विश्व का भूगोल - भूकंप एवं भूकम्पीय तरंगें || Geography of World - Earthquake and Seismic waves
भूकंप (Earthquake) - पृथ्वी के अंतर्जाल तथा बहिर्जाल बलों की वजह से ऊर्जा निष्कासित होती है। इस प्रक्रिया के कारण तरंगे उत्पन्न होती हैं। ये सभी अलग-अलग दिशाओं में फैलकर पृथ्वी पर कंपन उत्पन्न करती हैं। इसे ही 'भूकंप' की संज्ञा दी जाती है। व्यावहारिक भाषा में प्राकृतिक घटनाओं के कारण पृथ्वी के कंपन को ही भूकंप कहा जाता है। परंतु कभी-कभी मानवीय क्रियाओं के फलस्वरूप भी भूकंप उत्पन्न हो जाते हैं।उदाहरण- भूमिगत खानों की छतों के गिरने से भूकंप की उतपत्ति, परमाणु निरीक्षण द्वारा भूकंप की उत्पत्ति इत्यादि। भूकंप के 'उद्गम केंद्र' अथवा 'भूकंप मूल' से ऊर्जा तरंगे उत्पन्न होती हैं।
'अधिकेंद्र' पर भूकंप तरंगे सबसे पहले पहुँचती हैं। अधिकेंद्र उद्गम केंद्र के ठीक ऊपर अथवा 90 डिग्री के कोण पर अवस्थित होता है। पृथ्वी की सतह पर भूकंप के समान तीव्रता वाले बिंदुओं को मिलाने वाली रेखा को 'समभूकंपी रेखा' कहा जाता है। भूकंप के अध्ययन को 'सिस्मोलॉजी' कहा जाता है। भूकंप आने के पूर्व वायुमंडल में रेडाँन गैसों की मात्रा में वृद्धि होने लगती हैं। फलस्वरुप रेडाँन गैस की मात्रा में वृद्धि उस क्षेत्र में भूकंप आने के संकेत देता है।
Energy is expelled due to the internal and external forces of the earth. This process produces waves. All these propagate in different directions and produce vibrations on the earth. It is known as 'earthquake' . In practical language, the vibration of the earth due to natural phenomena is called earthquake. But sometimes earthquakes also occur as a result of human actions.
Example - Earthquake originated by falling roofs of underground mines, origin of earthquake by nuclear inspection etc. Energy waves are generated from the 'origin of earthquake' or 'earthquake origin' .
Earthquake waves arrive first on 'epicenter' . The epicenter is located just above the center of origin or at an angle of 90 degrees. A line joining points of magnitude similar to earthquakes on the Earth's surface is called 'isomorphic line' . The study of earthquakes is called 'seismology' . Before the earthquake, the amount of radon gases in the atmosphere begins to increase. As a result, an increase in the amount of red gas indicates an earthquake in that area.
भूकंपीय तरंगों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है (Seismic waves can be divided into two parts.) -
1.भूगर्भीय तरंगे(Geological waves)
2. धरातलीय तरंगे (Surface waves)
1. भूगर्भीय तरंगे (Geological waves)- इसके अंतर्गत P तरंगों एवं S तरंगों को शामिल किया गया है।
It includes P waves and S waves.
P तरंगे (P waves) - भूकंप की उत्पत्ति के पश्चात सबसे पहले P तरंगे उत्पन्न होती हैं। ये अपने उद्गम स्थल से चारों ओर गमन करती हैं। पृथ्वी सतह पर सर्वप्रथम P तरंगों का ही अनुभव किया जाता है। इन्हें 'प्राथमिक तरंगों' के नाम से भी जाना जाता है। ये ध्वनि तरंगों के समान ही अनुदैर्ध्य होती है। ये तरंगे ठोस, द्रव तथा गैस तीनों माध्यमों में गमन करती हैं। इन तरंगों का वेग ठोस, द्रव एवं गैस में क्रमशः कम होता जाता है। P तरंगों की गति सबसे तेज एवं तीव्रता सबसे कम होती है।
P waves first occur after the earthquake originates. They move around from their point of origin. P waves are first experienced on the Earth's surface. They are also known as 'primary waves' . They are longitudinally similar to sound waves. These waves move in solid, liquid and gas in all three mediums. The velocity of these waves decreases in solid, liquid and gas respectively. P waves have the fastest speed and the lowest intensity.
S तरंगे (S waves)- S तरंगे, L तरंगों के पश्चात पृथ्वी के धरातल पर पहुँचती हैं। इसी वजह से इन्हें 'द्वितीयक तरंगे' या 'गौण तरंगे' भी कहा जाता है। इन तरंगों की गति P से कम तथा L से अधिक होती है। इनकी तीव्रता P से अधिक एवं L से कम होती है। S तरंगे प्रकाश तरंगों के समान अनुप्रस्थ होती हैं। ये केवल ठोस माध्यम में ही गमन कर सकती हैं।
S waves reach the earth's surface after L waves. For this reason they are also called 'secondary waves' or 'secondary waves' . The speed of these waves is less than P and greater than L. Their intensity is greater than P and less than L. S waves are transverse like light waves. They can only move in solid medium.
2. धरातलीय तरंगें (Surface waves) - इसके अंतर्गत L तरंगों को शामिल किया गया है।(L waves are included in this.)
L तरंगे (L waves) - L तरंगों को 'लव वेव' भी कहा जाता है। इन तरंगों का नामकरण वैज्ञानिक 'एडवर्ड हफ लव' के नाम पर किया गया है। इनकी गति सबसे कम होती है। इसलिए L तरंगे पृथ्वी की सतह पर P एवं S बाद ही प्रकट होती हैं। इन तरंगों की तीव्रता P तथा S से अधिक होती है एवं यह सर्वाधिक विनाशकारी होती हैं।
L waves are also called 'love wave' . These waves are named after the scientist 'Edward Huff Love' . They have the lowest speed. Therefore, L waves appear only after P and S on the surface of the Earth. The intensity of these waves is higher than P and S. They are most destructive.
भूकंपीय तरंगों का संचरण (Transmission of seismic waves) - भूकंपशास्त्र के अध्ययन से पता चलता है कि भूकंप की उत्पत्ति P, L तथा S तरंगों के रूप में होती है। भूकंप उत्पत्ति के पश्चात सर्वप्रथम P उसके बाद S तथा अंत में L तरंगे गमन करती हैं। भूकंपीय तरंगों की गति का पदार्थ के घनत्व से सीधा संबंध होता है। पृथ्वी की आंतरिक परतों का घनत्व सतह की तुलना में अधिक होने की वजह से भूकंपीय तरंगों की गति बढ़ती जाती है। पृथ्वी की आंतरिक परतों में 'गुटेनबर्ग असांतत्य' तक P तथा S तरंगों की गति बढ़ती जाती है। इसके पश्चात S तरंगे विलुप्त होने लगती हैं एवं P तरंगों की गति में अचानक कमी आती जाती है। क्योंकि 'बाह्य कोर' का पदार्थ द्रव अवस्था में होता है एवं S तरंगे केवल ठोस माध्यम में ही गति कर सकती हैं। बाह्य कोर में P तरंगों का 'परावर्तन' तथा 'आवर्तन' होता है किंतु आंतरिक कोर में पहुंचते ही P तरंगों की गति में फिर से वृद्धि होने लगती है। इसका कारण आंतरिक कोर के पदार्थ का ठोस अवस्था में होना एवं अत्यधिक दाब है। L तरंगे केवल सतह पर ही गति कर सकती हैं। अतः यह सबसे अधिक विनाशकारी होती हैं।
The study of seismology shows that earthquakes originate in the form of P, L and S waves. After the earthquake, first P is followed by S and finally L waves. The speed of seismic waves is directly related to the density of the material. The density of seismic waves increases as the density of the Earth's inner layers is higher than that of the surface. In the inner layers of the Earth, the speed of the P and S waves increases till the 'Gutenberg discontinuity'. After this, the S waves begin to dissipate and there is a sudden decrease in the speed of the P waves. Because the material of 'outer core' is in a fluid state and S waves can only move in solid medium. The P waves in the outer core have 'reflection' and 'rotation' but once they reach the inner core, the speed of the P waves starts to increase again. The reason for this is the solid state of the material of the inner core and excessive pressure. L waves can only move on the surface. Hence it is the most destructive.
भूकंपीय तरंगों का छाया क्षेत्र (Seismic wave shadow region) - पृथ्वी का ऐसा क्षेत्र जहाँ भूकंपलेखी द्वारा भूकंपीय तरंगों का अभिलेखन नहीं हो पाता, उस क्षेत्र को भूकंपीय तरंगों का 'छाया क्षेत्र' कहा जाता है। अतः इस क्षेत्र में भूकंपीय तरंगों का संचरण नहीं होता। भूकंप के अधिकेंद्र से 105° के भीतर सभी स्थानों पर P तथा S दोनों तरंगे गमन करती हैं। इसके विपरीत 105° से 145° के मध्य दोनों तरंगे नहीं होती। अतः यह क्षेत्र दोनों तरंगों के लिए छाया क्षेत्र होता है। 145° के पश्चात P तरंगे पुनः प्रकट होने लगती हैं। परंतु S तरंगे यहाँ लुप्त होने लगती हैं। अतः 105° से 145° के मध्य पृथ्वी के चारों ओर भी तरंगों के छाया क्षेत्र की एक पट्टी होती है। इसे 'भूकंपीय तरंगों का छाया क्षेत्र' कहा जाता है। भूकंपीय छाया क्षेत्र बनने का कारण P एवं S तरंगों की प्रवृत्ति है। पृथ्वी का आंतरिक भाग द्रव एवं ठोस अवस्था में है, इसलिए P तरंगों की गति द्रव भागों में धीमी होती है। S तरंगे द्रव भाग में विलुप्त हो जाती हैं। उल्लेखनीय है कि S तरंगों का छाया क्षेत्र, P तरंगों के छाया क्षेत्र की तुलना में अधिक होता है।
The region of the Earth where seismic waves are not recorded by seismographers is called the 'shadow zone' of seismic waves. Therefore, seismic waves are not transmitted in this region. Both the P and S waves move at all places within 105 ° from the epicenter of the earthquake. In contrast, there are no waves between 105 ° to 145 °. Hence this region is the shadow region for both waves. After 145 ° P waves begin to reappear. But S waves start disappearing here. Hence, between 105 ° to 145 ° there is also a strip of shadow region around the earth. This is called 'the shadow region of seismic waves' . The reason for formation of seismic shadow region is the tendency of P and S waves. The interior of the Earth is in a fluid and solid state, so the speed of P waves is slower in the fluid parts. S waves dissipate in the fluid part. It is noteworthy that the shadow area of S waves is higher than that of P waves.
भूकंप उत्पत्ति के कारण (Causes of Earthquake) - भूकंप प्राकृतिक क्रियाओं के फलस्वरुप उत्पन्न होते हैं। इसके अतिरिक्त कई बार भूकंप मानव जनित कारणों से भी उत्पन्न हो जाते हैं। भूकंप उत्पत्ति के कुछ अन्य कारण भी होते हैं।
Earthquakes occur as a result of natural actions. In addition, many times earthquakes also occur due to human-caused reasons. There are some other causes of earthquake origin as well.
भूकंप उत्पत्ति के प्राकृतिक कारण निम्नलिखित हैं (Following are the natural causes of earthquake genesis) -
1. ज्वालामुखी क्रिया (Volcanic action) - ज्वालामुखी क्रिया एवं भूकंप की क्रिया एक दूसरे से अंतर्संबंधित होती हैं। ज्वालामुखी क्रिया के साथ सामान्यतः भूकंप भी उत्पन्न होता है। इस भूकंप की तीव्रता ज्वालामुखी की क्रिया पर ही निर्भर करती है। किंतु यह आवश्यक नहीं होता कि सभी भूकंप के साथ ज्वालामुखी भी उत्पन्न हो।
Volcanic activity and earthquake action are interrelated. Earthquakes are also commonly associated with volcanic activity. The intensity of this earthquake depends on the action of the volcano itself. But it is not necessary that volcanoes occur along with all earthquakes.
2. गैसों का फैलाव (Dispersion of gases) - भूपटल के नीचे गैसों के प्रसार से भूकंप का अनुभव होता है। जब भूपटल के नीचे वर्षा जल पहुंचता है तब पृथ्वी के आंतरिक भाग में अत्यधिक ताप की वजह से उसके गैस तथा वाष्प में बदलने से आयतन में वृद्धि होने लगती है तथा वह ऊपर की ओर गतिशील हो जाता है। इस वजह से भी भूकंप उत्पन्न होते हैं।
Earthquakes are experienced by the spread of gases under the crust. When rainwater reaches the bottom of the crust, due to the excessive heat in the interior of the earth, its volume changes due to the change in gas and vapor and it starts moving upwards. Earthquakes also occur because of this.
3. भ्रंश (Fault) - भूगर्भिक हलचलों से भूपटलीय भ्रंशन एवं वलन होता है। इसका प्रमुख कारण तनावमूलक एवं संपीडन बल है। तनावमूलक बल द्वारा बनते हैं जबकि संपीडन बल के कारण वलन तथा क्षेपण की प्रक्रिया होती है। परिणामस्वरूप भूकंप उत्पन्न हो जाता है।
Geological disturbances and folds occur due to geological movements. The main reason for this is stress-relieving and compression forces. Stressors are formed by force, while compression force causes the process of folding and injection. Earthquakes occur as a result.
4. प्लेट विवर्तनिकी (Plate tectonics) - स्थल भाग कठोर प्लेटों से निर्मित, गतिशील अवस्था में विद्यमान है। इन्हीं रचनात्मक, विनाशात्मक एवं संरक्षणी प्लेटों के सीमांतों के सहारे भूकंप घटनाएँ घटित हो जाती हैं।
The terrain is in a dynamic state, made of rigid plates. These creative, destructive and protective plates support the frontiers of earthquake events.
भूकंप उत्पत्ति के मानव जनित कारण निम्नलिखित हैं (Following are the human-caused causes of earthquake genesis) -
मानव अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अत्यधिक खनन करता है। इसमें जीवाश्म ईंधन एवं अन्य खनन शामिल हैं। इसके कारण भी भूकंप उत्पन्न होता है। भूगर्भिक जल के निष्कर्षण से भूकंप की उत्पत्ति होती है। बाँधों के निर्माण से भूपटल का विनाश होता है। फलस्वरूप भूकंप उत्पन्न हो जाते हैं। इन सभी कारणों के अतिरिक्त परमाणु विस्फोट तथा भूमिगत परमाणु परीक्षण आदि भी भूकंप उत्पत्ति के महत्वपूर्ण कारक हैं। अतः हमें प्रकृति का मितव्ययता से प्रयोग करना चाहिए एवं भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए पहले से ही तैयार रहना चाहिए।
Human beings do a lot of mining to meet their needs. This includes fossil fuels and other mining. It also causes earthquakes. Earthquakes arise from the extraction of geologic water. The construction of dams leads to destruction of the crust. As a result earthquakes occur. Apart from all these reasons, nuclear explosions and underground nuclear tests etc. are also important factors in earthquake generation. Therefore, we should use nature frugally and be prepared in advance for natural disasters like earthquakes.
भूकंप उत्पत्ति के अन्य कारण निम्नलिखित हैं (Other causes of earthquake origin are as follows) -
कई बार पृथ्वी सतह पर 'उल्कापात' हो जाता है। इस वजह से भी भूकंप उत्पन्न होते हैं। पृथ्वी के घूर्णन अथवा परिक्रमण के अंतर्गत अन्य आकाशीय पिंडों के पृथ्वी पर प्रभाव से भी हलचल उत्पन्न होती है। फलस्वरुप भूकंप उत्पन्न हो जाते हैं।
Many times there is a 'meteorite' on the Earth's surface. Earthquakes also occur because of this. Under the rotation or rotation of the Earth, stir is also created by the impact of other celestial bodies on the Earth. As a result, earthquakes occur.
भूकंप के प्रमुख प्रकार (Major types of earthquakes)
भूकंप मूल की गहराई के आधार पर भूकंप को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है (Earthquakes can be classified into three types based on the depth of the earthquake origin.) -
1. छिछले उद्गम केंद्र के भूकंप (Shallow Origin Center Earthquake)
2. मध्यम उद्गम केंद्र के भूकंप (Medium Earthquake Center Earthquake)
3. गहरे उद्गम केंद्र के भूकंप (Earthquake of the deepest origin center)
वे भूकंप जिनका भूकंप मूल 0 से 50 किलोमीटर की गहराई पर होता है। 'छिछले उद्गम केंद्र के भूकंप' कहे जाते हैं। ये भूकम्प अपेक्षाकृत अधिक विनाशकारी होते हैं। वे भूकंप जिनका भूकंप मूल 50 से 250 किलोमीटर की गहराई पर होता है, उन्हें 'मध्यम उद्गम केंद्र के भूकंप' कहा जाता है। जिस भूकंप का उद्गम केंद्र 250 से 700 किलोमीटर की अथवा इससे अधिक गहराई पर होता है, उसे गहरे उद्गम केंद्र का भूकंप कहा जाता है। छिछले उद्गम केंद्रों वाले भूकंप कम परिमाण जबकि गहरे उद्गम केंद्रों वाले भूकंप अधिक परिमाण वाले होते हैं।
Earthquakes whose origin is at a depth of 0 to 50 km. Earthquakes of shallow origin centers are called . These earthquakes are relatively more destructive. Earthquakes that have an original earthquake at a depth of 50 to 250 km are called 'Earthquake of Medium Cause Center' . An earthquake with its origin at a depth of 250 to 700 kilometers or more is called an earthquake of deep origin. Earthquakes with shallow origin centers are of low magnitude while earthquakes with deep provenance centers are of high magnitude.
उत्पत्ति के कारणों के आधार पर भूकंप को कई रूपों में बाँटा जा सकता है। ये निम्नलिखित हैं (Earthquakes can be divided into several forms depending on the cause of origin. These are the following) -
1. सामान्य या विवर्तनिक भूकंप (Normal or tectonic earthquake)- विवर्तनिकी क्रिया से उत्पन्न भूकंप को 'सामान्य भूकंप' अथवा 'विवर्तनिक भूकंप' कहा जाता है। इस तरह के भूकंप अधिक आते हैं।
Earthquakes resulting from tectonic action are called 'normal earthquakes' or 'tectonic earthquakes' . Such earthquakes are more frequent.
2. ज्वालामुखीय भूकंप (Volcanic earthquake) - ज्वालामुखी क्रिया द्वारा उत्पन्न भूकंप को 'ज्वालामुखीय भूकंप' कहा जाता है।
The earthquake generated by the volcanic action is called 'volcanic earthquake' .
3. कोलैप्स भूकंप (Collaps earthquake) - खनन क्षेत्रों में भूमिगत खानों की छतों के नीचे गिरने की वजह से उत्पन्न भूकंप को 'कोलैप्स भूकंप' कहा जाता है।
An earthquake caused by falling under the roofs of underground mines in mining areas is called 'Collaps earthquake' .
4. विस्फोटक भूकंप (Explosive earthquake) - परमाणु अथवा रासायनिक विस्फोट के कारण उत्पन्न भूकंप को 'विस्फोटक भूकंप' कहा जाता है।
An earthquake caused by a nuclear or chemical explosion is called an 'explosive earthquake' .
5. कृत्रिम भूकंप या बाँध जनित भूकंप (Artificial earthquake or dam earthquake) - बड़े बाँधों के टूटने की वजह से उत्पन्न भूकंप को 'बाँध जनित भूकंप' अथवा 'कृत्रिम भूकंप' कहा जाता है।
An earthquake caused by the breakdown of large dams is called 'Dam borne earthquake' or 'artificial earthquake' .
पृथ्वी पर भूकंप की तीव्रता का मापन (Earthquake intensity measurement on Earth) - भूकंप की तरंगों का मापन 'सिस्मोग्राफ' के माध्यम से किया जाता है। इस यंत्र में भूकंप की तीव्रता को मापने हेतु 'रिक्टर स्केल' का उपयोग किया जाता है। इसे 'रिक्टर मैग्नीट्यूब टेस्ट स्केल' भी कहते है। भूकंपीय तरंगों को रिक्टर स्केल पर 0 से 10 तक के आधार पर मापा जाता है। इस स्केल में प्रति बढ़ते 1 अंक के साथ ही भूकंप की तीव्रता 10 गुना बढ़ जाती है। भूकंप के दौरान जो ऊर्जा उत्सर्जित होती है, वह प्रति बढ़ते अंक के साथ लगभग 32 गुना बढ़ जाती है। रिक्टर स्केल पैमाने को 'चार्ल्स रिक्टर' नामक वैज्ञानिक ने खोजा था। अतः इनके नाम के आधार पर इसे 'रिक्टर स्केल' कहा जाता है। यह एक गणितीय मापक है, जो 'Log' के आधार पर चलता है। भूकंप की तीव्रता, गहनता तथा आघात को मापने हेतु रिक्टर स्केल के अतिरिक्त संशोधित 'मरकेली स्केल' का भी प्रयोग होता है। मरकेली स्केल का विकास 'जी. मरकेली' नामक वैज्ञानिक ने किया था। इन्हीं के नाम पर इस स्केल का नाम रखा गया है। इसमें भूकंप को उसकी तीव्रता की बजाए उस भूकंप से हुए नुकसान अर्थात् आघात के आधार पर मापा जाता है। इस पैमाने का प्रयोग बहुत कम होता है, क्योंकि यह रिक्टर की तुलना में कम वैज्ञानिक माना जाता है। यह एक अनुभव प्रधान स्केल है। एवं इसका मापन 1 से 12 तक होता है।
Earthquake waves are measured through 'seismograph' . This instrument uses the 'Richter Scale' to measure the intensity of an earthquake. It is also called 'Richter Magnitube Test Scale' . Seismic waves are measured on a Richter scale ranging from 0 to 10. The magnitude of the earthquake increases by 10 points per 1 increase in this scale. The energy that is emitted during an earthquake increases by about 32 times per rising point. The Richter scale scale was discovered by a scientist named 'Charles Richter' . Hence it is called 'Richter Scale' based on their name. It is a mathematical measure that runs on the basis of 'Log' . In addition to the Richter scale, the modified 'Merkeli Scale' is also used to measure the intensity, intensity and shock of an earthquake. Development of Merkeli Scale 'G. A scientist named Merkeli '. This scale is named after them. In this, an earthquake is measured based on the damage caused by the earthquake, rather than its intensity. This scale is rarely used, as it is considered less scientific than Richter. This is an experience oriented scale. And it measures from 1 to 12.
भूकंप की तीव्रता को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं (Following are the factors that affect the intensity of earthquake) -
1. तरंगों की तीव्रता (Wave intensity) - तरंगों की तीव्रता में वृद्धि होने के साथ-साथ भूकंप की तीव्रता में वृद्धि होती जाती है एवं कम होने के साथ ही कम होती जाती है।
As the intensity of the waves increases, the intensity of the earthquake increases and decreases as it decreases.
2. चट्टानी संरचना (Rock formations) - पदार्थ के घनत्व में वृद्धि होने के साथ भूकंप की तरंगों की गति भी बढ़ती जाती है। ऐसा चट्टानी क्षेत्र जिसका घनत्व अधिक होता है, उसमें भूकंप की तीव्रता भी अधिक होती है। इसके विपरीत दलदली क्षेत्र में अपेक्षाकृत कम भूकंप की तीव्रता रहती है।
As the density of matter increases, the speed of earthquake waves also increases. In a rocky area with high density, earthquake intensity is also high. In contrast, the marsh area has a relatively low earthquake intensity.
3. भूकंप मूल की गहराई (Depth of Earthquake Origin) - भूकंप मूल जितना कम गहरा होता है, भूकंप की तीव्रता उतनी ही अधिक होती है। अतः गहरे तथा मध्यम भूकंप मूल वाले भूकंप की तुलना में कम भूकंप मूल की गहराई वाले क्षेत्रों में भूकंप अधिक विनाश उत्पन्न करते हैं।
The deeper the earthquake origin, the higher the intensity of the earthquake. Therefore, earthquakes in areas with lower quake depths produce more destruction than earthquakes of deep and moderate earthquake origin.
4. पर्यावरण (Environment) - जिन क्षेत्रों में पेड़ - पौधों तथा प्राकृतिक वनस्पतियों (जंगल आदि) अत्यधिक मात्रा में उपलब्ध होते हैं।वहाँ भूकंप की तीव्रता उतनी ही कम होती है। फलस्वरूप विनाश का खतरा भी कम हो जाता है। किंतु विवनीकरण की क्रिया के फलस्वरुप भूसंतुलन में अव्यवस्था उत्पन्न हो जाती है। इससे भूकंपीय घटनाओं व तीव्रता में वृद्धि होती है एवं अधिक विनाश होता है।
In areas where trees and plants and natural vegetation (forests etc.) are available in excessive quantity, the intensity of earthquake is less. As a result, the risk of destruction is also reduced. But as a result of the action of decomposition , there is chaos in the equilibrium. This increases seismic events and intensity and causes more destruction.
पृथ्वी पर भूकंप से प्रभावित क्षेत्र या पेटी (Earthquake affected areas or boxes) -
1. परिप्रशांत महासागरीय पेटी (Mature ocean belt) - संपूर्ण विश्व के लगभग 63% भूकंप इसी क्षेत्र में आते हैं। इसे दो शाखा में विभाजित किया जा सकता है - पहली शाखा एशिया के कमचटका प्रायद्वीप से लेकर क्यूराईल तथा जापान, फिलीपींस तथा पूर्वी द्वीप समूह तक फैली हुई है एवं दूसरी शाखा चिली, पेरू, मध्य अमेरिका से होती हुई अलास्का तक पहुँच गई है। इन क्षेत्रों में भूकंप का सीधा संबंध प्लेटों के अभिसरण, भ्रंशन तथा ज्वालामुखी सक्रियता से होता है। इन क्षेत्रों पर गहरे, छिछले तथा मध्यम तीनों प्रकार के भूकंपीय क्षेत्र हैं।
About 63% of the world's earthquakes occur in this region. It can be divided into two branches - the first branch extends from the Kamchatka Peninsula of Asia to Kyrail and Japan, the Philippines and the Eastern Islands, and the second branch reaches Chile, Peru, Alaska via Central America. In these areas, earthquakes are directly related to the convergence of plates, erosion and volcanic activity. There are three types of deep, shallow and medium seismic zones on these areas.
2. मध्य महाद्वीपीय पेटी (Mid continental box) - इस क्षेत्र में विश्व के लगभग 21% भूकंप आते हैं। ये भूकंप प्लेटो के अभिसरण की वजह से आते हैं। यह भ्रंशमूलक एवं संतुलनमूलक होते हैं। यह क्षेत्र पुर्तगाल, स्पेन, इटली, यूनान, तुर्की, ईरान एवं उत्तरी अमेरिका, चीन तथा म्यांमार तक फैला हुआ है। भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में हमारे भारत का हिमालय तथा म्यांमार की पहाड़ियाँ एवं यूरोप का अल्पस क्षेत्र भी इसी के अंतर्गत शामिल है। इसको 'अल्पाइन पेटी' भी कहा जाता है।
About 21% of the world's earthquakes occur in this region. These earthquakes are caused by the convergence of Plato. They are delusional and equilibrium. The region extends to Portugal, Spain, Italy, Greece, Turkey, Iran and North America, China and Myanmar. Areas affected by the earthquake include the Himalayas and Myanmar hills of India and the minor areas of Europe. It is also called the 'Alpine Box'.
3. मध्य अटलांटिक पेटी (Mid atlantic box) - सामान्यतः इस पेटी में बहुत कम भूकंप आते हैं। इन क्षेत्रों में भूकंप अपसरण से रूपांतरण भ्रंश के बनने एवं दरारी ज्वालामुखी उद्गार के कारण उत्पन्न होते हैं। यह पेटी उत्तर में आईसलैंड से लेकर दक्षिण में बोवेट द्वीप तक फैली हुई है। इस क्षेत्र के अधिकतर भूकंप विशुवत रेखा के समीप के क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं।
Generally, there are very few earthquakes in this box. In these areas, earthquakes arise due to the formation of conversion fault from erosion and erupting volcanic eruptions. The belt extends from Iceland in the north to Bowett Island in the south. Most of the earthquakes in this region occur in areas close to the Vishwaktha line.
4. अन्य क्षेत्र (Other areas) - इन सभी क्षेत्रों के अतिरिक्त पृथ्वी के कुछ दूसरे क्षेत्रों में भी भूकंप आते हैं। उदाहरण हिंद महासागरीय पेटी, पूर्वी अफ्रीकन पेटी आदि।
Apart from all these areas, earthquakes occur in some other areas of the earth. Examples are Indian Ocean belt, East African belt etc.
भूकंप के प्रभाव (Earthquake effects) - भूकंप से मानव जान एवं संपत्ति का बहुत अधिक नुकसान होता है। किंतु इसके अतिरिक्त भूकंप आने से मानव को कई लाभ भी मिलते हैं।
Earthquakes cause great loss of human life and property. But apart from this, earthquakes also provide many benefits to humans.
भूकंप के विनाशकारी प्रभाव (Devastating effects of earthquake) - भूकंप उत्पत्ति से नगर नष्ट हो जाते हैं एवं जान - माल तथा संपत्ति की अत्यधिक क्षति होती है। आधारभूत संरचनाएं उदाहरण पुल, रेल की पटरी, भवन आदि टूट जाते हैं एवं उनका विनाश हो जाता है। भूकंप की वजह से अन्य प्राकृतिक आपदाएँ भी उत्पन्न हो जाती हैं। जैसे - भूस्खलन, बाढ़, आग लगना जैसी आकस्मिक दुर्घटनाएँ जन्म ले लेती हैं। कई बार समुद्री भाग में भूकंप आने की वजह से सुनामी जैसी आपदा भी उत्पन्न हो जाती है। इससे हमारे तटीय क्षेत्रों में बहुत बड़े पैमाने पर तबाही मत जाती है।
Cities are destroyed due to earthquake and there is a lot of loss of life and property and property. Infrastructure eg bridges, railway tracks, buildings etc. are broken and destroyed. Other natural disasters also occur due to earthquakes. Accidental accidents such as landslides, floods, fires, etc. take birth. Many times, due to earthquake in the sea part, a disaster like tsunami also arises. This causes very large scale destruction in our coastal areas.
भूकंप के लाभकारी प्रभाव (Beneficial effects of earthquake) - भूकंप आने से गहरे गर्तों का निर्माण हो जाता है। इससे प्राकृतिक जल एकत्रित हो जाता है एवं झीलों का निर्माण हो जाता है। सागर के तटीय भागों में भूकंपीय क्रियाओं की वजह से खाड़ियाँ प्राकृतिक बंदरगाहों के लिए उचित स्थान उपलब्ध कराती हैं। ज्वालामुखीय भूकंप से नए धरातल का निर्माण हो जाता है। भूकंप से उत्पन्न दबाव तथा भ्रंशन के कारण मूल्यवान एवं दुर्लभ खनिज पदार्थ पृथ्वी के आंतरिक भाग से धरातल पर आ जाते हैं। भूकंपीय लहरों से पृथ्वी की आंतरिक बनावट के विषय में जानकारी उपलब्ध हो जाती है।
Deep troughs are formed due to earthquakes. This causes natural water to accumulate and lakes are formed. Due to seismic actions in the coastal parts of the ocean, the creeks provide a suitable location for natural harbors. New ground is formed due to volcanic earthquake. Due to the pressure and corruption caused by earthquakes, valuable and rare mineral substances come to the surface from the interior of the earth. Seismic waves provide information about the internal structure of the Earth.
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