्चा, सज्जी, गिट्टी, लड्डु, पत्ता, रद्दी, अक्षुण्ण पन्ना, गप्पी, धब्बा, अम्मा, तय्यार, बर्रे, बिल्ली, कव्वा, दुश्शासन, रस्सी।
महाप्राण व्यन्जनों के द्वित्व में पहला अल्पप्राण और दूसरा महाप्राण लिखा जाता है।
जैसे - मक्खन, बग्घी, अच्छा, झज्झर, पुट्ठा, बुड्ढा, मत्था, बुद्धि, आदि।
दो महाप्राण व्यन्जन संयुक्त नहीं हो सकते। असंयुक्त और संयुक्त (द्वित्व) व्यन्जन से अर्थभेद हो जाता है।
उदाहरण - पता - पत्ता, बली - बल्ली, कथा - कत्था।

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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
infosrf.com

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